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वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अजीब से भूरे तारे (Brown Dwarf) की पहचान की है
वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक अजीब से भूरे तारे (Brown Dwarf) की पहचान की है. हमारे ब्रह्माण्ड (Universe) जितना ही पुराना यह पिंड हमारी गैलेक्सी के पड़ोस में करीब 5 लाख मील प्रति घंटा की रफ्तार से घूम रहा है जो इस इलाके में पाए जाने वाले दूसरे भूरे बौने की तुलना में बहुत असामान्य है. इसकी घूमने की गति के साथ ही इसकी चमक ने भी खगोलदविदों को चौंका रखा है. वहीं वैज्ञानिक इसकी उम्र को लेकर हैरान नहीं हैं. इसके अलावा यह अपने नाम से भी चर्चा में है. इसे खोजे जाने की घटना की वजह से इसे 'द एक्सीडेंट' (The Accident) उपनाम दिया गया है.
क्या होते हैं भूरे बौने
भूरे बौने तारे और ग्रह के बीच के पिंड माने जाते हैं. लाइव साइन्स इसे नाकाम तारों के रूप में बताती है. ये पिंड हमारे गुरु ग्रह से 13 से 80 गुना तक बड़े हो सकते हैं. लेकिन इनका इतना भार नहीं होता है कि तारों की तरह इनके क्रोड़ में नाभकीय संलयन हो सके और वे तारे बने रह सकें. बजाय इनमें से लंबे समय तक ऊष्मा निकलती रहती है और इस वजह से इन्हें पकड़ पाना भी बहुत मुश्किल होता है कि क्योंकि इनका कोई प्रकाश नही होता है.
कैसे मिला यह उपनाम
जैसा कि इसका उपनाम है, द एक्सीडेंट संयोग से खोजा गया पिंड है. डैन कैसेल्डन नाम के खगोलविद जो एक घर पर बनाए कम्प्यूटर प्रोग्राम के जरिए खगोलीय आंकड़ों का विश्लेषण बौने तारों को खोजने के लिए कर रहे थे. कैसेल्डन एक अलग ही भूरे बौने के समूह के उम्मीदवारों का अध्ययन कर रहे थे कि अचानक उन्होंने यह कुछ असामान्य सा दिखाई दिया.
वैज्ञानिक क्यों हुए हैरान
द एक्सीडेंट के बारे में सबसे हैरान करने वाली बात वैज्ञानिकों को यह लगी कि यह इंफ्रारेड किरणों को उत्सर्जन कर रहा है. इससे पता चलता है कि यह बहुत ही ठंडा है और यह बहुत पुराना भी होना चाहिए , लेकिन दूसरे तरंगों के अवलोकनों से द एक्सीडेंट बहुत ही चमकीला दिखाई देता है जिससे वह एक युवा भूरा बौना दिखाई देता है
विस्तार से अध्ययन
वैज्ञानिकों ने इस विरोधाभासपर विराम लगाने के लिए हवाई स्थित डब्ल्यू एम केक वेधशाला के इंफ्रारेड टेलीस्कोप के साथ हबल और स्पिट्जर टेलीस्कोप से इस पिंड का अवलोकन किया. उनकी पड़ताल द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लैटर्स में प्रकाशित हुई है. यह भूरा बौना पृथ्वी से 50 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. हमारी गैलेक्सी में बहुत तेज गति से इधर उधर घूम रहा है.
तेज गति का मतलब
इस भूरे बौने की सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात इसकी रफ्तार है. यह 8 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम (Spin) रहा है. इस गति से घूमने वाला भूरा बौना आज तक अंतरिक्ष में अवलोकित नहीं किया जा सका है. इससे भी जाहिर होता है कि यह वाकई में पुरातन पिंड है. इसकी गति वास्तव में इस पर पड़ने वाला तारों आदि पिंडो के गुरुत्वाकर्षण का सयुंक्त प्रभाव है.
संरचना भी अलग
इस भूरे बौने की संरचना भी दिलचस्प है. इसमें मीथेन की मात्रा बहुत ही कम है जो इस तरह के पिंड में अधिक मात्रा में मिलता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह इस भूरे बौने की अधिक उम्र की वजह से हो सकता है. ब्रह्माण्ड की युवा अवस्था और सुपरनोवा विस्फोटों के समय बनने के दौरान यहां कार्बन अणु प्रचर मात्रा में वितरित नहीं हो सके होंगे जो इस पिंड में हाइड्रोजन से बॉन्ड बना पाते.
शोधकर्ता इस भूरे बौने के बहुत ही पुराने होने से हैरान नहीं हैं, लेकिन हैरानी की बात इसका हमारे आसपास होना है. वे उम्मीद कर रहे थे कि इतने पुराने भूरे बौने होते होंगे, लेकिन हमारे सौरमंडल के इतने पास इनका मिलना सौभाग्य की बात है. उनका मानना है कि यह खोज बताती है कि भूरे बौनों की और भी विविधता देखने को मिल सकती है.
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