विज्ञान

रिसर्च में बड़ा खुलासा -अंतरिक्ष के कोने में जिंदा है प्लूटो, लगातार क्रिया कर रहा 'बौना ग्रह'

Rani Sahu
17 Dec 2021 6:34 PM GMT
रिसर्च में बड़ा खुलासा -अंतरिक्ष के कोने में जिंदा है प्लूटो, लगातार क्रिया कर रहा बौना ग्रह
x
नासा के न्यू होरिजन्स स्पेसक्राफ्ट ने जब 2015 में अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी तो उसने कुछ बेहद अद्भुत तस्वीरें खीचीं

नासा के न्यू होरिजन्स स्पेसक्राफ्ट ने जब 2015 में अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी तो उसने कुछ बेहद अद्भुत तस्वीरें खीचीं। इसमें प्लूटो के सबसे बड़े क्रेटरों में से एक 'स्पुतनिक प्लैनिटिया' की आश्चर्यजनक तस्वीरें भी शामिल थीं। तस्वीरों में सतह पर उकेरी हुईं अजीबोगरीब आकृतियों के एक असामान्य पैटर्न को देखा जा सकता है। नासा के मुताबिक 'पॉलिगोनल या सेलुलर' आकृतियों को बौने ग्रह' को कवर करने वाली नाइट्रोजन बर्फ की परत में हीट एक्सचेंज का परिणाम माना जाता है।

अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने कहा कि स्पुतनिक प्लैनिटिया की सतह किनारे की ओर अंधेरी दिखाई देती है। जो संभवतः संरचना या सतह की बनावट में बदलाव की ओर संकेत करती है। सेल के किनारों पर उठे गहरे रंग के उभार शायद गंदे पानी के 'हिमखंड' हैं जो सघन ठोस नाइट्रोजन में तैर रहे हैं। एक्सेटर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों सहित अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने बताया है कि कैसे इन असामान्य संरचनाओं ने अपना आकार लिया। स्पुतनिक प्लैनिटिया ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में स्थित एक विशाल गड्ढा है, जिसमें किसी छोटे देश जितना बड़ा मैदान है।
भाप बनकर बर्फ बनाती है बहुभुज आकृतियां
क्रेटर नाइट्रोजन बर्फ से भरा हुआ है, जो ग्रह की सतह का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। इसमें मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी अन्य गैसों की मात्रा भी मौजूद है। अत्याधुनिक मॉडलिंग तकनीकों का उपयोग करते हुए, वैज्ञानिकों ने पाया कि ऊर्ध्वपातन की प्रक्रिया के माध्यम से बर्फ खुरदरी बहुभुज आकृतियां बना सकती है। जब बर्फ ऊर्ध्वपातित हो जाती है, तो यह ठोस अवस्था से बिना तरल अवस्था से गुजरे गैस में परिवर्तित हो जाती है।
सूर्य से बेहद दूर फिर भी जिंदा
एक्सेटर के भौतिकी और खगोल विज्ञान विभाग के एक रिसर्च फेलो डॉ एड्रियन मॉरिसन ने कहा कि 2015 में नासा के मिशन ने यह दिखाया कि प्लूटो सूर्य से बहुत दूर होने और सीमित आंतरिक ऊर्जा स्रोत होने के बाद भी भूगर्भीय रूप से सक्रिय है। इसमें स्पुतनिक प्लैनिटिया शामिल है, जहां सतह की स्थिति गैसीय नाइट्रोजन को अपने वातावरण में ठोस नाइट्रोजन के साथ क्रिया करने की अनुमति देती है।
Next Story