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अध्ययन करेंगे DGRE और CWC के वैज्ञानिक
हिमाचल में लगातार पहाड़ों के दरकने की घटनाओं के बाद राज्य सरकार भी अलर्ट हो गई है। किन्नौर, चंबा और सिरमौर में पहाड़ दरकने के बाद शुक्रवार को अचानक पीर पंजाल की पहाड़ी से एक हिस्सा ढह कर चंद्रभागा नदी में जा गिरा। इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं के पीछे के कारणों की तह तक जाने के लिए केंद्रीय जल आयोग के वैज्ञानिक लाहौल पहुंच रहे हैं। जबकि, डीआरडीओ के डिफेंस जियोइंफॉर्मेटिक्स रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (डीजीआरई) के वैज्ञानिकों की टीम पहाड़ दरकने के कारणों को जानने के लिए शुक्रवार को ही लाहौल पहुंच गई है। ये वैज्ञानिक जियोइंफोर्मेटिक्स उपकरणों की मदद से इलाके की टोपोग्राफी और अन्य भू-गर्वीय पहलुओं पर रिसर्च करेंगे।
इस अध्ययन की मदद से भविष्य में आने वाली प्राकृतिक विपदा को पहले की जान सकेंगे। विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम लाहौल के अलावा किन्नौर, मंडी और चंबा में भी इस तरह के अध्ययन करेगी। प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक चंद्रभागा नदी के तट से लगते कई किलोमीटर तक फैली पीरपंजाल रेंज के साथ ग्रेटर हिमालय के पहाड़ों पर भी अध्ययन करेंगे। वैज्ञानिक भू-गर्वीय हलचल की जानकारी हासिल करेंगे। वहीं, केंद्रीय जल आयोग के वैज्ञानिक चंद्रभागा नदी के बहाव से पहाड़ों की तलहटी पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ नदी में पिछले कई सालों के पानी के स्तर का तुलनात्मक अध्ययन करेंगे।
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