विज्ञान

तारे में हुए विस्फोट से निकली रंगीन रोशनी, NASA ने किया शेयर

Gulabi
23 Oct 2021 9:27 AM GMT
तारे में हुए विस्फोट से निकली रंगीन रोशनी, NASA ने किया शेयर
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हजारों साल पहले एक तारे में हुए विस्फोट (सुपरनोवा) की रंगीन रोशनी पकड़ी

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हजारों साल पहले एक तारे में हुए विस्फोट (सुपरनोवा) की रंगीन रोशनी पकड़ी है। इससे ब्रह्मांडीय अवशेषों के विकास को लेकर नई जानकारी मिल सकती है। नासा के चंद्र एक्स-रे ऑब्जरवेटरी ने बताया कि इस तारे के अवशेष को G344.7-0.1 के रूप में जाना जाता है। यह पृथ्वी से लगभग 19,600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि इस तारे में विस्फोट आज से 3,000 से 6,000 साल पहले हुआ था।

कई ऑब्जरवेटरी ने मिलकर खोजी रंगीन रोशनी
स्पेस डॉट कॉम ने बताया कि नासा के चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी और स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप ने नेशनल साइंस फाउंडेशन के वेरी लार्ज एरे और ऑस्ट्रेलिया टेलीस्कोप कॉम्पैक्ट एरे के साथ मिलकर एक्स-रे, इंफ्रारेड और रेडियो वेवलेंथ के जरिए इस तारे के अवशेषों की खोज की है। G344.7-0.1 की नई तस्वीर से पता चलता है कि यह मलबा तारे में विस्फोट के बाद बाहर की ओर फैला था, लेकिन उसे आसपास के गैसों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।

तारे की कोर की गर्मी को किया गया डिटेक्ट
बयान में बताया गया है कि गैसों का यह प्रतिरोध मलबे की रफ्तार को धीमा कर देता है। इससे एक रिवर्स शॉक वेव बनाता है जो विस्फोट के केंद्र की ओर वापस जाता है। इसके रास्ते में आसपास के मलबे को गर्म करता है। यह प्रक्रिया किसी हाईवे पर ट्रैफिक जाम की तरह है। जहां, समय बीतने के साथ कार या दूसरी गाड़ियों की संख्या बढ़ती जाएगी और दुर्घटना की संभावना खत्म हो जाएगी। रिवर्स शॉक मलबे को लाखों डिग्री तक गर्म करता है, जिससे यह एक्स-रे में चमकने लगता है।
क्या होता है सुपरनोवा
जब अंतरिक्ष में किसी तारे के टूटने से जो ऊर्जा पैदा होती है उसे सुपरनोवा कहा जाता है। यह किसी तारे का अंतिम समय होता है। हमारी आकाशगंगा में सुपरनोवा को देखना मुश्किल है क्योंकि वे अक्सर धूल से छिप जाते हैं। इस सुपरनोवा को नासा इसलिए देख पाई है क्योंकि पिछले साल से इसपर उनकी नजर बनी हुई थी। इन सुपरनोवा से निकली ऊर्जा इतनी ज्यादा होती है जिसके आगे सूरज की रोशनी भी फीकी पड़ जाती है।

ब्राह्मंड को समझने में मिलेगी सहायता
नासा ने बताया कि सुपरनोवा का अवलोकन करने से रिचर्सस को ब्राह्मंड के फैलाव की दर को मापने में मदद मिलती है। यह ब्राह्मांड के भौतिक आधारों को समझने के लिए भी जरूरी तत्व है। सुपरनोवा का उपयोग आकाशगंगाओं की दूरियों को मापने के लिए एक मानक के रूप में किया जा सकता है। इससे यह भी पता लगता है कि एक आकाशगंगा दूसरी आकाशगंगा से कितनी तेजी से दूर जा रही है।
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