विज्ञान

China खोजने जा रहा है दूसरी धरती, शी जिनपिंग की सरकार के पास है प्लान

Tulsi Rao
13 April 2022 5:33 PM GMT
China खोजने जा रहा है दूसरी धरती, शी जिनपिंग की सरकार के पास है प्लान
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन अपनी तकनीकी इनोवेशन और हिम्मत भरे मिशन के लिए जाना जाता है. सफलता और फेल होने के डर के बावजूद मंगल और चांद तक पहुंच गया. अपना खुद का स्पेस स्टेशन बना रहा है. अब चीन की प्लानिंग है कि वो दूसरी धरती खोजेगा. ताकि जरूरत पड़ने पर अपने लोगों को वहां भेज सके. इसे लेकर चीन की सरकार के पास एक प्लान भी है.

बीजिंग की योजना है कि वो हमारे सौर मंडल से बाहर ऐसे ग्रह को खोजेगा जो धरती की तरह जीवन के लिए उपयुक्त हो. यानी सौर मंडल से बाहर लेकिन हमारी आकाशगंगा के अंदर किसी तारे के आसपास चक्कर लगाता हुआ ऐसा बाहरी ग्रह (Exoplanet) जहां पर जीवन की उम्मीद की जा सके. या वहां पर जीवन पनप सके.
चीन को लगता है कि अगले कुछ दशकों में धरती की हालत खराब होने वाली है, ऐसे में वो अपने लोगों को दूसरी धरती पर पहुंचाने की प्लानिंग कर रहा है. इसे लेकर एक रिपोर्ट Nature जर्नल में प्रकाशित हुई है. यह आइडिया चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (Chinese Academy of Sciences) का है.
जून महीने में दूसरी धरती खोजने का काम आधिकारिक तौर पर शुरू भी होगा, अगर सरकार से अनुमति मिली तो इस मिशन के लिए डेवलपमेंट फेज की शुरुआत की जाएगी. उसके लिए फंडिंग आदि की व्यवस्था की जाएगी. सैटेलाइट्स बनाए जाएंगे, जो सौर मंडल के बाहर दूसरी धरती की खोज करने जाएगा. इसके अलावा वह यह भी देखेगा कि जो ग्रह खोजा गया है, वो जीवन के लायक है या नहीं. उस पर इंसान रह सकता है या नहीं.
सौर मंडल के बाहर जाने वाला सैटेलाइट बाहरी ग्रह (Exoplanet) की रासायनिक सरंचना की जांच करेगा. ताकि यह पता चल सके कि ये केमिकल्स जीवन की उत्पत्ति और उनके लगातार चलते रहने को सपोर्ट करेंगे या नहीं. इसके अलावा चीन कुछ टेलिस्कोप पर भी काम कर रहा है, वो इनके जरिए भी जीवन लायक ग्रहों की खोज करेगा.
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज की रिपोर्ट के मुताबिक चीन सात टेलिस्कोप की मदद से सौर मंडल के बाहर दूसरी धरती (Second Earth) की खोज करेगा. इन टेलिस्कोप के जरिए वह वैसे ग्रहों की खोज करेगा, जैसा कि केपलर मिशन (Kepler Mission) ने खोजा था. दूसरी धरती की खोज करने वाली टीम में शामिल प्रमुख एस्ट्रोनॉमर जियान जी कहते हैं कि केपलर की ताकत कम थी. हमारे पास उसका अच्छा डेटा मौजूद है.
जियान ने कहा कि हमारा सैटेलाइट नासा के केपलर टेलिस्कोप से 1015 गुना ज्यादा ताकतवर होगा. हमारा स्पेसक्राफ्ट ट्रांजिट मेथड के जरिए काम करेगा. वह रोशनी में होने वाले छोटे से बदलाव को भी पकड़ लेगा. हमारे छह टेलिस्कोप 500 वर्ग डिग्री के आसमान में 12 लाख तारों की स्टडी करेगा. इसमें कम रोशनी वाले तारे भी शामिल होंगे. जबकि, नासा का ट्रांजिटिंग एक्जोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) से बेहतर होगा.
सातवां यंत्र एक ग्रैविटेशनल माइक्रोलेंसिंग टेलिस्कोप होगा, जो ऐसे ग्रहों की खोज करेगा जो नेपच्यून और प्लूटो जैसे या उसने समानता रखते हों. या फिर वो अपने तारे से बहुत दूर हों. आपको बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अब तक पांच हजार से ज्यादा बाहरी ग्रह (Exoplanet) की खोज की है. ये सभी हमारी आकाशगंगा गैलेक्सी में मौजूद हैं.
हैरानी की बात ये है कि इन ग्रहों की सिर्फ खोज हुई, उन पर किसी तरह की स्टडी नहीं हुई है. स्टडी की जा रही है. जो ग्रह मिले हैं, उनमें छोटे-बड़े हर तरह के ग्रह हैं. उनका कंपोजिशन और व्यवहार भी अलग-अलग है. इनमें से कुछ पथरीले हैं. कुछ छोटे हैं, कुछ बृहस्पति ग्रह की तरह गैस से बने हैं. ये अपने तारों के आसपास चक्कर लगा रहे हैं.
इतने ज्यादा बाहरी ग्रह (Exoplanet) के बीच जहां पर कई सुपर अर्थ और मिनी नेपच्यून हैं, वहां पर चीन को पहले ही कुछ सालों में एक दर्जन से ज्यादा दूसरी धरती मिलने की उम्मीद है. जियान जी ने कहा कि हमारे पास काफी डेटा है, हम उसी आधार पर खोजबीन शुरू करेंगे. दूसरी धरती मिलने से बेहतर अंतरराष्ट्रीय समझौते हो सकेंगे. (फोटोः गेटी)


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