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क्या टीके की दोनों डोज लेने वाले भी फैला सकते हैं संक्रमण? पढ़ें पूरी खबर

Gulabi
29 Oct 2021 1:42 PM GMT
क्या टीके की दोनों डोज लेने वाले भी फैला सकते हैं संक्रमण? पढ़ें पूरी खबर
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अगर आपने कोरोना रोधी टीका लगवा लिया है तो भी लापरवाह होने की जरूरत नहीं है

अगर आपने कोरोना रोधी टीका लगवा लिया है तो भी लापरवाह होने की जरूरत नहीं है, खासकर तब जब आप आफिस, कार्यस्थल या किसी बंद जगह पर कई लोगों के साथ ज्यादा समय तक रहते हैं। कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों को भी अपनी चपेट में ले सकता है और उनके जरिये दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है।


चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। हालांकि, अध्ययन के मुताबिक वैक्सीन नहीं लेने वालों की तुलना में टीकाकरण वाले लोगों से संक्रमण फैलने की दर कम रहती है और उनकी बीमारी गंभीर भी नहीं होती।

इस अध्ययन के नतीजों से उन सवालों के जवाब भी मिल रहे हैं, जो टीका लगवाने और घरों में रहने वाले लोगों के संक्रमित होने पर उठ रहे हैं। ब्रिटेन के इंपीरियल कालेज लंदन की तरफ से कराए गए अध्ययन के मुताबिक टीका लगवाने वाले और टीका नहीं लगवाने वालों में संक्रमण के समय वायरस की मात्रा लगभग बराबर होती है। परंतु, टीका लेने वाले व्यक्ति में संक्रमण तेजी से कम होता है और वह जल्द ठीक हो जाता है। इससे यह भी पता चलता है कि कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण कितना अहम है।

अध्ययन करने वाली टीम के सह-अगुआ और इंपीरियल कालेज लंदन के प्रोफेसर अजीत लालवानी कहते हैं, 'महामारी की रोकथाम के लिए वैक्सीन बहुत महत्वपूर्ण है। जैसा कि हम जानते हैं वैक्सीन कोरोना संक्रमण के चलते गंभीर बीमारी और मौतों को रोकती है।'
हालांकि, लालवानी ने यह भी कहा कि अध्ययन में यह भी देखने को मिला कि कोरोना से सुरक्षा के लिए सिर्फ वैक्सीन ही पर्याप्त नहीं है। यह जरूरी है कि अभी तक जिन लोगों को टीका नहीं लगा है, उन्हें जल्द से जल्द टीका लगाया जाए ताकि उन्हें संक्रमित होने से बचाया जा सके। ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण से संक्रमण के फैलने की दर कम होगी और उसकी रफ्तार भी धीमी पड़ेगी।

अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक टीका लगवाने के बाद भी लोगों को बचाव के लिए मास्क पहनना और शारीरिक दूरी बनाए रखना जरूरी है। इसके अलावा समय समय पर कोरोना जांच भी कराते रहना चाहिए।

यह अध्ययन पिछले साल सितंबर से इस साल सितंबर के बीच 621 लोगों पर किया गया था। इन लोगों में हल्का संक्रमण था या बिना लक्षण वाले थे। इनका प्रतिदिन पीसीआर टेस्ट किया जाता था, ताकि संक्रमण की मात्रा का पता लगाया जा सके।
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