विज्ञान

अंतरिक्ष से ऐस्टरॉइड की बारिश ने जमीन पर चलने वाली डायनासोर की प्रजाति की किया खत्म, छा गए थे 'प्रलय के बादल'

Rani Sahu
23 Dec 2021 10:11 AM GMT
अंतरिक्ष से ऐस्टरॉइड की बारिश ने जमीन पर चलने वाली डायनासोर की प्रजाति की किया खत्म,  छा गए थे प्रलय के बादल
x
करोड़ों साल पहले धरती पर विशालकाय डायनासोर का राज था

करोड़ों साल पहले धरती पर विशालकाय डायनासोर का राज था। अवशेषों से पता चलता है कि ये डायनासोर 130 फीट तक लंबे और 77 टन तक वजनी थे। फिर एक दिन अचानक अंतरिक्ष से ऐस्टरॉइड की बारिश ने जमीन पर चलने वाली डायनासोर की प्रजाति का अस्तित्व ही खत्म कर दिया। लेकिन इस घटना के बाद लंबे समय तक पृथ्वी अंधेरे में डूबी रही। ऐस्टरॉइड के गिरने से जंगलों में आग गई और राख, धूल और धुआं आसमान में भर गया जिसने धरती पर पहुंचने वाली सूर्य की रोशनी को रोक दिया।

लाइव साइंस की खबर के मुताबिक एक नए शोध में पाया गया है कि ऐस्टरॉइड की घटना के बाद के वर्ष 'विलुप्ति की लहर' को बढ़ावा दे रहे थे। करीब 6 करोड़ 60 लाख साल पहले ऐस्टरॉइड के टकराने के बाद आए प्रलय जीवन के कई रूपों को खत्म कर दिया था। इस टक्कर ने कई पर्यावरणीय परिवर्तनों को भी जन्म दिया जो समय के साथ बड़े पैमाने पर विलुप्ति की लहर में शामिल हो गए। माना जा रहा है कि विलुप्ति की लहर का एक कारण राख और कणों के घने बादल हो सकते हैं जो वायुमंडल में फैल गए।
धरती पर खत्म हो गया था जीवन
इन बादलों ने पृथ्वी को ढक लिया और ग्रह के कई हिस्सों में अंधेरा छा गया। दो सालों तक ये बादल आसमान में बने रहे। उन दौरान प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया फेल हो गई थी जिससे पारिस्थितिकी तंत्र ध्वस्त हो गया था। न्यू ऑरलियन्स और ऑनलाइन में आयोजित अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन (एजीयू) की वार्षिक बैठक में 16 दिसंबर को प्रस्तुत शोध के अनुसार, संभवतः सूरज की रोशनी वापस आने के बाद भी, यह गिरावट दशकों तक बनी रही थी।
धरती से टकराया 12 किमी चौड़ा ऐस्टरॉइड
क्रेटेसियस पीरियड (145 मिलियन से 66 मिलियन साल पहले) एक भयानक धमाके के साथ खत्म हुआ जब लगभग 27,000 मील प्रति घंटे (43, 000 किमी / घंटा) की गति से यात्रा करने वाला एक ऐस्टरॉइड पृथ्वी से टकरा गया। यह व्यास में लगभग 7.5 मील (12 किलोमीटर) था जो चिक्सुलब क्रेटर के नाम से जाना जाने वाला एक गड्डा छोड़ गया है। यह युकाटन प्रायद्वीप के पास मेक्सिको की खाड़ी में पानी के नीचे स्थित है और व्यास में कम से कम 90 मील (150 किमी) तक फैला हुआ है।
Next Story