विज्ञान

Black Hole: क्या एलियंस के पास है खुद का ऊर्जा स्रोत? जानिए सच्चाई

Rani Sahu
19 Aug 2021 6:57 AM GMT
Black Hole: क्या एलियंस के पास है खुद का ऊर्जा स्रोत? जानिए सच्चाई
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ब्रह्मांड को लेकर हम सभी का सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि क्या हम स्पेस में अकेले हैं

ब्रह्मांड को लेकर हम सभी का सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि क्या हम स्पेस में अकेले हैं? लोग अक्सर पूछते हैं कि अगर ब्रह्मांड में एलियंस भी हैं तो उनक तकनीक कैसी दिखती होगी? और हम इसका पता कैसे लगा सकते हैं? एक नए अध्ययन से कुछ हद तक इन सवालों के जवाब मिलते हैं। रिसर्च में तकनीक के रूप में Dyson sphere के बारे में बात की गई है, जो ब्लैक होल से ऊर्जा खींच रहा है।

सूर्य से कहीं ज्यादा शक्तिशाली स्रोत की जरूरत
दरअसल Dyson sphere एक काल्पनिक मेगास्ट्रक्चर है जो किसी तारे को घेरकर उसमें से ऊर्जा को खींचता है। शोधकर्ताओं ने रिसर्च पेपर में कहा है कि यह अध्ययन अच्छी तरह से विकसित टाइप-2 या टाइप-3 सभ्यता के ऊर्जा स्रोत के बारे में जानकारी देता है। उन्हें सूर्य की तुलना में कहीं ज्यादा शक्तिशाली ऊर्जा स्रोत की जरूरत होती है।
तरचिन अपने हर सपने, हर बातचीत और रोज के अनुभवों को डॉक्युमेंट कर रहे हैं। यहां तक कि वे अपने निजी विचारों और विचारधारा को भी स्वीकार करते हैं। सुपरइंटेलिजेंट AI को आगे काम करने के लिए ऐसे तरीके पता होने चाहिए जिनसे किसी इंसान ने अपना जीवन जिया था, तभी वह उस इंसान जैसा बन सकेगा। एक बार डिजिटल कॉपी बनने के बाद शरीर को बनाना भी मुमकिन हो सकेगा। DNA संरचना की मदद से क्लोनिंग की जा सकेगी और डिजिटल कॉपी की मदद से उसे इंसान जैसा बनाया जा सकेगा। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया के लिए जितनी ऊर्जा चाहिए होगी वह धरती से मिलना मुश्किल है। यहां काम आएगा डायसन स्फीयर।
दिवंगत फिजिसिस्ट फ्रीमन डायसन ने 1960 में यह कॉन्सेप्ट दिया था। इसमें उन्होंने ऐसे काल्पनिक शेल के बारे में बात की थी जो सूरज को घेरता हो। यह सूरज से निकलने वाली 400 सेप्टिलियन वॉट्स पर सेकंड की ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा। यह अलग-अलग कक्षा में घूम रहीं कई सैटलाइट्स से बनेगा। यही सबसे बड़ी चुनौती भी है। इतना विशाल ढांचा बनाना फिलहाल मुमकिन नहीं नजर आता। ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के फ्यूचर ऑफ ह्यूमैनिट इंस्टिट्यूट में रिसर्चर स्टुअर्ट आर्मस्ट्रॉन्ग का कहना है कि सूरज को ढकते हुए ऐसा कुछ बनाना प्रैक्टिकल नहीं है।
तरचिन का कहना है कि डायसन स्फीयर फिलहाल बनाना मुश्किल है लेकिन नैनोरोबॉट से इसे किया जा सकता है। उनका कहना है कि ये रोबॉट किसी ग्रह से लोहे और ऑक्सिजन का खनन शुरू कर सकते हैं और उसका इस्तेमाल सूरज के आसपास हीमाटाइट की सतह बनाने के लिए कर सकते हैं। हालांकि, बावजूद इसके एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्लोनिंग की तरह ही डिजिटल कॉपी का भी हूबहू इंसान के जैसा होना मुश्किल है। समय के साथ नए अनुभवों के आधार पर वह अलग इंसान बन सकता है। यही नहीं, सूरज या किसी और सितारे के इर्द-गिर्द यह घेरा बनाना सिर्फ तब तक सफल होगा जब तक सितारा जीवित है। उसके मरने के साथ ही ऊर्जा का यह स्रोत भी खत्म हो जाएगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि accretion disk (गैस, प्लाज्मा, धूल और कणों से बना एक प्रवाह जो किसी ऑब्जेक्ट के चारों ओर घूमता है), corona (सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर मौजूद प्लाज्मा का प्रभामंडल), relativistic jets (आयनित पदार्थ की किरणें जो लगभग प्रकाश की गति से त्वरित होती हैं) टाइप-2 सभ्यता के ऊर्जा स्रोत हो सकते हैं। अध्ययन के नतीजों के मुताबिक सोलर-मास वाले एक ब्लैक होल के लिए accretion disk मुख्य तारे की तुलना में सैकड़ों गुना अधिक ऊर्जा दे सकती है।
क्या ब्लैक होल के चारों ओर Dyson sphere मौजूद
ताइवान में नेशनल त्सिंग हुआ विश्वविद्यालय के खगोलशास्त्री टाइगर यू-यांग ह्सियाओ के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम इस पर काम कर रही है। यह टीम कुछ सवालों के जवाब खोज रही है। क्या होगा अगर Dyson sphere को ब्लैक होल के चारों ओर बनाया गया होगा? क्या यह काम करेगा और हम पृथ्वी से इसका पता कैसे लगा पाएंगे। ब्लैक होल को उसके शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के लिए जाना जाता है। यह अपने भीतर आने वाली हर चीज को सोख लेता है और उसे वापस नहीं जाने देता।
रिसर्च से पता चलता है कि ब्लैक होल के आसपास चरम वातावरण में कई असामान्य घटनाएं होती हैं तो संभावना है कि यह ऊर्जा को भी सोख ले सकता है। रिसर्च में टीम इन प्रक्रियाओं में से कई पर विचार करती है।


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