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हम धरती से मंगल और चांद (Mars Mission) पर बसने के सपने देख रहे हैं
हम धरती से मंगल और चांद (Mars Mission) पर बसने के सपने देख रहे हैं. कभी आपने सोचा है, कि अगर हम वहां बस भी जाएंगे तो भला नहाने-धोने और कपड़े धुलने का पानी कहां से मिलेगा. जिस तरह से हम बेतहाशा पानी से कपड़े धोते हैं, वो तो नहीं चल पाएगा चांद या मंगल पर. ऐसे में सवाल उठता है कि कपड़े धुले कैसे जाएंगे? इस सवाल का जवाब तैयार कर रही है इंटरनेशनल स्पेस एजेंसी NASA.दरअसल नासा के सामने भी अंतरिक्ष यात्रियों के गंदे कपड़े धुलने और उन तक हर साल बड़ी मात्रा में कपड़े पहुंचाने की समस्या विकट है. फिर नासा ने इसका समाधान भी ढूंढा है, जो काफी दिलचस्प है.
अब तक चंद्रमा से लेकर मंगल ग्रह तक उड़ान भरने की तैयारी में लगे अंतरिक्षयात्रियों को स्पेस (International Space Station) में अपने कपड़ों को कई बार पहनना होता था. वजह थी, इन्हें धो न पाने की दिक्कत. ऐेसे में उनके गंदे कपड़े इकट्ठा करके बदले जाते हैं. हर साल नासा को सिर्फ अंतरिक्षयात्रियों (How do astronauts do laundry) के इस्तेमाल के लिए करीब 73 किलो कपड़ा भेजना पड़ता है. इसमें खर्च भी काफी ज्यादा लगता है और इस्तेमाल किए हुए कपड़े इतने गंदे होते हैं कि उन्हें कई बार नष्ट भी करना पड़ता है.
अंतरिक्ष में कपड़े धोने का दुनिया का पहला साबुन बनेगा
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इस समस्या का स्थाई हल निकालते हुए अंतरिक्ष में कपड़े साफ करने के लिए दुनिया का पहला (World's first detergent for laundry in space) साबुन बनाने जा रही है. इसके लिए नासा ने प्रॉक्टर एंड गैंबल कंपनी (Procter & Gamble Co.) से हाथ मिलाया है. अब कपड़ा धोने का साबुन बनाने वाली दिग्गज कंपनी टाइड धरती ही नहीं स्पेस में भी कपड़े धोने के लिए खास डिटर्जेंट तैयार कर रही है. इस समझौते के मुताबिक स्पेस एजेंसी NASA अगले साल डिटर्जेंट साबुन को परीक्षण के लिए अंतरिक्ष में ले जाएगी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station) के कार्यकारी मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर माइकल रॉबर्ट ने कहा है कि इस वक्त अंतरिक्षयात्रियों के कपड़ों को धरती पर वापस भेजकर नष्ट कर दिया जाता है. अंतरिक्ष में सामान भेजने की सीमा की वजह से साफ कपड़े भेजना चुनौतीपूर्ण होता है.
कपड़े धोने के बाद पिया जा सकेगा बचा पानी
आने वाले वक्त में मंगल (Mars Mission) और चांद (Moon Mission) की यात्रा के दौरान अंतरिक्ष में कपड़े मुहैया कराना चैलेंज होगा. ऐसे में अगर डिटर्जेंट का प्रयोग सफल होता है तो बड़ी समस्या हल हो जाएगी. मंगल की यात्रा में पानी की कमी भी होगी. ऐसे में कपड़े धोने में इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट का ऐसा होना ज़रूरी है कि इस्तेमाल पानी साफ करके पिया जा सके. नासा अनुमान है कि अगर टाइड या अन्य कंपनियां साबुन बनाने में कामयाब हो जाती हैं तो अंतरिक्षयात्रियों के इस्तेमाल किए हुए कपड़े धुले जा सकेंगे और इससे खर्चा भी कम हो जाएगा.
उधर डिटर्जेंट बनाने वाली कंपनी का कहना है कि उनका साबुन इस्तेमाल के बाद नष्ट हो सकेगा. इससे दाग-धब्बे और दुर्गंध खत्म होगी और बचा हुआ पानी पिया जा सकेगा. एक बार अंतरिक्ष में इसकी टेस्टिंग हो जाए, फिर पता चलेगा की जीरो ग्रैविटी और वहां के माहौल में ये कितना कारगर होता है. आगे इसी टेक्नॉलजी पर धरती के लिए भी साबुन बनाने में मदद मिल सकेगी. इससे पर्यावरण को भी नुकसान कम होगा और पानी की भी बचत होगी
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