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जनता से रिश्ता वेबडेस्क|
वॉशिंगटन
इस हफ्ते एक ऐस्टरॉइड धरती के करीब आने वाला है। 2020TK3 नाम का ऐस्टरॉइड 17 अक्टूबर को धरती के करीब से गुजरेगा। इसकी धरती से दूरी, धरती और चांद के बीच की दूरी (Lunar Distance) के बराबर होगी। इससे धरती को कोई नुकसान होने की आशंका नहीं है। यह धरती के बाद मर्करी और वीनस की ओर जाकर धरती के पीछे से वापस निकलेगा और फिर मंगल की ओर निकल जाएगा।
धरती को कोई खतरा नहीं
इसकी गति 40 हजार किमी प्रतिघंटा मानी जा रही है यानी यह एक घंटे में धरती के करीब आकर चला जाएगा। खास बात यह है कि इसका आकार सिर्फ 11 मीटर की है और इससे धरती को कोई खतरा नहीं है। अगर यह धरती से टकराता भी है तो यह वायुमंडल से टकराकर जल जाएगा और टूटते तारे की तरह दिखेगा। बावजूद इसके धरती से इसकी नजदीकी की वजह से इसे NEO यानी Near earth object की श्रेणी में रखा गया है।
100 साल में 22 ऐस्टरॉइड पर नजर
अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक ऐसे करीब 22 ऐस्टरॉइड्स (उल्कापिंड) हैं जो आने वाले सालों में धरती के करीब आ सकते हैं और टक्कर की संभावनाएं हो सकती हैं। अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है।
क्या होते हैं ऐस्टरॉइड?
ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं। करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए।