विज्ञान

तूफान की वजह से लद्दाख के आसमान में चमक उठा ऑरोरा

Apurva Srivastav
2 May 2023 6:56 PM GMT
तूफान की वजह से लद्दाख के आसमान में चमक उठा ऑरोरा
x
सूर्य में हुए कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की वजह से बीते दिनों एक भू-चुंबकीय तूफान (geomagnetic storm) ने पृथ्‍वी को प्रभावित किया। 23 अप्रैल की देर रात करीब 10 बजे तूफान पृथ्‍वी से टकराया, जिसका असर भारत समेत दुनियाभर में देखा गया। तूफान की वजह से लद्दाख के आसमान में भी ऑरोरा चमक उठा। इस पूरी घटना का वीडियो सामने आया है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) ने ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए बताया है कि 22-23 अप्रैल की रात 360 डिग्री कैमरे में ऑरोरा को कैद किया गया।
IIA के ट्वीट में लिखा गया है कि यह आकाश का टाइम-लैप्‍स है, जिसे 22/23 अप्रैल की रात को 360 डिग्री कैमरे द्वारा लिया गया। वीडियो में पृथ्वी से टकराने वाले तीव्र भू-चुंबकीय तूफान की वजह से चमके ऑरोरा को देखा जा सकता है। आईएए ने इसे दुर्लभ घटना बताया है।
ऑरोरा (aurora) आकाश में बनने वाली खूबसूरत प्राकृतिक रोशनी है। यह रात के वक्‍त आमतौर पर नॉर्थ और साउथ पोल्‍स के पास देखने को मिलती है। लंबे समय से वैज्ञानिक यह मानते आए हैं कि ऑरोरा तब बनते हैं, जब सौर हवाएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से इंटरेक्‍ट करती हैं।
IIA के ट्वीट में प्रोफेसर वागेश मिश्रा के हवाले से कहा गया है कि जो CME सूर्य से निकला था, वह एक M1 कैटिगरी के सोलर फ्लेयर से संबंधित था। 21 अप्रैल को वह CME सूर्य से पृथ्‍वी की ओर लॉन्‍च हुआ था। सीएमई की वजह से पृथ्‍वी पर ऑरोरा के लिए पर्याप्‍त गतिविधियां पैदा हुईं। भारत के अलावा यूरोप और चीन में भी ऑरोरा नजर आया। प्रोफेसर मिश्रा का कहना है कि इतना भयंकर भू-चुंबकीय तूफान आखिरी बार 2015 में आया था।
क्‍या होता है कोरोनल मास इजेक्शन (CME)
कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्‍नेटिक फील्‍ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्‍तार होता है और अक्‍सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्‍नेटिक फील्‍ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा पृथ्‍वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्‍नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्‍यादा होने पर ये पृथ्‍वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
Next Story