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बुराई पर अच्छाई के जीत के प्रतीक के रूप में भारत में होली खेली और मनाई जाती है
scientific reason behind playing Holi: बुराई पर अच्छाई के जीत के प्रतीक के रूप में भारत में होली खेली और मनाई जाती है. होलिका दहन और उसके दिन रंग खेलने के पीछे धार्मिक कारण से आप वाकिफ होंगे लेकिन इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण आपको होली खेलने के लिए मजबूर कर देगा।
जी हां होलिका जलाने से लेकर होली में रंग खेलने के पीछे 4 वैज्ञानिक कारण हैं. जिनका फायदा उन्ही लोगों को मिलता है जो होलिका दहन में शामिल होते हैं और होली खेलते हैं.
होलिका जलाने के साइंटिफिक रीजन
1.अगर धार्मिक कहानियों को साइड में रखकर इसके वैज्ञानिक तर्क को समझा जाए तो होलिका जलाना फायदेमंद होता है। होलिका जलाने से वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया का खात्मा हो जाता है। क्योंकी ठंड का मौसम लगभग चला जाता है और ग्रीष्म ऋतू का आरम्भ होता है. और इस बीच के मौसम में वातावरण में बैक्टीरिया की ग्रोथ बढ़ जाती है। आग की तपन से शरीर के ऊपरी और अंदरूनी कीटाणु मर जाते हैं.
2. देश के कई हिस्सों में होलिका की राख को माथे में लगाया जाता है, और इसमें चंदन के साथ आम के पत्तों और फूलों को मिलाकर लेप लगाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस लेप से चंदन लगाने वाले की सेहत को बढ़ावा देती है, और घर में नेगिटिविटी दूर होती है
3. होली के समय बदलते मौसम के कारण लोगों में थकान होती है.थकान दूर करने के लिए पारम्परिक गाने जैसे फाग अदि गए जाते हैं. और ढोल-मंजीरे का इस्तेमाल होता है. इस गतिविधियों से दिमाग और शरीर तरोताजा होता है
4. नेचुरल रंग से होली खेलने के अपने अलग फायदे होते हैं. इससे शरीर की चोट और घाव जल्दी ठीक होते हैं. स्किन में चमक आती है, रंग खेलने के दौरान उछल-कूद से शरीर तनावमुक्त होता है।
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