विज्ञान

गहरे महासागरों को गर्म कर रहा है जलवायु परिवर्तन

Shiddhant Shriwas
20 May 2022 3:58 PM GMT
गहरे महासागरों को गर्म कर रहा है जलवायु परिवर्तन
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अध्ययन ने गहरे महासागरों (Deep Oceans) के 700 मीटर नीचे तक जरूरी जानकारी जुटाई है. इस अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने पूर्वानुमान लगाया है कि महासागरों में इतनी गहराई में तापमान अगले 50 सालों में अधिक गर्मी से 0.2 डिग्री सेल्सियस का का इजाफा हो जाएगा. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उत्तर अटलांटिक महासागर ) में गहराई के अनुसार तापमान के वितरण का भी आंकलन किया और पाया कि गहराई में गर्मी ज्यादा मात्रा में पहुंची है. और पाया है कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के आंकलन के अध्ययनों में गहरे महासागरों को शामिल करना होगा.

उत्तरी अटलांटिक के उपउष्णकटिबंधीय क्षेत्र , में बहुत सारी अतिरिक्त ऊर्ज गहरे समुद्र में जमा है. महासागरों ने इंसानों द्वारा पैदा की हुई 90 प्रतिशत गर्मी अवशोषित कर ली है. इस अध्ययन में पाया गया है कि उत्तरी अटलांटिक के उपउष्णकटिबंधीय क्षेत्र यानि 25 डिग्री उत्तर अक्षांश में गहरे समुद्र में 62 प्रतिशत गर्मी बढ़ी है.
एक्सेटर यूनिवर्सिटी और ब्रेस्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने आंकलन किया है जिसके मुताबिक अगले 50 सालों में गहरे महासागर डिग्री सेल्सियस और ज्यादा गर्म (Warming) हो जाएगें. महासागरों के गर्म होने के कई नतीजे होंगे जिसें समुद्र जलस्तर का बढ़ना, परास्थितिकी तंत्रों, धाराओं और उनके रसायन में बदलाव के साथ डीऑक्सजीनेशन शामिल होंगे.
एक्सेटर यूनिवर्सिटी की डॉ मरियो जे मसाया ने बताया, "जैसे जैसे हमारा ग्रह गर्म हो रहा है, यह समझना जरूरी है कि अतिरिक्त ऊष्मा को महासागर ले रहे हैं और उन्हें अपने अंदर ही सतह से लेकर गहराई तक पुनर्वितरित कर रहे हैं. यह बात ध्यान में रखनी होगी कि पृथ्वी के ऊर्जा असंतुलन में वृद्धि का आंकलन करते समय हमें गहरे महासागरों को भी शामिल करना होगा."
मसाया ने बताया, "हमें यह भी बात याद रखनी होगी कि गहरे महासागर में इस ऊष्मा का बहुत ज्यादा हिस्सा मौजूद है हमारा अध्ययन दर्शाता है कि कैसे महासागरों की धाराओं ने अलग अलग इलाकों में ऊष्मा का वितरण किया हमने पाया कि यह पुनर्विरण उत्तरी अटलांटिक को गर्म करने में अहम कारक था."
शोधकर्ताओं ने अटलांटिक मेरिडियोनल ओवरटर्निंग सर्क्यूलेशन का अध्ययन किया था. एएमओसी एक संवाहक पट्टिका की तरह होती है, जो गर्म पानी को से कटिबंधीय क्षेत्रों से उत्तर की ओर ले जाती है जहां ठंडा और घना पानी नीचे गहरे महासागर में बैठता है और धीरे धीरे दक्षिण की ओर फैलता है. इस पड़ताल के नतीजे एक स्थान से दूसरे स्थान तक एएमओसी के द्वारा स्थानांतरित गर्मी के महत्व को रेखांकित करती है.
डॉ मसाया का कहना है कि दक्षिणी गोलार्द्ध के महासागरों से आने वाली अधिक ऊष्मा उत्तरी अटलांटिक के लिए अहम होती जा रही है जो अब कुल अतिरिक्त ऊष्मा का एक तिहाई हिस्सा है. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने तापमान के रिकॉर्ड और ट्रेसर्स के रूप में रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जिन्हें पहले महासागर में बदलावों की खोज करने के लिए काम में लाया गया था.


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