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सरहद पर रहते हैं BSF, SSB और ITBP के जवान, दुश्मन के मंसूबों पर फेरते है पानी, पूरी खबर पढ़कर गर्व होगा

jantaserishta.com
22 April 2022 10:35 AM GMT
सरहद पर रहते हैं BSF, SSB और ITBP के जवान, दुश्मन के मंसूबों पर फेरते है पानी, पूरी खबर पढ़कर गर्व होगा
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नई दिल्ली: भारत के पास कुल 15,106.7 किलोमीटर लंबी जमीनी सीमा है. इतनी लंबी और दुरूह सीमा की सुरक्षा करना आसान काम नहीं है. इसलिए देश के मुख्य सेना के अलावा कुछ ऐसे पैरामिलिट्री फोर्सेस हैं, जो इनकी सुरक्षा के लिए तैनात किए गए हैं. हमारे देश से पाकिस्तान और चीन युद्ध कर चुके हैं. उनकी सीमा बड़ी है लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सबसे बड़ी सीमाएं उनकी नहीं हैं. सबसे बड़ी सीमा बांग्लादेश की है. आइए जानते हैं कि किस सीमा पर कौन सी सेना चौकसी दे रही है.

1962 के युद्ध के बाद एक यूनिफाइड सेंट्रल आर्म्ड फोर्स बनाने की जरूरत पड़ी. ताकि पाकिस्तान की 3,323 किमी लंबी सीमा की निगरानी की जा सके. तब 1 दिंसबर 1965 में इस पैरामिलिट्री फोर्स का गठन किया गया. शुरुआत 25 बटालियन से हुई थी. आज इसके पास 192 बटालियन हैं. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) को तुरंत पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किया गया. 1971 के युद्ध के बाद इसने नए बने देश बांग्लादेश की सीमा की निगरानी की.
आज की तारीख में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) में करीब 2.72 लाख जवान काम करते हैं. ये देश की 6386 किलोमीटर लंबी सीमाओं की निगरानी करते हैं. इसके अलावा बीएसएफ को आतंकी और नक्सली गतिविधियों को रोकने के लिए जम्मू-कश्मीर, पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में भी तैनात किया गया है.
24 अक्टूबर 1962 को, द इंडो-तिब्बतन बाउंड्री पुलिस बनाई गई. ताकि भारत और तिब्बत की सीमा की निगरानी की जा सके. उस समय इसके लिए सिर्फ चार बटालियन बनाने की अनुमति मिली. इसे पहले CRPF एक्ट के तहत बनाया गया था. बाद में 1992 में ITBP एक्ट लाया गया. आईटीबीपी 3488 किलोमीटर लंबी चीन की सीमा की निगरानी करती है. इसे यह जिम्मेदारी 2004 में दी गई थी. 2004 में ही इसने सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा पर तैनात असम राइफल्स से जिम्मेदारी ले ली.
ITBP सीमा सुरक्षा के अलावा आतंकियों से भिड़ती है. घुसपैठ रोती है. आंतरिक सुरक्षा में भी तैनात की जाती है. अभी इसके पास 56 सर्विस बटालियन, 4 स्पेशलिस्ट बटालियन, 17 ट्रेनिंग बटालियन और 7 लॉजिस्टिक इस्टैबलिशमेंट्स हैं. इनके पास फिलहाल 90 हजार के आसपास जवान हैं. ITBP ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास 173 बॉर्डर आउट पोस्ट्स (BOPs) बनाए हैं, ताकि चीन की हरकतों पर लगातार निगरानी रखी जा सके.
साल 1962 में चीनी हमले के बाद मई 1963 में सशस्त्र सीमा बल को स्पेशल सर्विस ब्यूरो के रूप में बनाया गया था. जून 2001 को भारत-नेपाल सीमा के लिए लीड इंटेलिजेंस एजेंसी बना दिया गया. उसे ही 1751 किलोमीटर लंबी नेपाल सीमा की निगरानी भी सौंप दी गई.
मार्च 2004 में SSB को 699 किलोमीटर लंबी भारत-भूटान सीमा की निगरानी का जिम्मा भी सौंप दिया गया. यह बल RAW, इंटेलिजेंस ब्यूरो के फॉरेन इंटेलिजेंस डिविजन की मदद भी करता है. नेपाल-भूटान सीमा से सटे राज्यों में इनके सेंटर्स मौजूद हैं- जैसे यूपी, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश.
असम राइफल्स देश की सबसे पुरानी पैरामिलिट्री संस्था है. यह काउंटर इंसरजेंसी की एक्सपर्ट है. उत्तर-पूर्व भारत में किसी भी तरह की घुसपैठ को ये रोकती है. इस सेना ने कई प्रथम विश्व युद्ध से लेकर अब तक कई तरह के जंग देखे हैं. उस समय इन्होंने सबसे ज्यादा सर्विस बर्मा में दी थी. जैसे ही चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया, असम राइफल्स को तिब्बत की सीमा की निगरानी सौंपी गई थी. इसके बाद 2002 में इसे 1643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा की निगरानी दी गई.
असम राइफल्स भारतीय सेना का ही हिस्सा है. यह भारत-चीन और भारत-म्यांमार सीमा पर अपनी सख्त निगहबानी के प्रसिद्ध है. ये देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए लगातार तैनात रहते हैं. यह इकलौती ऐसी सीमा सुरक्षा बल है जो केंद्रीय पैरामिलिट्री फोर्स नहीं है. ये आर्मी की पैरामिलिट्री फोर्स है.


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