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कम्प्यूटर के आने हमारे वैज्ञानिकों के शोधकार्यों में एक तरह की क्रांति आ गई है
कम्प्यूटर के आने हमारे वैज्ञानिकों के शोधकार्यों में एक तरह की क्रांति आ गई है. वे कई तरह के वातावरणों की स्थितियों का आंकलन करने में सफल हो रहे हैं जिनके बहुत ही अधिक गणनाओं की जरूरत पड़ती है. किसी एक वस्तु या जीवन पर लाखों संभावित स्थितियों के असर का अध्ययन अब कम्प्यूटर सिम्यूलेशन (Computer Simulation) संभव बनाने लगे हैं. सिम्यूलेशन का ही उपयोग कर शोधकर्ताओं ने यह पता लगा लिया है कि बैक्टीरिया (Bacteria) अपने पूर्व के अनुभवों से सीख कर भविष्य का पूर्वानुमान लगा सकते हैं. इस क्षमता से वे अपनी उद्भव शिक्षा (Evolutionary learning) की गति तेज कर सकते हैं.
कम्प्यूटर सिम्यूलेशन का उपयोग
अमेरिका के सेंट लुइस की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के इस शोध में बताया है कि बैक्टीरिया अपने अनुभवों से सीख कर भविष्या का अनुमान लगा सकते हैं. कम्प्यूटर सिम्यूलेशन और सरल सैद्धांतिक मॉडल का उपयोग कर मिखाइल तिखोनोव और उनके साथियों ने ईलाइफ में प्रकाशित अध्ययन में बताया कि बैक्टीरिया कैसे यह सब कर सकते हैं.
उद्भव क्रम को मिलती है गति
शोध में दर्शाया गया है कि बैक्टीरिया खुद को बदलते हुए वातावरण में ढाल सकते हैं. इसके लिए वे सांख्यकीय नियमितताओं, जैसे कौन सा पोषण ज्यादा काम का है, आदि का उपयोग कर सकते हैं. इससे वे अपने उद्भव क्रम को ज्यादा गति प्रदान कर सकते हैं. जबकि सामान्य तौर पर प्रयास-त्रुटि विधि उनके विकास क्रम को आगे बढ़ाने का काम करती है.
जैविक घड़ी
बैक्टीरिया यह तेजी उद्भव शिक्षा के जरिए कर सकते हैं जो सामान्य प्रक्रिया है, अलग अलग जीवों में अलग तरह से गतिमान है. आर्ट्स एंड साइंसेस में असिस्टेंट प्रोफेसर तिखोनोव ने बताया कि बहुत से जीवो में एक जैविक घड़ी होती है जिसे सर्केडियन क्लॉक कहते है. यह घड़ी 24 घंटे के दिन रात के चक्र के मुताबिक चलती है.
जीवनकाल में ही बदलाव
तिखोनोव का कहना है कि जीवों में उद्भव का कार्य की पीढ़ियों तक चलता है. उन्होंने दर्शाया कि बैक्टीरिया सैद्धांतिक तौर पर वहीं कर सकता है जो हम करते हैं. हालिया अनुभवों के आधार पर पारस्परिक संबंधों का पता लगा सकते हैं और उसके मुताबिक भविष्य में अपना बर्ताव ढाल सकते हैं. ऐसा वे अपने ही जीवन काल में भी कर सकते हैं.
बैक्टीरिया का नहीं होता दिमाग
शोधकर्ताओं ने बताया कि बैक्टीरिया में दिमाग नहीं होता है, लेकिन हमने पाया है कि इस तरह के सूचना प्रसंस्करण उनमें एक सर्किट के जरिए होते हैं जो ना केवल सरल होता है बल्कि बैक्टीरिया में पहले पाए जाने वाले ज्ञात सर्किट की तरह होता है.
तीन तत्वों का होना जरूरी
इसके लिए बैक्टीरिया में तीन तरह तत्वों का होना जरूरी है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की सीख तभी मिल सकती है जब बैक्टीरिया में ज्यादा रेगुलेटर्स हों, जब रेगुलेटर्स स्वचलित हों, औरसा थ ही बैक्टीरिया वास्तिविक दुनिया के अरेखीय स्थितियों में काम करें. एक भौतिकविद के नजरिए से तिकोनोव को उम्मीद है कि इस अध्ययन से परंपरागत जीवविज्ञान के सिद्धांत शोधकर्ताओं के सवालों को सीमित करने के वाले सवालों पर रोशनी डाल सकेगी.
तिखोनोव का कहना है कि इस देखा गया है कि बैक्टीरीया संबंधी प्रयोगों में अवांछनीय रेगुलेटर और गलतियां परेशान करने वाली सबित होती हैं. लेकिन अब वैज्ञानिक अब ज्यादा वास्तविक और बदलती हुई स्थितियों के मुताबिक प्रयोग कर सकेंगे. यह शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोग अध्ययन साबित हो सकेगा.
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