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चांद की निकलती है हर महीने नई पूंछ,जाने इसके पीछे का सच

Admin4
12 March 2021 11:03 AM GMT
चांद की निकलती है हर महीने नई पूंछ,जाने इसके पीछे का सच
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चांद हर महीने एक बार पुच्छल तारा (Comet) बनता है. JGR Planets नाम के जर्नल में हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक चांद के पुच्छल तारा बनने के पीछे की वजह उल्कापिंड है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |धरती के चारों तरफ चक्कर लगा रहे चंद्रमा की पूंछ होती है. ये महीने में किसी भी समय एक बार निकलती है. आपको बता दें कि जब यह निकलती है तो इसका असर धरती पर भी पड़ता है. इस पूंछ के प्रभाव में आते ही अपनी धरती भी एक स्कॉर्फ जैसा आवरण अपने ऊपर ओढ़ लेती है. यह स्थिति ऐसी होती है कि जिसमें चांद पुच्छल तारा (Comet) यानी कॉमेट बन जाता है. आइए जानते हैं कि चांद की पूंछ कब और कैसे निकलती है.


ऐसे बनती है पूंछ
चांद हर महीने एक बार पुच्छल तारा (Comet) बनता है. JGR Planets नाम के जर्नल में हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक चांद के पुच्छल तारा बनने के पीछे की वजह उल्कापिंड है. जब ये उल्कापिंड तेजी से आकर चांद की सतह से टकराते हैं, तब अंतरिक्ष में उस टकराहट से बड़ी मात्रा में सोडियम के परमाणु निकलते हैं.

अंतरिक्ष की विचित्र घटना

इस घटना के बाद चांद की सतह से निकले ये सोडियम के परमाणु सूरज से आने वाले रेडिएशन के बहाव में आकर तेजी से करोड़ों किलोमीटर तक एक पूंछ बनाते हैं. ये घटना तब होती है जब सूरज और धरती के बीच चांद आता है. जब चांद की सतह से निकले सोडियम की लहर धरती की तरफ आती है तो उसके पीछे दो कारण होते हैं, पहला सूर्य का रेडिएशन वाला तूफान और दूसरा धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति.


धरती पर असर

चांद की यही पूंछ धरती को चारों ओर से घेर लेती है. अच्छी बात ये है कि चांद की पूंछ (Lunar Tail) नुकसानदेह नहीं होती. इससे धरती पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता. चांद की पूंछ (Lunar Tail) को आप खुली आंखों से नहीं देख सकते. ये स्थिति हर महीने नए चांद के आने पर होती है. इसे ज्यादा क्षमता वाले टेलीस्कोप से देखा जा सकता है. ऐसे आपको आसमान में नारंगी रंग की पूंछ दिखाई देगी.

चांद के व्यास से पांच गुना ज्यादा चौड़ा
चांद की पूंछ (Lunar Tail) की चौड़ाई चांद के व्यास से पांच गुना ज्यादा होता है. जबकि, इसकी रोशनी इंसान की खुली आंखों से देखने की क्षमता से 50 फीसदी कम होती है. चांद से निकलने वाले सोडियम की पूंछ (Lunar Sodium Tail) का पहली बार 1990 में चला था. हर महीने चांद पर एक Sodium Spot बनता है. जो दिखता तो हर महीने था, लेकिन इसकी रोशनी कम-ज्यादा होती रहती थी.




ऑल-स्काई कैमरा
चांद की पूंछ (Lunar Tail) के अध्ययन के लिए साइंटिस्ट्स ने ऑल-स्काई कैमरा तैनात किया. इस कैमरे ने 2006 से 2019 के बीच 21 हजार तस्वीरें ली. जब साइंटिस्ट्स ने इन तस्वीरों का अध्ययन किया तो उन्हें एक खास तरह के पैटर्न का पता चला. ऐसा सबसे ज्यादा तब होता है जब कई उल्कापिंड (Meteor) चांद की सतह से टकराते हैं. इनकी वजह से उड़ने वाली धूल अंतरिक्ष में फैलती है.

इस महीने हो सकता है दीदार
चांद की पूंछ (Lunar Tail) का सबसे ज्यादा नजारा नवंबर के महीने में दिखता है.दरअसल इस समय लियोनिड उल्कापिंड (Leonid Meteor) की बारिश ज्यादा होती है. इस समय चांद की सतह से सोडियम के कण अंतरिक्ष में तेजी से फैलते है. सूरज से निकलने वाले सौर तूफान यानी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पार्टिकल्स भी इससे टकराते हैं. यही वजह है कि ये पूंछ बेहद तेजी से फैलती है और लंबी होती जाती है.


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