विज्ञान

जाग गया था अंटार्कटिका में सोया ज्वालामुखी, 4 महीने में 85 हजार भूकंप के झटके

Tulsi Rao
28 April 2022 5:33 PM GMT
जाग गया था अंटार्कटिका में सोया ज्वालामुखी, 4 महीने में 85 हजार भूकंप के झटके
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अंटार्कटिका अपनी बर्फीली मोटी परतों और रहस्यमयी समुद्री दुनिया के लिए जाना जाता है. लेकिन यहां पानी के नीचे मौजूद ज्वालामुखी ने वैज्ञानिकों की हालत खराब कर दी. हुआ यूं कि यह बरसों से सोया हुआ था. जब जगा तो उसने इतने विस्फोट किए, इतना लावा फेंका, इतनी बार दहाड़ा कि चार महीने के अंदर उसने इस इलाके में 85 हजार भूकंप के झटके ला दिए. एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है.

ये मामला दो साल पुराना है लेकिन तब से इसकी स्टडी हो रही थी. जिसे वैज्ञानिकों ने अब सार्वजनिक किया है. अगस्त 2020 में पानी के अंदर ज्वालामुखी जगा, फटा और दक्षिणी ध्रुव को कंपाता रहा. चार महीने के अंदर 85 हजार भूकंप के झटके बहुत ज्यादा होते हैं. यह इस इलाके में अब तक दर्ज की गई सबसे बड़ी भूकंपीय गतिविधि थी.
पॉट्सडैम स्थित जीएफजेड जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज की सीस्मोलॉजिस्ट सिमोन सेस्का ने कहा कि धरती के कई हिस्सों में इस तरह की घटनाएं होती है, लेकिन अंटार्कटिका में ऐसी घटना पहले कभी नहीं देखी. इतने सारे भूकंप इस वजह से आए क्योंकि ज्वालामुखी का ऊपरी हिस्सा काफी ज्यादा छोटा है. इससे विस्फोट के साथ लावा निकलता है, उसके दबाव से धरती का क्रस्ट हिल जाता है
सिमोन सेस्का ने कहा कि यह प्रक्रिया आमतौर पर करोड़ों सालों में धीरे-धीरे होती है. लेकिन हम खुशनसीब हैं कि हमें यह प्रक्रिया सिर्फ चार महीने में ही देखने को मिल गई. असल में इस ज्वालामुखी का नाम है ओर्का सीमाउंट (Orca Seamount). यह एक सोया हुआ ज्वालामुखी था. इसकी ऊंचाई करीब 3000 फीट है. यह अंटार्कटिका के ब्रान्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) के अंदर मौजूद है.
यह खाड़ी बेहद संकरे से रास्ते के बीच बनी है. यह रास्ता साउथ शेटलैंड आइलैंड्स और अंटार्कटिका के उत्तरी-पश्चिमी छोर के बीच मौजूद है. इस इलाके में अंटार्कटिका टेक्टोनिक प्लेट के बीच फीनिक्स टेक्टोनिक प्लेट जाती है. जिसकी वजह से यहां पर कई फॉल्ट जोन हैं. ये धरती के ऊपरी लेयर क्रस्ट में कई स्थानों पर दरारें पैदा करते हैं. इस इलाके की यह जानकारी साल 2018 में Polar Science जर्नल में प्रकाशित हुई थी.
साउथ शेटलैंड्स पर मौजूद किंग जॉर्ज आइलैंड के रिसर्च स्टेशन पर वैज्ञानिकों ने इन भूकंपों को दर्ज किया. पहले तो उन्हें छोटे भूकंपों की मौजूदगी और आने का पता चला. ये जानकारी सिमोन सेस्का को पहुंचाई गई. क्योंकि सिमोन इस आइलैंड पर भूकंपों की स्टडी में शामिल थीं. किंग जॉर्ज आइलैंड के आसपास दो और भूकंप जांच केंद्र थे. वैज्ञानिकों ने इन सभी भूकंप जांच केंद्रों के डेटा का एनालिसिस करना शुरु किया.
इन सभी केंद्रों से मिले जांच के बाद पता चला कि ओर्का सीमाउंट ज्वालामुखी ने चार महीने में इस इलाके को 85 हजार बार से ज्यादा हिलाया है. दो सबसे बड़े भूकंप 5.9 तीव्रता और 6.0 तीव्रता के थे. पहला वाला अक्टूबर 2020 में आया था और दूसरा वाला नवंबर 2020 में. नवंबर के बाद भूकंपों का आना कम होता चला गया. इन भूकंपों की वजह किंग जॉर्ज आइलैंड अपनी जगह से 4.3 इंच खिसक गया.
भूकंप और लावा के मूवमेंट की वजह उस इलाके का क्रस्ट अपनी जगह से खिसक गया. सिमोन सेस्का ने बताया कि 6 तीव्रता वाले भूकंप ने उस इलाके में दरारें पैदा कर दीं. जिसकी वजह से नीचे का दबाव बर्फ के रास्ते ऊपर की ओर निकल गया और ज्वालामुखी शांत होता चला गया. यह स्टडी हाल ही में कम्यूनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरमेंट जर्नल में प्रकाशित हुई है.


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