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बिना संगीत के ज़िंदगी में कोई तुक-ताल नहीं है, यही वजह है कि मन कितना भी परेशान हो, पसंदीदा संगीत सुनते ही तनाव दूर हो जाता है. वहीं म्यूजिक अगर लाउड हो तो फिर लोगों के पैर खुद ब खुद थिरकने लगते हैं. अब मुद्दा ये है कि ये चीज़ें सिर्फ इंसानों के साथ ही होती हैं या फिर जानवरों को भी म्यूज़िक सुनकर कुछ-कुछ होता है.
आपको ये बात अजीब लग सकती है लेकिन इंसानों की ही तरह चूहे भी संगीत की धुन (Rats Love to Dance On Music) सुनकर थिरकने लगते हैं. वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है कि इंसानों की तरह ही चूहों को भी संगीत की समझ होती है और वे भी इंसानों की ही तरह संगीत की धुन सुनकर थिरकने लगते हैं. वे अलग-अलग संगीत पर अलग तरह का रिएक्शन देते हैं.
रिसर्च में सामने आई चूहों के नाचने की बात
टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 10 चूहों पर ये प्रयोग किया और उनके लिए चार अलग-अलग टेम्पो में गाने बजाए. , उन्होंने पाया कि चूहों ने इंसानों की तरह ही अपने सिर को 120 और 140 बीट्स प्रति मिनट के बीच संगीत के साथ अच्छे तरीके से सिंक्रोनाइज किया.'साइंस एडवांसेज' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई रिसर्च के मुताबिक चूहों के सिर की गति को मापने के लिए वायरलेस एक्सेलेरोमीटर लगाए गए थे. उनके लिए लेडी गागा के बॉर्न दिस वे, क्वीन्स के वन बाइट्स द डस्ट, माइकल जैक्सन समेत अमेरिकी पॉप रॉक बैंड मरून 5 के गाने बजाए थे.
इंसानों जैसा ही था चूहों का व्यवहार
यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर हिरोकाजू ताकाहाशी ने कहा, चूहों ने 120-140 बीट्स प्रति मिनट को अच्छे से सिंक्रोनाइज किया है और इंसान भी इतने ही बीट्स को सुनकर थिरकने लगते हैं. अब वैज्ञानिक ये जानने में जुटे हैं कि मस्तिष्क का वो कौन सा तंत्र है, जो इंसान को ललित कला, म्यूजिक, विज्ञान या प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र में दिलचस्पी पैदा करने में मदद करता है. इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया जाएगा.
क्रेडिट ; न्यूज़ 18