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अंतरिक्ष के क्षेत्र में चीन (China) की खुद को अमेरिका और रूस के समकक्ष खड़ा करने की महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है
अंतरिक्ष के क्षेत्र में चीन (China) की खुद को अमेरिका और रूस के समकक्ष खड़ा करने की महत्वाकांक्षा किसी से छिपी नहीं है. पिछले कुछ सालों में चीन ने इस दिशा में बड़े कदम उठाए हैं. चंद्रमा (Moon) से मिट्टी के नमूने लाना, मंगल ग्रह (Mars) पर रोवर उतारने जैसे बड़े काम वह पहले ही कर चुका है. अब वह खुद का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तैयार करने में काफी काम कर चुका है. उसका प्रमुख मोड्यूल स्थापित है और उसमें तीन चीनी यात्री पहुंच भी चुके हैं. अब चीन ने मंगल ग्रह पर मानव अभियान (Human Mission) भेजने की योजना का खाका तैयार कर लिया है.
किसने दी जानकारी
चीन के इस मानव अभियान के रोडमैप का खुलासा चीन के ही प्रमुख रॉकेट निर्माता ने किया है. इस प्रारूप में ना केवल भविष्य में मंगल के अनवेषण के लिए मानव अभियान शामिल है बल्कि मंगल पर एक बेस बनाने का कार्यक्रम भी शामिल है. चीनी सरकार के चाइना एकेडमी ऑफ लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी (CALT) कैल्ट के प्रमुख वांग जियाओजुन ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी अपने भाषण में दी जो 'द स्पेस ट्रांस्पोर्टेशन सिस्टम ऑफ ह्यूमन मार्स एक्प्लोरेश' की थीम पर आधारित था.
तीन चरणों में होगा यह अभियान
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक जियाओजुन ने इस योजना के बारे में ग्लोबल एक्सप्लोरेशन कॉन्फ्रेंस (GLEX 2021) में बताया. इस कार्यक्रम में वे अपनी प्रस्तुति वर्चुअल लिंक के जरिए दे रहे थे. चीन के पहले अंतरग्रहीय अन्वेषण कार्यक्रम तियानवेन-1 प्रोब अभियान की सफलता की समीक्षा के बाद वांग ने भावी मंगल अभियान के तीन चरणों के बारे में बताया.
पहले दो चरणों में ही मंगल पर चीनी लोग
शुरुआती दौर को तकनीकी तैयारी चरण कहा जाएगा जिसमें एंड्रायड्स को प्रक्षेपित किया जाएगा जिसे तहत मंगल से मिट्टी के नमूनों को पृथ्वी पर लाया जाएगा. और मंगल पर बेस बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान का अवलोकन किया जाएगा. इसके अगले चरण में मंगल पर मानव अभियान भेजा जाएगा और मंगल पर बेस बनाने का काम शुरू होगा.
चीन मंगल (Mars) पर पहले ही अपना रोवर उतार चुका है. (फाइल फोटो)
तीसरे चरण में होगा बड़ा काम
तीसरे चरण में पृथ्वी से मंगल पर बड़े पैमाने पर कार्गो बेड़ा भेजा जाएगा और बड़े पैमाने पर लाल ग्रह में विकास कार्य होगा. एकेडमी का कहना है कि इन अभियानों की क्रमावली साल 2033, 2035, 2037, 2041 और 2043 होगी जिसमें अन्य प्रक्षेपण भी शामिल होंगे. एकेडमी प्रमुख का कहना है कि मानव मंगल अभियान के लिए मुख्य विकल्प के रूप में नाभकीय प्रोपेलैंट पर विचार किया जा रहा है.
खास तरह का लैडर सिस्टम
वांग के मुताबिक एक स्काई लैडर सिस्टम का अध्ययन किया जा रहा है जो इस तरह की लंबी अंतरिक्ष यात्रा के लिए शुरुआती बिंदु होगा. इसके जरिए मंगल पर प्रोब और परिवहन अभियानों को कम किया जाएगा. एकेडमी ने स्काई लैडर सिस्टम के बारे में विस्तार से नहीं बताया. इस तरह की तकनीकों के बारे में पहले भी चर्चा की जा चुकी है. कई वैज्ञानिक मानते हैं कि इनसे मानव और सामान को चंद्रमा पर आज की कीमत के केवल चार प्रतिशत लागत पर ही भेजा जा सकेगा.
जल्दी ही मंगल पर अभियान भेजने की होड़ देखने को भी मिल सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कैसे करेगा यह काम
सिन्हुआ ग्लोबल सर्विस ने एक कम्प्यूटर ग्राफिक फुटेज के जरिए इस प्रक्रिया को दर्शाया है. इसमें एक मानव या कार्गो अंतरिक्ष कैप्सूल कार्बन नैनोट्यूब लैडर के जरिए यात्रा कर रहा है जिससे वह स्पेस स्टेशन तक पहुंचता है इसके बाद वह स्पेस स्टेशन से पुनः प्रक्षेपित किया जाता है. इसके बाद कैप्सूल दूसरे स्पेस स्टेशन पहुंचेगा और वहां से दूसरी बार प्रक्षेपित होकर चंद्रमा तक पहुंचेगा.
NASA क्यों खोज रहा है चंद्रमा की धूल से निपटने के तरीके
चीन की स्पेस एजेंसी सीएनएसए के अनुसार चीन ने जून के शुरुआत में ही खुलासा किया था कि वह भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की योजनाएं बना रहा है जिसमें क्षुद्रग्रहों के अन्वेषण के साथ ही जोवियन सिस्टम, मंगल से नमूने लागे और चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों का अध्ययन शामिल होगा. चीन का इरादा मंदल से नमूने वापस लाने का अभियान और जोवियन सिस्टम एक्प्लोरेशन अभियान साल 2030 तक प्रक्षेपित करने का है.
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