विज्ञान

कान की तस्वीर हो रही वायरल, जानें माजरा

jantaserishta.com
30 Jun 2022 2:37 AM GMT
कान की तस्वीर हो रही वायरल, जानें माजरा
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

लंदन: इस तस्वीर में जो कान दिख रहा है. वो असल में कहीं जमीन पर कटा हुआ नहीं पड़ा है. बल्कि पेड़ से लटक रहा है. ध्यान से जरा फोटो का बैकग्राउंड देखिए. पेड़ों की छाल दिखाई देगी. पेड़ों से लटकने वाले इसे इंसानी 'कान' का उपयोग 19वीं और 20वीं सदी में इलाज के लिए भी किया जाने लगा था. असल में यह एक फंगस (Fungus) है. जो यूरोप के पेड़ों पर उगती है. कुछ लोग इसे इंसानी कान वाला मशरूम भी बुलाते हैं. वैज्ञानिक नाम ऑरिक्यूलेरिया ऑरिकुला-जुडे (Auricularia auricula-judae) है. लेकिन आमतौर पर इसे जेली इयर (Jelly Ear) नाम से भी पुकारते हैं. यह पूरे यूरोप में उगने वाला एक फंगस है.

जेली इयर को 19वीं सदी में कुछ बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता था. गले में खराश, आंखों में दर्द और पीलिया जैसी दिक्कतों से राहत दिलाने के लिए इसका उपयोग होता था. इंडोनेशिया में इससे इलाज की शुरुआत 1930 के दशक में शुरु हुआ था. यह पूरे साल यूरोप में पाई जाती है. आम तौर पर चौड़ी पत्ती वाले पेड़ों और झाड़ियों की लकड़ी पर उगती है. सबसे पहले चीन और पूर्वी एशिया के देशों में इसकी खेती की गई. वहां से फिर यूरोप में पहुंच गई. यह फंगस किसी भी मौसम के हिसाब से खुद को बदल सकता है. अपना डीएनए भी बदल लेता है.
19वीं सदी के ब्रिटेन में कहा गया था कि इसे कभी भी खाया नहीं जा सकता. लेकिन पोलैंड में लोग इसका सेवन करते थे. कच्ची जेली इयर खाने लायक नहीं होती. इसे अच्छी तरह से पकाना होता है. इसके सूखने के बाद अच्छी मात्रा में पौष्टिक तत्व मिलते हैं. 100 ग्राम जेली इयर में 370 कैलोरी होती है, जिसमें 10.6 ग्राम प्रोटीन, 0.2 ग्राम वसा, 65 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 0.03% मिलीग्राम कैरोटीन होता है. ताजे जेली इयर में लगभग 90% नमी होती है.
जेली इयर सामान्य रूप से 3.5 इंच लंबी और 3 मिमी मोटी होती है. यह अक्सर कान के आकार की होती है. कभी-कभी कप के आकार की भी दिखती है. इसकी ऊपरी सतह लाल-भूरे रंग की होती है, बैंगनी रंग भी दिखता है कभी-कभी. यह बेहद चिकनी होती है. सिलवटों और झुर्रियों के साथ लहरदार होती है. समय बीतने पर इसका रंग गहरा हो जाता है. यह सबसे ज्यादा गूलर के पेड़ पर उगती है.
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