विज्ञान

कोरोना से बर्बाद करने के बाद धरती को बचाएगा चीन? एस्टेरॉयड पर करेगा रॉकेट से हमला

jantaserishta.com
11 July 2021 11:17 AM GMT
कोरोना से बर्बाद करने के बाद धरती को बचाएगा चीन? एस्टेरॉयड पर करेगा रॉकेट से हमला
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पूरी धरती को बचाने का जिम्मा ले रहा है चीन. वह पृथ्वी को आर्मागेडॉन (Armageddon) से बचाएगा. इसके लिए वह धरती की तरफ आ रहे एस्टेरॉयड पर अपने सबसे बड़े रॉकेट से हमला करेगा. ताकि एस्टेरॉयड की दिशा बदल जाए. इस तरह चीन पूरी धरती को अंतरिक्ष की आफत बचाने की योजना बना रहा है. आइए जानते हैं कि चीन किस एस्टेरॉयड की बात कर रहा है? वह अपने किस रॉकेट से इस एस्टेरॉयड पर हमला करेगा? वह कैसे धरती को आर्मागेडॉन से बचाएगा?

धरती की तरफ एक बहुत बड़ा एस्टेरॉयड आ रहा है. ऐसी आशंका है कि यह धरती से टकरा सकता है. ऐसा हुआ तो धरती से जीवन समाप्त हो जाएगा, जैसे कि करोड़ों साल पहले डायनासोर मारे गए थे. इसलिए चीन की प्लानिंग है कि वह इस आफती एस्टेरॉयड पर 23 रॉकेटों से हमला करके उसकी दिशा बदल देगा, ताकि वह धरती के बगल से निकल जाए.
चीन जिस एस्टेरॉयड पर हमला करने की बात कर रहा है, उसका नाम है बेन्नू (Asteroid Bennu). यह एस्टेरॉयड
77,500,000,000 किलोग्राम यानी 7750 करोड़ किलोग्राम वजनी है. अब आप ही सोचिए कि अगर इतना बड़ा एस्टेरॉयड अगर धरती से टकराता है तो क्या होगा. ये तो पूरी पृथ्वी पर प्रलय मच देगा. अगर धरती के करीब से भी तेजी से निकल गया तो भी बड़ी तबाही आने का अंदेशा बना रहेगा. क्योंकि इसकी गति और धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बीच जो संघर्ष होगा वह पृथ्वी पर प्रलय लाने के लिए काफी होगा.
एस्टेरॉयड बेन्नू (Asteroid Bennu) धरती की कक्षा में साल 2175 से 2199 के बीच आने की आशंका है. यानी ये घटना 154 साल से 178 साल के बीच होगी. वैसे तो इसके धरती से टकराने की आशंका 2700 में एक बार ही है. लेकिन वैज्ञानिक किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते. यह एस्टेरॉयड अमेरिका के एंपायर स्टेट बिल्डिंग (Empire State Building) के आकार का है. इसकी ऊंचाई करीब 1454 फीट है. यानी इतना बड़ा और करोड़ों किलोग्राम वजनी एस्टेरॉयड अगर समुद्र में गिरा तो उससे उठने वाले पहली लहर ही पूरी दुनिया को समेट लेगी.
एस्टेरॉयड बेन्नू (Asteroid Bennu) अगर धरती से टकराता है तो वह करीब 1200 मेगाटन काइनेटिक ऊर्जा पैदा करेगा. यह हिरोशिमा पर गिरे परमाणु बम की ताकत से 80 हजार गुना ज्यादा ताकतवर होगा. अगर इसे डायनासोर को मारने वाले एस्टेरॉयड से तुलना करें तो उसने 100 मिलियन मेगाटन ऊर्जा पैदा की थी. उस हिसाब से एस्टेरॉयड बेन्नू कम ऊर्जा पैदा करेगा लेकिन इतना धरती पर तबाही मचाने के लिए काफी होगा.
चाइना नेशनल स्पेस साइंस सेंटर (China National Space Science Center - CNSSC) ने गणना की है कि एस्टेरॉयड बेन्नू को अपनी दिशा से अलग ले जाने के लिए 23 रॉकेट दागने पड़ेंगे. चीन इसके लिए अपना सबसे बड़ा रॉकेट लॉन्ग मार्च 5 (Long March 5) का उपयोग करेगा. यह एक रॉकेट 900 मीट्रिक टन यानी 9 लाख किलोग्राम वजन का है.
चीन ने कहा कि 23 लॉन्ग मार्च 5 (Long March 5) रॉकेट जब एस्टेरॉयड बेन्नू से टकराएंगे तब वह धरती से 9000 किलोमीटर की दूरी पर जाएगा. यानी अपनी धरती के रेडियस से 1.4 गुना ज्यादा दूर. यह स्टडी Icarus नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई है. बीजिंग स्थित नेशनल स्पेस साइंस सेंटर के स्पेस साइंस इंजीनियर और इस स्टडी के प्रमुख लेखक मिंगताओ ली ने कहा कि एस्टेरॉयड की टक्कर से धरती पर हमेशा खतरा बना रहता है. किसी एस्टेरॉयड की दिशा बदलना आसान काम नहीं है. लेकिन हमें भविष्य में यह काम करने के लिए तैयार रहना होगा.
