विज्ञान

कछुए के बारे में सामने आई बिल्कुल नई जानकारी

jantaserishta.com
17 May 2022 5:15 AM GMT
कछुए के बारे में सामने आई बिल्कुल नई जानकारी
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नई दिल्ली: इंसानों को रास्ता बताने के लिए कई साइन बोर्ड होते हैं, यहां तक कि Google मैप सबको रास्ता दिखाने का काम कर रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि समुद्र में रहने वाले कछुए और अन्य जीव अपना रास्ता कैसे खोजते होंगे. उन्हें कैसे पता चलता होगा कि उन्हें कहां जाना है? वैज्ञानिक लंबे समय से इस सवाल का जवाब खोजने की कोशिशों में लगे हैं.

हाल ही में जर्नल ऑफ द रॉयल सोसाइटी इंटरफेस ( Journal of the Royal Society Interface) में प्रकाशित हुए एक नए शोध से पता चलता है कि कछुओं में बेसिक जियोमैग्नेटिक स्टीयरिंग (Geomagnetic Steering) होता है, लेकिन वे अभी भी अपनी मंजिल तलाशने के लिए अपने भाग्य और आत्मविश्वास पर निर्भर हैं.
वैज्ञानिकों ने 22 हॉक्सबिल कछुओं (Hawksbill Turtles- Eretmochelys Imbricata) में जीपीएस ट्रैकर्स फिट किए, ताकि वे जान सकें कि संभोग (Mating) और प्रजनन (Breeding) के बाद, कछुए अपने घर वापस किस रस्ते से आते हैं. इन ट्रैकर्स से पता चला कि वापसी में लिए गए रास्ते काफी घुमावदार थे.
खुद से महज़ 176 किलोमीटर दूर एक आइलैंड को खोजने के लिए, एक कछुए ने 1,306 किलोमीटर की यात्रा की. शोधकर्ताओं ने पाया कि सामान्य तौर पर, जानवरों को ज़मीन तक पहुंचने के लिए बहुत तैरना पड़ा था. शोधकर्ताओं का कहना है कि हमारे नतीजों से ये सबूत मिलते हैं कि हॉक्सबिल कछुओं में खुले समुद्र में नक्शों को समझने की कम क्षमता होती है.
समुद्री कछुओं को समुद्र में लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए जाना जाता है. वे अक्सर छोटे और अलग-थलग द्वीपों पर बहुत दूर कहीं से आ जाते हैं. सवाल यह है कि वे खुले पानी से घिरी इन जगहों को कैसे ढूंढ लेते हैं. पहले के शोधों से पता चलता है कि ये कछुए पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड की समझ रखते हैं. इससे वे अपना रूट बनाते हैं. हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि यह मैगनेटिक मैपिंग तकनीक (Magnetic Mapping Technique) कितनी सटीक है.
अपने घर तरक पहुंचने के लिए इन कछुओं को दुगनी दूरी तय करनी पड़ी. हालांकि कछुओं की दूसरी प्रजातियों की तुलना में, इन हॉक्सबिल कछुओं ने इस दूरी को तय करने में कम समय लिया. कई प्रजातियां पृथ्वी के चारों ओर के चुंबकीय क्षेत्र की ताकत और दिशा में परिवर्तन का इस्तेमाल करती हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्हें किस रास्ते जाना है. इन कछुओं के मामले में, यह नेविगेशन केवल कुछ हद तक काम करते हैं.
​​​​शोधकर्ताओं के मुताबिक, समुद्र की धाराओं ने कछुओं को A से B तक पहुंचने के तरीके को प्रभावित नहीं किया. न ही कछुए निकलने से पहले सही मौसम का रस्ता देख रहे थे, उन्होंने प्रजनन के ठीक बाद अपनी यात्रा शुरू की थी. कछुओं का व्यवहार और नेविगेशन कुछ समुद्री पक्षियों से बिल्कुल अलग है. यह पक्षी आमतौर पर हवा में फैला गंध की वजह से अपने गंतव्य को जल्दी ढूंढ लेते हैं. लेकिन समुद्री कछुओं के पास ऐसे कोई संकेत नहीं होते.
शोध में कहा गया है कि हमारे नतीजे बताते हैं कि समुद्री कछुए की नैविगेशन क्षमताएं, बहुत अच्छी नहीं हैं. उनकी यात्रा उनकी सेंसरी क्षमता की वजह से जितने बेहतर हो सकती है, होती है.


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