विज्ञान

नई स्टडी में दावा: कोरोना वायरस घर के अंदर भी फैलने का खतरा ज्यादा

Kunti Dhruw
15 Sep 2021 6:05 PM GMT
नई स्टडी में दावा: कोरोना वायरस घर के अंदर भी फैलने का खतरा ज्यादा
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कोरोना वायरस

कोरोना वायरस (Corona Virus) को लेकर हर दिन नए-नए रिसर्च सामने आ रहे हैं. इस बीच अब एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि घर के अंदर कोरोना से बचने के लिए 6 फीट की दूरी भी काफी नहीं है और 6 फीट की दूरी में भी एक संक्रमित व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है. सस्टेनेबल सिटीज एंड सोसाइटी नामक पत्रिका में प्रकाशित नतीजे बताते हैं कि केवल शारीरिक दूरी ही संक्रमण को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है. बल्कि मास्किंग और वेंटिलेशन जैसी चीजें भी इसके लिए जरूरी है.

इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने तीन कारकों की जांच की. इनमें स्पेस के माध्यम से हवा के वेंटिलेशन की मात्रा और दर, विभिन्न वेंटिलेशन रणनीतियों से जुड़े इनडोर एयरफ्लो पैटर्न, सांस लेने बनाम बात करने का एरोसोल एमिसन मोड शामिल है.
बिना मास्क के 6 फीट की दूरी पर भी सक्रमित हो सकता है व्यक्ति
इस स्टडी में पता चला है कि अगर कोई संक्रमित व्यक्ति 6 फीट की दूरी पर बैठकर भी बिना मास्क के किसी दूसरे व्यक्ति से बात करता है, तो उसके वायरस दूसरे व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकते हैं. ये नतीज कमरों के अंदर ज्यादा देखे जा सकते हैं, जहां वेंटिलेशन की कमी है.
शोधकर्ताओं ने पाया कि एयरोसोल्स डिस्प्लेसमेंट वेंटिलेशन वाले कमरों में और अधिक तेज़ी से यात्रा करते हैं, जहां ताजी हवा लगातार फर्श से बहती है और पुरानी हवा को छत के पास एक निकास वेंट में धकेलती है. इस तरह का वेंटिलेशन सिस्टम ज्यादातर घरों में स्थापित है.
इसके अलावा एक और स्टडी में दावा किया गया है कि भारत में उच्च इंटरनेट (High Internet in India) पहुंच दर, सोशल मीडिया (Social Media) के बढ़ते इस्तेमाल और उपयोगकर्ताओं में इंटरनेट साक्षरता की कमी के कारण कोविड-19 के संबंध में सोशल मीडिया पर सबसे अधक गलत जानकारी दी गई.
अध्ययन में 138 देशों में प्रकाशित 9,657 गलत जानकारियों को शामिल किया गया. विभिन्न देशों में गलत सूचना के प्रसार और स्रोतों को समझने के लिए 94 संगठनों ने इनके तथ्यों की जांच की. अध्ययन में कहा गया, ''सभी देशों में से, भारत में सोशल मीडिया पर सबसे अधिक 18.07 प्रतिशत गलत जानकारी दी गई, जिसका कारण शायद देश की उच्च इंटरनेट पहुंच दर, सोशल मीडिया के इस्तेमाल में वृद्धि और उपयोगकर्ताओं में इंटरनेट साक्षरता की कमी है.''
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