विज्ञान

दुनियाभर में चीन ने फैलाया कोरोना वायरस? ड्रैगन पर वैज्ञानिकों को संदेह

Gulabi
28 May 2021 12:00 PM GMT
दुनियाभर में चीन ने फैलाया कोरोना वायरस? ड्रैगन पर वैज्ञानिकों को संदेह
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ड्रैगन पर वैज्ञानिकों को संदेह

पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाला कोरोनावायरस का जन्म आखिर कैसे और कहां हुआ? ये पहेली अभी भी बनी हुई है. साल भर गुजर जाने के बाद वैज्ञानिक एक बार फिर से इस रहस्य को सुलझाने की कोशिशों में लग गए हैं. वायरस की उत्पत्ति को लेकर दो अलग-अलग बातें कही जाती हैं. पहली ये कि शायद ये वायरस जानवरों, संभवतः चमगादड़ से पैदा हुआ और इंसानों में फैल गया. दूसरी बात ये कि ये वायरस चीन के वुहान वायरोलॉजी लैब से निकला है. कोरोना वायरस के जन्म के बारे में फिलहाल यही दो बातें सबको पता हैं.

पिछले कु दिनों से चीन की वुहान लैब एक बार फिर से चर्चा में है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कोविड-19 की उत्पत्ति की जांच करने के आदेश दिए हैं. बाइडन के इस आदेश के बाद चीन ने अमेरिका पर वायरस की उत्पत्ति के मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है.
वुहान लैब पर लोगों का ध्यान क्यों जा रहा है
वुहान लैब पर लोगों का ध्यान क्यों जा रहा है- वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी चीन का एक हाई सिक्योरिटी रिसर्च सेंटर है. यहां प्रकृति में पाए जाने वाले ऐसे रोगाणुओं पर स्टडी की जाती है जो इंसानों को खतरनाक और नई बीमारियों से संक्रमित करने की क्षमता रखते हैं.
वुहान लैब पर लोगों का ध्यान
2002 में SARS-CoV-1 वायरस भी वुहान के इसी लैब से निकला था. उस समय दुनिया भर में इससे 774 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद से इस लैब ने चमगादड़ से पैदा होने वाले वायरस पर बहुत काम किया है. काफी सालों की खोज के बाद वैज्ञानिकों ने दक्षिण-पश्चिम चीन की चमगादड़ों की गुफा में सार्स जैसा ही वायरस पाया था.
वुहान लैब के वैज्ञानिक तरह-तरह के प्रयोग के लिए वन्यजीवों के जेनेटिक मैटेरियल इकट्ठा करते हैं. इंसानों पर इसका क्या असर पड़ सकता है, ये जानने के लिए यहां के वैज्ञानिक जानवरों में पाए जाने वाले जिंदा वायरस के साथ प्रयोग करते हैं.
ये वायरस गलती से भी लैब से बाहर ना आ जाए, इसके लिए सुरक्षा के सख्त प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है. जैसे कि प्रोटेक्टिव किट पहनना और अच्छे एयर फिल्ट्रेशन का ध्यान रखना. हालांकि सुरक्षा के तमाम उपायों के बाद भी वायरस के लैब से बाहर निकल जाने का खतरा बरकरार रहता है.
कुछ वैज्ञानिकों को लैब पर संदेह क्यों है- कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि लापरवाह लैब वर्कर्स की वजह से इस खतरनाक वायरस के लैब से बाहर आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. वुहान लैब चीन की प्रमुख रिसर्च फैसिलिटी है जो SARS पर रिसर्च करती है. ये लैब हुआनन सीफूड से ज्यादा दूर नहीं है. कोरोना के शुरूआती दौर में इस जगह को भी वायरस का केंद्र माना जा रहा था.
कई लोगों ने इस बात की संभावना जताई थी कि हुआनन सीफूड मार्केट से वायरस जानवरों से इंसानों में फैल गया होगा. COVID-19 भी सबसे पहले इसी बाजार में फैला था. लैब से इस बाजार की नजदीकी, चीन के वैज्ञानिकों का एक ही वायरल वंश से संक्रमित वन्यजीवों की पहचान ना कर पाना और चीनी सरकार का लैब-रिसाव की जांच करने की अनुमति ना देना, इन सभी बातों ने वुहान लैब पर संदेह बढ़ाने का काम किया.
