विज्ञान

डॉक्टर्स हैरान: कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों के अब हिलने लगे दांत

Gulabi
7 Dec 2020 4:28 PM GMT
डॉक्टर्स हैरान: कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों के अब हिलने लगे दांत
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कोरोना काल के दौरान मरीजों को कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई तरह की नई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है

जनता से रिश्ताक वेबडेस्क। जयपुर: कोरोना काल के इस दौर में मरीजों को कोरोना (Coronavirus) से ठीक होने के बाद भी कई तरह की नई शारीरिक चुनौतियों (Physical challenges) का सामना करना पड़ रहा है. जयपुर में दंत चिकित्सकों (Dentists) की नई स्टडी के मुताबिक कोरोना मरीज के ठीक होने के बाद दांत में दर्द की नई शिकायतें सामने आ रही है. मरीजों में आने वाली इस नई समस्या से चिकित्सक भी हैरान है.


कोरोना से ठीक होने के बाद अब कमजोरी, फेफड़ों के इन्फेक्शन के अलावा कोविड का असर दांतों पर भी दिखाई देने लगा है. गुजरात के बाद राजस्थान में भी ऐसे कई मामले सामने आने लगे हैं, जिसमें मरीजों को पहले खाने में दिक्कत फिर दांत हिलना और जबड़े गलने जैसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जयपुर में दंत चिकित्सकों के पास इन दिनों ऐसे ही मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.


डॉक्टरों का मानना है कि सर्दी-जुकाम, बुखार, गले व पेट दर्द, फेफड़ों का संक्रमण, थकान, कमजोरी, दिल-दिमाग के बाद कोरोना वायरस का असर दांतों पर दिखने लगा है. दंत चिकित्सक डॉक्टर राजेंद्र यादव के मुताबिक वायरस के कारण खून की सप्लाई प्रोटीन के कारण बाधित हो सकती है. दांतों में दिक्कत (Tooth Problem) होने के पीछे यही वजह है कि ज्यादा दर्द होने पर आने वाले समय में खाने-पीने में दिक्कत आ सकती है. हड्डी के गलने के कारण संक्रमण से दांतो को निकाल कर सफाई की जा रही है. संक्रमित साइनस (Infected Sinus) को हटाकर हीलिंग भी की जाती है. चिकित्सकों ने दांत में दर्द उनके हिलने मवाद निकलने को हल्के में नहीं लेने की अपील की है. ऐसे लक्षण आने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लाकर इलाज कराएं.

दरअसल ये कोविड वायरस का ही असर है कि मरीजों में जबड़े गलने, दांतों में दर्द एवं हिलने की शिकायतें मिल रही है. न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर पृथ्वी गिरी (Neurologist Doctor Prithvi Giri) के मुताबिक कोरोना से स्वस्थ होने के बाद कई मरीज ऐसे आये है जिनका जबड़ा गलने लग गया है. ये एक तरह से कोरोना एक्यूट क्रोमोजेनिक इम्यूनोजेनिक कंटीजियस बीमारी है. इसमें खून का थक्का बनने की संभावना होती है. क्लॉट से खून की नली को बंद हो सकती है. एवेस्कुलर नेक्रोसिस यानी हड्डी एक जीवित उत्तक है, जो गल जाती है जिसे खून की आवश्यकता होती है, लेकिन कोविड की वजह से खून की आपूर्ति के लिए रुकावट होने से हड्डी गलने लगती है, जिसका समय पर इलाज नहीं होने पर संक्रमण बढ़ने से साइनस के जरिए दिमाग तक पहुंचकर नुकसान कर सकता है.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी मरीज को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन दांत पर होने वाला असर अपने आप में एक नई तरह की स्टडी है. ऐसे में आने वाले समय में दंत चिकित्सकों के सामने भी एक बड़ी चुनौती रहेगी. क्योंकि पोस्ट कोविड अगर मरीज के दांतो में हड्डी ही नहीं रहेगी तो दंत प्रत्यारोपण जैसे केसेस में बेहद परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए कोविड से ठीक होने के बाद अगर आपके दांतों में किसी तरह की कोई परेशानी हो रही हो तो तुरंत प्रभाव से दंत चिकित्सक से सलाह ले और उपचार कराएं.


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