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फाइल फोटो | न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
इनके अंदर से लावा नहीं निकलता. ये असल में ज्वालामुखी नहीं होते लेकिन इनके व्यवहार की वजह से इन्हें ज्वालामुखी कहा जाता है.
नई दिल्ली: अज़रबैजान के बाकू प्रांत स्थित गारादाघ जिले में 11 अगस्त 2022 को मिट्टी का ज्वालामुखी (Mud Volcano) फट पड़ा. तेज गति से मिट्टी का बड़ा सा ढेर हवा में उठता दिखाई दिया. इसके वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किए गए. मिट्टी के ज्वालामुखी दुनिया के कई देशों में पाए जाते हैं. कुछ तो भारत के अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर भी मौजूद हैं.
मिट्टी का ज्वालामुखी (Mud Volcano) को मड डोम (Mud Dome) भी कहते हैं. इनके अंदर से गर्म मिट्टी या स्लरी निकलती है. साथ में पानी और गैस बाहर आते हैं. इनके अंदर से लावा नहीं निकलता. ये असल में ज्वालामुखी नहीं होते लेकिन इनके व्यवहार की वजह से इन्हें ज्वालामुखी कहा जाता है.
मिट्टी का ज्वालामुखी (Mud Volcano) का आमतौर 1 से 2 मीटर ऊंचे और इतने ही चौड़े होते हैं. लेकिन कई बार इनका ऊंचाई 700 मीटर तक होती है. इतनी ऊंचाई वाले मड वॉल्कैनो 10 किलोमीटर चौड़े होते हैं. इसमें से निकलने वाली मिट्टी धरती के अंदर गर्म पानी के साथ मिलकर ऊपर की ओर आती है.
मिट्टी के ज्वालामुखी का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से 100 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है. इनका उपयोग लोग मड बाथ यानी मिट्टी के स्नान के लिए करते हैं. ये काफी ज्यादा प्रसिद्ध प्रक्रिया है. इन मिट्टी के ज्वालामुखियों से 86 फीसदी मीथेन गैस निकलती है. थोड़ा बहुत कार्बन डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन भी.
Reports of a large mud volcano eruption of Lokbatan today, near Baku in Azerbaijan.
— Mark Tingay (@CriticalStress_) August 11, 2022
Lokbatan has had more major eruptions than any other Azerbaijan mud volcano, most recently in 2017 and with a huge fiery 2012 eruption.
Video and initial report here:https://t.co/8F5QoRvKtO pic.twitter.com/RLcXENzjFH
इनके अंदर से निकलने वाला पदार्थ आमतौर पर स्लरी (Slurry) होता है. जो मिट्टी, रेत और पानी के मिश्रण से बनता है. इसमें कई प्रकार के नमक, एसिड्स और हाइड्रोकार्बन्स होते हैं. ये दुनिया के लगभग हर देशों में पाया जाता है. यूरोप, एशिया, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका. इन सभी इलाकों में अलग-अलग आकार और प्रकार के मड वॉल्कैनो मिलते हैं.
जब ये फटते हैं तो इनमें से गर्म मिट्टी और कीचड़ निकलता है. लेकिन शांत रहने पर हैलाइट (Halite) निकलता है. जिसे रॉक सॉल्ट कहते हैं. लोग इसका ही मसाज करते हैं. इसी में नहाते हैं. अज़रबैजान और इसका कैस्पियन तट ऐसे ज्वालामुखियों से भरा है. यहां 400 से ज्यादा मिट्टी के ज्वालामुखी (Mud Volcano) हैं.
अज़रबैजान के ज्यादातर मड वॉल्कैनो एक्टिव हैं. इनमें अक्सर विस्फोट होता है. साल 2001 में बाकू का मड वॉल्कैनो चर्चा में आया था. उस समय इसमें से 50 फीट ऊंची आग की लपटें निकल रही थीं. अज़रबैजान में जमीन के नीचे मिट्टी का बड़ा स्रोत है. जो लावा की वजह से गर्म होते पानी के साथ मिलकर ऊपर निकल आता है.
पिछले साल 4 जुलाई को कैस्पियन सागर में मौजूद अज़रबैजान के दाशली द्वीप पर एक मिट्टी का ज्वालामुखी फट पड़ा था. इसका विस्फोट बहुत तगड़ा था. इसमें से आग का गोला भी निकला था. जिसे 74 किलोमीटर दूर बाकू में भी देखा गया. आग की लपटें 1640 फीट ऊपर तक गई थीं. हालांकि किसी को नुकसान नहीं पहुंचा था इससे.
jantaserishta.com
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