विज्ञान

बेबी घोस्ट शार्क की खोज जमीन से लगभग 1.2 किमी नीचे हुई, अब खुलेंगे कई राज

Neha Dani
17 Feb 2022 1:50 AM GMT
बेबी घोस्ट शार्क की खोज जमीन से लगभग 1.2 किमी नीचे हुई, अब खुलेंगे कई राज
x
ये इतनी दुर्लभ है कि वैज्ञानिकों को भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.

न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों ने समुद्री गहराइयों में एक दुर्लभ मछली (Rare Fish) को खोज निकाला है, जिसे बेबी घोस्ट शार्क (Baby Ghost Shark) कहा जा रहा है. घोस्ट शार्क को चिमेरा प्रजाति के नाम से भी जाना जाता है. ये असली शार्क नहीं होती, केवल उसकी रिश्तेदार होती है. दूसरे शब्दों में कहें तो इसकी बनावट शार्क जैसी होती है. बेबी घोस्ट शार्क आमतौर पर समुद्र तल पर रखे अंडे के कैप्सूल से निकलती है, ऐसे में उसका समुद्र की गहराई में मिलना दुर्लभ है.

घोस्ट शार्क को खोजना मुश्किल
BBC की रिपोर्ट के अनुसार, इस बेबी घोस्ट शार्क की खोज न्यूजीलैंड (New Zealand) के दक्षिणी द्वीप के पास जमीन से लगभग 1.2 किमी नीचे हुई है. शोध में शामिल डॉ. ब्रिट फानुची ने बताया कि गहरे पानी की प्रजातियों को आमतौर पर खोजना मुश्किल होता है, विशेष रूप से घोस्ट शार्क को. ये मछलियां काफी रहस्यमयी होती हैं और हम इन्हें कई बार देख भी नहीं पाते.
हाल ही में अंडे से बाहर आई
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉटर एंड एटमोस्फेरिक रिसर्च के वैज्ञानिकों का मानना है कि मछली का ये बच्चा यानी कि बेबी घोस्ट शार्क हाल फिलहाल ही अंडे से बाहर निकली है. ऐसा इसलिए क्योंकि उसके पेट में अभी भी अंडे का योक है. बता दें कि जन्म से पहले ये मछलियां अंडे में रहते हुए उसके योक से ही अपनी भूख मिटाती हैं. खोज करने वाली टीम के वैज्ञानिकों का कहना है कि बेबी घोस्ट शार्क के मिलने से प्रजाति के प्रारंभिक जीवन के बारे में जानकारी मिल सकती है.
जेनेटिक्स पर मिलेगी जानकारी
वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये मछली बचपन में अलग-अलग जगहों पर रह सकती है और तरह-तरह का खाना खा सकती है. ये एडल्ट घोस्ट शार्क से बेहद अलग है. डॉ. फानुची का कहना है कि फिलहाल इस बेबी घोस्ट शार्क के टिशूज के कुछ सैंपल लेकर उन्हें स्टडी किया जाएगा. इससे उसके जेनेटिक्स के बारे में जानकारी मिलेगी. साथ ही बड़े होने पर उसकी लंबाई-चौड़ाई और वजन कैसा होता, यह भी पता चल सकेगा. गौरतलब है कि एडल्ट घोस्ट शार्क 2 मीटर लंबी होती है. ये ज्यादातर समुद्र तल पर मिलने वाले घोंघे और कीड़े ही खाती है. ये इतनी दुर्लभ है कि वैज्ञानिकों को भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है.


Next Story