विज्ञान

चीन के चंद्रमा पर बनने वाले बेस को मिलेगी परमाणु ऊर्जा

Subhi
24 Nov 2022 3:07 AM GMT
चीन के चंद्रमा पर बनने वाले बेस को मिलेगी परमाणु ऊर्जा
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हाल ही में नासा के आर्टिमिस अभियान (Atremis Mission of NASA) का प्रथम चरण के सफल प्रक्षेपण के अब चंद्रमा पर इंसान के बसने के बातें होने लगी हैं. नासा का कहना है कि इस दशक के अंत तक वहां वैज्ञानिकों के लिए आवास तैयार हो जाएंगे और वे वहां रह कर काम करने लगेंगे. लेकिन इस बीच चीन भी चंद्रमा (China for Moon) पर जाने की तैयारी कर रहा है. अब चीन एक नया न्यूक्लिर सिस्टम तैयार करा रहा है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बनाया जाएगा.

हाल ही में नासा के आर्टिमिस अभियान (Atremis Mission of NASA) का प्रथम चरण के सफल प्रक्षेपण के अब चंद्रमा पर इंसान के बसने के बातें होने लगी हैं. नासा का कहना है कि इस दशक के अंत तक वहां वैज्ञानिकों के लिए आवास तैयार हो जाएंगे और वे वहां रह कर काम करने लगेंगे. लेकिन इस बीच चीन भी चंद्रमा (China for Moon) पर जाने की तैयारी कर रहा है. अब चीन एक नया न्यूक्लिर सिस्टम (Nuclear System for Moon) तैयार करा रहा है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बनाया जाएगा. यह जानकारी ऐसे समय पर आई है जब आर्टिमिस अभियान का ओरियॉन यान चंद्रमा के पास पहुंचने वाला है.

रूस के सहयोग से बन रहा है यह स्टेशन

चीन के साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के रीपोर्ट के मुताबिक चाइनीज लूनार एक्प्लोरेसन प्रोग्राम के मुख्य डिजाइनर वू वेइरन ने चीन के सीसीटीवी प्रसारण में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह नया तंत्र चंद्रमा पर स्टेशन की उच्च ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करेगा. यह स्टेशन चीन के नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन और रूसी स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस के साथ विकसित कर रहे हैं और यह साल 2028 तक पूरा हो जाएगा

कैसा होगा चीन का स्टेशन

इस स्टेशन की मूल अधोसंरचना में एक लैंडर, एक हॉपर, एक ऑर्बिटर और एक रोवर होगा. एक बार निर्माण कार्य पूरा होने नाभकीय तंत्र उपयोग वहां के यंत्रों को चलाने के लिए उपयोग में लाया जाएगा. इसके साथ इस ऊर्जा क उपयोग चंद्रमा की सतह से पानी निकालने और वहां के यात्रियों के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए भी किया जाएगा.

रोवर और हॉपर

चीनी विशेषज्ञ ने इस परमाणु ऊर्जा केंद्र की विस्तार से जानकारी नहीं दी लेकिन पिछली रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि यह तंत्र एक मेगावाट की बिजली का उत्पादन कर सकेगा, लेकिन वू ने बताया कि स्टेशन मे बड़े रोवर स्थापित किए जाएंगे जिनका परिवहन के लिए उपयोग किया जाएगा. इसके अलाव हॉपर अगली पीढ़ी के वाहन होंगे जो क्रेटर में से निकल कर पानी की तलाश करने का काम करेंगे.

चीन तेजी से कर रहा है काम

इसके अलावा नाभकीय ऊर्जा का तंत्र उन संचार तंत्रों को ऊर्जा प्रदान करने का भी काम करेंगे चो पृथ्वी से सतत संपर्क बनाए रखने का काम करेंगे. चीन ने 2013 में सबसे पहले चंद्रमा पर मानव रहित लैंडिंग की थी. और उम्मीद कर रहा है कि वह इस दशक के अंत अपने अंतरिक्षयात्रियों को चंद्रमा पर उतार सकेगा.

चांद पर कब्जे की तैयारी

वहीं दूसरी ओर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का कहना है कि चीन चंद्रमा पर कब्जा करने के उद्देश्य से अपने सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत चंद्रमा पर कब्जा करने पर विचार कर रहा होगा. इस आरोप को बीजिंग ने सिरे से खारिज कर दिया है. चीन लंबे समय से अंतरिक्ष अनुसंधान में ना केवल आत्मनिर्भर होने का प्रयास कर रहा है बल्कि अमेरिका से आगे भी निकलना चाहता है.

और ज्यादा क्षमता बढ़ाने की कोशिश

वू इस लूनार प्रोजेक्ट के प्रमुख हैं और साउथ चाइना मॉरनिंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बताया कि टीम अब नए तंत्र भी विकसित कर रही है जो न्यूक्लिर एनर्जी का उपयोग कर चांद के स्टेशन लंबे समय के किया जा सके. वैसे तो एक मेगावाट की बिजली बहुत ज्यादा नहीं लगती है, लेकिन सैकड़ों घरों को एक साल तक बिजली दे सकती है.

आने वाले सालों में चीन चंद्रमा तक मानवरहित चंद्र अभियानों का प्रक्षेपण करेगा जिनमें से एक का उद्देश्य वहां पर पानी का अध्ययन करना होगा. चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति सौरमंडल के विकास के बारे में और ज्यादा जानकारी दे सकती है. इससे यह भी पता चल सकता है कि वहां लंबे समय तक इंसान के रहने की स्थिति में यह पानी कितना उपयोगी हो सकता है.


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