विज्ञान

चीन जीन्स में बदलाव कर बना रहा नए जानवर, PLA की देखरेख में हो रही रिसर्च

Apurva Srivastav
6 Jun 2021 5:12 PM GMT
चीन जीन्स में बदलाव कर बना रहा नए जानवर, PLA की देखरेख में हो रही रिसर्च
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कोरोना महामारी के बाद चीन द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्रयोगशालाओं का उपयोग सुर्खियों में है

कोरोना (Corona) महामारी के बाद चीन द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्रयोगशालाओं (Labs) का उपयोग सुर्खियों में है. कोरोना से दुनियाभर में लाखों लोगों की जान गई है और एक थ्योरी (Theory) के तहत वायरस की उत्पत्ति का संदेह वुहान की लैब (Wuhan Lab) पर है. इसी बीच एक विशेषज्ञ ने म्यूटेटेड जीन (Mutated Gene) के साथ पैदा होने वाले बंदरों पर बीजिंग (Beijing) के प्रयोगों की ओर इशारा किया है.

एक लेखक और पत्रकार जैस्पर बेकर, जिन्होंने 20 सालों तक चीन को कवर किया है, ने प्रयोगशालाओं की 'ढीली' बायोसिक्योरिटी पर की गई रिपोर्ट्स की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये सबूत है कि कोरोनावायरस ऐसी ही लैब से निकला है. तमाम सबूतों के बीच चीन की सरकार ने इस बात का खंडन किया है कि 'वायरस मानव निर्मित है.'
कोरोना (Corona) महामारी के बाद चीन द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्रयोगशालाओं (Labs) का उपयोग सुर्खियों में है. कोरोना से दुनियाभर में लाखों लोगों की जान गई है और एक थ्योरी (Theory) के तहत वायरस की उत्पत्ति का संदेह वुहान की लैब (Wuhan Lab) पर है. इसी बीच एक विशेषज्ञ ने म्यूटेटेड जीन (Mutated Gene) के साथ पैदा होने वाले बंदरों पर बीजिंग (Beijing) के प्रयोगों की ओर इशारा किया है.
एक लेखक और पत्रकार जैस्पर बेकर, जिन्होंने 20 सालों तक चीन को कवर किया है, ने प्रयोगशालाओं की 'ढीली' बायोसिक्योरिटी पर की गई रिपोर्ट्स की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये सबूत है कि कोरोनावायरस ऐसी ही लैब से निकला है. तमाम सबूतों के बीच चीन की सरकार ने इस बात का खंडन किया है कि 'वायरस मानव निर्मित है.'
चीन ने बनाए 'Genetically-engineered' जानवर
बेकर का दावा है कि वुहान में वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से पहले हजारों 'Genetically-engineered' जानवर बनाए हैं. इन भयानक संस्थानों में बंदरों और खरगोशों को जीन-परिवर्तित वायरस का इंजेक्शन लगाया जाता है, जिनमें से कुछ SARS-CoV-2 के समान होते हैं. रविवार को 'द मेल' के लिए लिखते हुए बेकर ने लिखा कि सच यह है कि चीन में उन सभी तरह के प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जाता है, जिनकी दुनिया में कहीं और अनुमति नहीं है.
उनका दावा है कि चीनी वैज्ञानिक अपने लैब में 'खतरनाक' और 'अनैतिक' जोखिम उठा रहे हैं. उन्होंने लिखा कि जब से आकर्षक वैश्विक बायोटेक निवेश में उछाल आया है ऐसा लगता है कि चीनी रिसर्चर्स जानवरों और यहां तक कि इंसानों पर भी और ज्यादा खतरनाक जोखिम उठा रहे हैं, जिन्हें ज्यादातर पश्चिमी देशों में अनैतिक माना जाएगा.
PLA की देखरेख में हो रही रिसर्च
बेकर का कहना है कि चीन के प्रयोगशाला कार्य की देखरेख पीपुल्स लिबरेशन आर्मी करती है, जो दो क्षेत्रों की निगरानी करती है. पहला 'जीन-संशोधन' जिससे बेहतर 'सैनिक' बनाए जा सकते हैं और दूसरा जीन-संपादित सूक्ष्म जीव जो जैविक हथियार बना सकते हैं जिनका कोई इलाज नहीं है.
उन्होंने कहा कि चीन वानरों और बंदरों पर रिसर्च की राजधानी बन गया है, जिसके पीछे यह तर्क है कि इंसानी दिमाग को समझने के लिए ये सबसे बेहतर जानवर हैं. शंघाई में इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस (आईओएन) ने 2019 में एक वयस्क मकाक से पांच शिशु बंदरों का क्लोन बनाया, जो 'Genetically-Edited' थे. नतीजा यह हुआ कि बेबी प्राइमेट एक ऐसे उत्परिवर्तन के साथ पैदा हुए जिसने उनके नींद चक्र को बिगाड़ दिया.
'सच्चाई' से आ सकती है क्रांति
बंदरों को उनके मस्तिष्क विकारों के इलाज के लिए नई दवाएं देकर शोधकर्ता अल्जाइनर जैसी बीमारियों के लिए इलाज विकसित करने की उम्मीद कर रहे हैं. बेकर का कहना है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी वायरस की उत्पत्ति के बारे में झूठ बोलना जारी रखेगी, क्योंकि सच्चाई एक क्रांति को जन्म दे सकती है.


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