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दुनिया के सबसे तेजी से उड़ने वाले विमान कोनकोर्ड को बंद हुए दो दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है
दुनिया के सबसे तेजी से उड़ने वाले विमान कोनकोर्ड को बंद हुए दो दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है। हालांकि अब एक बार फिर से सुपरसोनिक यात्रा की मांग तेज होती जा रही है। दुनियाभर में कई सुपरफास्ट विमानों का विकास चल रहा है। कई कंपनियां अगले कुछ सालों में सुपरसोनिक विमानों को फिर से उड़ाने के लिए तैयार हैं। इन सबके बीच अब चर्चा हाइपरसोनिक विमानों की तेज हो गई है। जी हां, ध्वनि की पांच गुना ज्यादा रफ्तार से उड़ने वाले ये प्लेन क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं और मात्र 30 मिनट में दिल्ली से मुंबई पहुंचा सकते हैं।
इतनी दूरी को तय करने में कोनकोर्ड को एक घंटे और साधारण विमानों को करीब दो घंटे लग जाते हैं। अमेरिका के अटलांटा स्थित एक स्टार्टअप हर्मेस अब हाइपरसोनिक विमानों के विकास में लग गया है। उसका मानना है कि हाइपरसोनिक विमानों का विकास संभव है। यह स्टार्टअप पहले ही एक नए तरीके के इंजन का परीक्षण कर रहा है। कंपनी का मानना है कि यह इंजन मैक-5 की स्पीड पाने में मददगार साबित होगा।
'बिजनस क्लास और फर्स्ट क्लास के यात्रियों पर फोकस कर रहे'
इस इंजन को अभी छोटे और मानवरहित हाइपरसोनिक एयरक्राफ्ट हर्मेस के लिए डिजाइन किया गया है। हालांकि बाद में इसे बड़े आकार के विमानों के लिए भी डिजाइन किया जा सकता है जिससे यात्री विमानों को भी उड़ाया जा सकता है। इस प्रयास के बाद भी यात्री विमान अभी दूर का रास्ता है। हर्मेस का इरादा वर्ष 2029 तक पहली टेस्ट फ्लाइट को उड़ाने का है। शुरुआत में इसे अभी 100 यात्रियों के लिए डिजाइन किया गया है।
हर्मेस के सीईओ एजे पिपलिका ने कहा कि हमने एक एयरलाइन के लिए एक बिजनस मॉडल तैयार किया है। हम बिजनस क्लास और फर्स्ट क्लास के यात्रियों पर फोकस कर रहे हैं। इसके बाद अन्य मानदंडों जैसे स्पीड और ऑपरेटिंग में आने वाले खर्च पर ध्यान दिया जाएगा। इस विमान में 20 पैसेंजर केबिन बनाए जा सकते हैं। यह किसी विशाल बिजनस जेट की क्षमता से बहुत ज्यादा दूर नहीं है। हम आशा करते हैं कि यह बिजनस के लिहाज से लाभदायक होगा। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि इतनी स्पीड में कितने लोग यात्रा करना चाहते है
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