वैज्ञानिकों और अन्य लोगों का ये अनुमान लाइव वायरस लैब रिसर्च के खतरों, वायरस के जीनोम से मिले संकेत और संस्थान के शोधकर्ताओं द्वारा की गई स्टडीज पर आधारित है. हालांकि वुहान लैब के वैज्ञानिकों का कहना था कि उस समय वो लोग SARS-CoV-2 पर कोई रिसर्च नहीं कर रहे थे. बावजूद इसके दुनिया भर 24 शोधकर्ताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को लैब की स्वतंत्र जांच कराने के लिए पत्र लिखा था. पत्र में ये भी लिखा था कि WHO चीन की गहराई से जांच कराने में विफल रहा है
अमेरिका की एक फैक्ट शीट में बिना किसी सबूत के आरोप लगाया गया है कि दिसंबर 2019 में सार्वजनिक रूप से कोरोना का पहला मामला आने से पहले वुहान लैब के कई शोधकर्ता COVID-19 या सामान्य मौसमी बीमारियों जैसे लक्षणों से ही बीमार पड़े थे.
5 मई को वैज्ञानिक निकोलस वेड ने बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट पत्रिका में लिखा कि वायरस पर प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक कभी-कभी 'फ्यूरिन क्लीवेज साइट' सीक्वेंस को वायरस के जीनोम में इस तरह मिलाते हैं कि वो और अधिक संक्रामक हो जाता है. इस आर्टिकल का जिक्र करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता वायरोलॉजिस्ट डेविड बाल्टिमोर ने कहा कि जब उन्होंने SARS-CoV-2 जीनोम का सीक्वेंस देखा, तो उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि उन्हें वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने का जरिया मिल गया है.
वायरस के प्राकृतिक होने का तर्क- कई वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ये वायरस प्राकृतिक रूप से पैदा हुआ. इनका कहना है कि इस बात का कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है जिससे ये माना जा सके कि ये वायरस लैब से निकला है. कोरोनावायरस पर रिसर्च करने वाले और इबोला और अन्य रोगजनकों पर व्यापक काम करने वाले स्क्रिप्स रिसर्च के एक वैज्ञानिक क्रिस्टियन जी एंडरसन लैब थ्योरी को मानने से इंकार करते हैं. एंडरसन का कहना है कि इस तरह की जीनोम सीक्वेंसिंग कोरोनावायरस में प्राकृतिक रूप से होती है और प्रयोग के लिए इसमें किसी भी तरह का हेरफेर किए जाने की संभावना नहीं है.
वायरस को प्राकृतिक मानने वाले वैज्ञानिक काफी हद तक पिछली महामारियों के इतिहास को मानते हैं. इनका कहना है कि पिछली सदी की कुछ सबसे घातक बीमारियां जानवरों से ही इंसानों में फैली थीं. जैसे कि सबसे पहली बार आई सार्स महामारी या अन्य स्तनधारी जानवरों) और निपाह वायरस भी चमगादड़ों से ही फैला था.
क्या कोई नई जानकारी सामने आई है- वैज्ञानिकों के एक समूह ने 4 मार्च को WHO को एक पत्र लिखकर वुहान लैब रिसाव थ्योरी पर एक बार फिर से ध्यान देने को कहा था. हालांकि इसके पक्ष में वैज्ञानिकों की तरफ से कोई नए सबूत नहीं दिए गए. ना ही इस वायरस की प्राकृतिक उत्पत्ति का कोई निश्चित प्रमाण सामने आया है.
26 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि उनके राष्ट्रीय सुरक्षा कर्मचारियों के पास कि किसी भी सिद्धांत को मानने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है. बाइडन ने अपने खुफिया अधिकारियों को इस पर और जानकारी एकत्र करने के निर्देश दिए हैं.
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