मिंगताओ ली कहते हैं कि हम हॉलीवुड फिल्म आर्मागेडॉन की तरह एस्टेरॉयड बेन्नू पर एटम बम नहीं फोड़ सकते. उससे खतरा कम नहीं होगा, बल्कि बढ़ जाएगा. एटम बम के विस्फोट से टूटने वाले एस्टेरॉयड के टुकड़े अपनी दिशा नहीं बदल पाएंगे. कुछ न कुछ तो धरती की तरफ आएंगे ही, हो सकता है कि इस विस्फोट की ऊर्जा से उनकी गति और ज्यादा हो जाए. ज्यादा गति से अगर छोटी वस्तु भी धरती से टकराती है, तो वह बड़ा नुकसान कर सकती है.
अमेरिका के प्लान से चीन की योजना थोड़ी लंबी और महंगी है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने भी हाइपरवेलोसिटी एस्टेरॉयड मिटिगेशन मिशन फॉर इमरजेंसी रेसपॉन्स (HAMMER) बनाया है. जिसमें 30 फीट लंबे स्पेसक्राफ्ट को एस्टेरॉयड से टकराया जाएगा. नासा के सिमुलेशन के हिसाब से HAMMER स्पेसक्राफ्ट्स को 34-53 बार एस्टेरॉयड से टकराना होगा. यानी हर स्पेसक्राफ्ट एक-एक टक्कर मारेगा.
नासा का यह एक्सपेरीमेंट एस्टेरॉयड बेन्नू (Asteroid Bennu) के धरती से टकराने से 10 साल पहले शुरु किया जाएगा. ताकि हर टक्कर के साथ एस्टेरॉयड बेन्नू का मार्ग बदलता रहे. ये भी हो सकता है कि कम टक्कर से ही एस्टेरॉयड सुरक्षित दूरी बना ले. फिर अन्य स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी न करनी पड़े. इससे मेहनत, पैसे और इंफ्रास्ट्रक्चर की बचत होगी.
NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ESA ने एकसाथ मिलकर एस्टेरॉयड की दिशा बदलने वाली तकनीक पर काम शुरु किया है. इस मिशन को द डार्ट मिशन (Double Asteroid Redirection - The DART Mission) कहा जा रहा है. यह इस साल 24 नवंबर को लॉन्च किया जाएगा. इसमें एक स्पेस्क्राफ्ट को 1.10 करोड़ किलोमीटर दूर मौजूद डिडिमोस एस्टेरॉयड सिस्टम (Didymos Asteroid System) से टकराया जाएगा. नासा का स्पेस्क्राफ्ट एस्टेरॉयड से टकराएगा, वहीं ESA का स्पेसक्राफ्ट इस पूरी घटना की रिकॉर्डिंग करेगा.
एस्टेरॉयड बेन्नू (Asteroid Bennu) B-टाइप एस्टेरॉयड है. यानी इस एस्टेरॉयड में बहुत ज्यादा मात्रा में कार्बन मौजूद है. यह उस समय बना होगा जब धरती या सौर मंडल की उत्पत्ति हुई होगी. नासा के क्षुद्रग्रह पुनर्निर्देशन मिशन (Asteroid Redirect Mission)को रद्द कर दिया गया है. लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले ही सितंबर 2016 में OSIRIX-REX मिशन पृथ्वी से लॉन्च होकर एस्टेरॉयड 101955 बेन्नू की ओर बढ़ चुका है.
OSIRIX-REX मिशन इसी साल एस्टेरॉयड बेन्नू पर लैंडिग करेगा और वहां से नमूना एकत्रित कर साल 2023 तक वापस पृथ्वी पर पहुंचेगा. एस्टेरॉयड माइनर्स की इस मिशन पर बहुत सारी उम्मीदें टिकी है. इस तरह के मिशन की सफलता और इससे मिले नमूनों की शोध अंतरिक्ष में खनन का भविष्य तय करने में निर्णायक साबित होंगी.
लॉन्ग मार्च 5 (Long March 5) रॉकेट चीन का सबसे भरोसेमंद रॉकेट हैं. इसी रॉकेट की मदद से चीन ने कई सैटेलाइट लॉन्च किए है. इसी रॉकेट से उसने मंगल और चांद पर अपने प्रोब भेजे हैं. हालांकि इस रॉकेट ने हाल ही में उस समय काफी चिंता पैदा कर दी थी, जब वह अनियंत्रित तरीके से धरती की कक्षा में प्रवेश किया था. मई में 20 टन का लॉन्ग मार्च 5 रॉकेट अरब सागर में मालदीव्स के पास गिरा था. इसके पहले मई 2020 में इसके हिस्से आइवरी कोस्ट के दो गांवों पर गिरे थे.
CNEOS के मुताबिक जो एस्टेरॉयड 328 फीट यानी 100 मीटर से ज्यादा बड़ा होता है, उससे धरती पर खतरा रहता है. हालांकि धरती पर एस्टेरॉयड्स बड़े स्तर का नुकसान 10 हजार साल में एक बार करते हैं. अगर एक किलोमीटर आकार वाला कोई एस्टेरॉयड धरती से टकराता है तो वह पूरी धरती पर तबाही मचा सकता है. हालांकि, इतना बड़ा एस्टेरॉयड अभी तक धरती से कई करोड़ों साल में नहीं टकराया है.
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