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वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती...सामान्य तापमान पर अतिचालकता को हासिल करना...जानें क्यों

Gulabi
18 Oct 2020 11:14 AM GMT
वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती...सामान्य तापमान पर अतिचालकता को हासिल करना...जानें क्यों
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अतिचालकता की अवधारणा विज्ञान के लिए नई नहीं है. लेकिन इसे सामान्य परिस्थितियों में संभव
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अतिचालकता की अवधारणा विज्ञान के लिए नई नहीं है. लेकिन इसे सामान्य परिस्थितियों में संभव बनाना बहुत पहले से अब तक एक सपना ही बना रहा था. अतिचालक वह पदार्थ होता है जो विद्युत प्रवाह में कोई भी प्रतिरोध (Resistance) नहीं दिखाता है. आमतौर पर हर चालक पदार्थ विद्युत प्रवाह में कुछ न कुछ प्रतिरोध जरूर दिखाता है, लेकिन चालक की वह स्थिति जहां यह प्रतिरोध शून्य हो जाए सामान्य परिस्थितियों में नहीं होता था. नए अध्ययन ने इसे समान्य तापमान पर मुमकिन कर दिखाया है.

कम तापमान की चुनौती

प्रतिरोध हर चालक पदार्थ के मूल गुणों में एक होता है. लेकिन प्रतिरोध को शून्य तक ले जाने के लिए अब तक शोधकर्ताओं को तापमान बहुत ही ज्यादा कम करना पड़ता था. लेकिन अब पहली बार शोधकर्ताओं ने ऐसा पदार्थ विकसित किया है जो विद्युत प्रवाह का प्रतिरोध केवल 15 डिग्री में ही शून्य कर देता है. यानि वह इसी तापमान पर ही सुचालक हो जाता है.

क्यों हो सकती है यह बड़ी खोज

सुचालकता के लिहाज से यह एक बहुत ही बड़ी खोज साबित हो सकती है. इसकी वजह यह है कि यह परिघटना अब तक केवल बहुत कम तापमान पर ही संभव मानी जाती थी. यह रिपोर्ट हाल में नेचर में प्रकाशित हुई है. सुचालकों की बहुत ही विस्तृत उपयोगिता है. इसमें एमआरआई मशीन से लेकर मोबाइल फोन टावर तक शामिल हैं. शोधकर्ता इसका परीक्षण पवन टरबाइन के लिए बनाए जाने वले उच्च निष्पादन वाले जेनेरेटर्स पर करना चाहते हैं.

सुचालकता के लिए क्या है चुनौती

सुचलाकता की अवस्था को हासिल करना आसान नहीं हैं. अब तक वे केवल बहुत ही कम तापमान में ही अपनी क्षमता हासिल कर पाते थे. अब तक बहुत अच्छे सुचालक की श्रेणी वाले पदार्थ कॉपरऑक्साइड के सिरेमिक पदार्थ माने जाते रहे हैं. जो कम से कम -140 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर सुचालता की अवस्था को प्राप्त करते हैं.

क्या फायदे हैं इस क्षमता के

किसी भी पदार्थ का सामान्य या उसके आसपास के तापमान में सुचालक क्षमता दिखाने के बहुत ज्यादा तकनीकी फायदे हैं. इससे हमारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बहुत ही ज्यादा तेज हो जाएंगे और वह भी बिना किसी ओवरहीटिंग के, यानि इससे हमारे उपकरण गर्म भी नहीं होंगे.

दबाव की चुनौती

आमतौर पर सामान्य तापमान में सुचालकता संभव है, लेकिन उस मामले में दबाव बहुत ही ज्यादा लगाना पड़ता है. इस दबाव की मात्रा अभी जितना दबाव पृथ्वी के केंद्र में हैं उसकी तीन चौथाई दबाव हमें लगाने होगा. साल 2015 में एक ऐसा प्रयोग किया था जिसमें दर्शाया गया था कि सुचालकता की अवस्था वास्तव में सामान्य तापमान पर लाई जा सकती लेकिन तब बहुत ही अधिक मात्रा का दबाव बनाना होगा.

बढ़ता गया तापमान

इस प्रयोग में शोधकर्ताओं ने दबाव की मात्रा 155 गीगापास्कल्स निकाली थी और सुचालकता का तापमान -70 डिग्री तक ला दिया था. मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ कैमेस्ट्री के मिखाइल अर्नेस्ट और उनकी इसी टीम ने तीन साल बाद की इस तापमान को -23 डिग्री तक बढ़ा दिया लेकिन इसके लिए उन्होंने लैंथेनम युक्त हाइड्रोजन बहुल यौगिक का उपोयग किया था. लेकिन जैसे ही दबाव हटाया गया, सब कुछ ढह गया था.

फिर इस पदार्थ ने बढ़ाया तापमान

इसके बाद साल 2019 के बाद एक उच्च दबाव वाले हाइड्रोजन और लैंथेनम के यौगिक ने -13 डिग्री पर सुचालकता दिखाई थी. लेकिन ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि इसमें कार्बन, सल्फर और हाइड्रोडन होते हैं. इसमें एक यौगिक सल्फर हाइड्राइड के अलावा कार्बन को पदार्थ है.


कार्बन ने जगाई उम्मीद

कार्बन के रूप में तीसरे तत्व की उपस्थिति ने अतिचालक पदार्थ की खोज में काफी उम्मीदें जगाई थीं. और अंततः उसने काम किया लेकिन असल मुद्दा अब भी उच्च दबाव की स्थिति का पैदा करना था. ताजा अध्ययन के मुताबिक कार्बन वाले सल्फर हाइड्राइड वाले पदार्थ में अतिचालकता हासिल करने के लिए दबाव 267 गीगा पास्कल दबाव की जरूरत थी. शोधकर्ता के अनुसार इस मामले मे नतीजे हासिल करना विश्वसनीय था. लेकिन टीम को इसके लिए अतिचालक पदार्थ की सटीक संरचना को सुनिश्चित करना था.

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