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उपग्रहों की स्थिति पर निगरानी
पिछले महीने एक चीनी उपग्रह (Chinese Satellite) अंतरिक्ष में देगा गया जब वह एक लंबे समय से खत्म हो चुके उपग्रह (Dead Satellite) को पकड़ रहा था और कुछ दिनों के बाद उसी चीनी उपग्रह ने चीन के ही मृत उपग्रह 300 किलोमीटर दूर की एक ऐसी कक्षा में फेंका जहां से चीजों के उपग्रह अंतिरक्ष यान से टकराने की संभावना बहुत ही कम है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह अंतरिक्ष कचरा (Space Debris) साफ करने की कवायद तो अच्छी बात है. लेकिन कुछ अमेरिकी विशेषज्ञों ने चीन की इस मंशा पर संदेह भी जताया है कि इस तकनीक का दुरुपयोग भी किया जा सकता है.
उपग्रहों की स्थिति पर निगरानी
ये दर्लभ घटनाओं की जानकारी डॉ बेरिन फ्लेवेलिंग ने पिछले महीने सेंटर ऑफ स्ट्रेटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज और सिक्योर वर्ल्ड फाउंडेशन के एक वेबिनार में दी थी. फ्लेवेलिंग एक अमेरिकी निजी कंपनी एक्जोएनासिलटिक सॉल्यूशन्स के चीफ स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस आर्कीटेक्ट हैं. यह कंपनी दुनिया में ऑप्टिक टेलीस्कोप नेटवर्क के जरिए उपग्रहों की स्थिति पर निगरानी रखती है.
एक दूसरे उपग्रह से जुड़ा एक
पिछले महीने की 22 तारीख को एक चीनी एसजे-21 उपग्रह अंतरिक्ष मे अपनी सामान्य स्थिति को बदलता देखा गया था. वह खारिज किए जा चुके कम्पास जी2 की ओर गया और कुछ दिनों बाद जी2 से जुड़े एसजे -21 ने अपनी कक्षा ही बदल दी. अभी तक चीनी अधिकारियों ने अंतरिक्ष में हुई इस घटना की पुष्टि नहीं की है.
चीन के ही हैं दोनों यान
एक्सोएनालिटिक की एक वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि इसके कुछ दिनों के बाद अंतरियानों का यह जोड़ा पश्चिम की ओर जाता दिखा और 26 जनवरी तक दोनों उपग्रह अलग हो गए और जी2 दूर अंतरिक्ष में फेंक दिया गया. कम्पास जी2 या बेईडोउ-2 चीन का बेईडोउ 2 नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का अंतरिक्ष यान है.
वापस अपनी जगह पर
कम्पास जी2 साल 2009 में प्रक्षेपण के कुछ समय बाद ही नाकाम हो गया था. इसके बाद अगले 10 सालों से ज्यादा समय तक यह लाखों करोड़ों कचरे के टुकड़ों के साथ पृथ्वी की चक्कर लगा रहा था. वहीं एसजे-21 को अक्टूबर 2021 को ही प्रक्षेपित किया गया था. अब यह यान जियो स्टेशनरी ऑर्बिट में वापस लौट चुका है और कांगो बेसिन के ठीक ऊपर पहुंच गया है.
क्या होता है जियोस्टेशनरी ऑर्बिट
जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में उपग्रह पृथ्वी की भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर उसी गति से घूमता है जिससे पृथ्वी घूम रही होती है. इससे पृथ्वी के नजरिए से सैटेलाइट स्थिर ही रहता है. इस तरह की कक्षा का क्लार्क कक्षा भी कहते हैं. यह नाम इसे अंग्रेजी विज्ञान फंतासी लेखक आर्थर सी क्लार्क के नाम पर रखा गया है.
गलत नहीं है कचरा साफ करना
अंतरिक्ष में कचरा साफ करने के उद्देश्य से कई देश नई तकनीकों पर काम कर रहे हैं. इसमें कुछ भी गलत नही है. जापान ने मार्च 2021 में ELSA-d अभियान प्रक्षेपित किया था जिसे अंतरिक्ष के अवशेषों को पकड़ने और हटाने की तकनीकों का परीक्षण करने के लिए डिजाइन किया गया था. यूरोपीय स्पेस एजेंसी की भी साल 2025 क अपने ही एक कचरा उन्मूलन अभियान को लॉन्च करने की है.
कई अमेरिकी अधिकारियों ने एसजे-21 जैसे कचरा फेंकने वाले सैटेलाइट पर संदेह जताया है. अमेरिकी स्पेस कमांड के कमांडर ने पिछले साल अप्रैल में कहा था कि चीन की एसजे-21 की तकनीक को भविष्या में दूसरे सैटेलाइट उठाने में उपयोग हो सकता है. पिछले साल ही इस बात पर संदेह जताया गया था कि रूप और चीन मिलकर काउंटर स्पेस क्षमताएं विकसित करने में लगे हैं. लेकिन चीन सहित दुनिया के कई देशों द्वारा बनाए जा रहे ऑन ऑर्बिट, सर्विसिंग, असेंबली एंड मैन्युफेक्चरिंग (OSAM) सैटेलाइट में से एक है.
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