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![पृथ्वी के सबसे बड़े दुश्मन हैं एस्टेरॉयड पृथ्वी के सबसे बड़े दुश्मन हैं एस्टेरॉयड](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/06/30/3096051-download-17.webp)
दिल्ली : लघु ग्रह (क्षुद्र ग्रह) ने डायनासोरों का अस्तित्व धरती से मिटा दिया। चेल्याबिंस्क जैसी विनाशकारी घटना 100 वर्ष में और तुंगुस्का जैसी घटना शायद 300 वर्ष में एक बार होती है। ये घटनाएं आकाश से पृथ्वी पर हुई विनाशकारी चेतावनी देते हैं। इनके प्रति जागरूकता को लेकर हर वर्ष 30 जून को अंतरराष्ट्रीय क्षुद्र ग्रह दिवस मनाया जाता है।
लघु ग्रह का पृथ्वी से टकराना भयानक आपदा
भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बेंगलुरु के रिटायर्ड विज्ञानी प्रो. आरसी कपूर के जीवन का बड़ा हिस्सा अंतरिक्ष के प्रति समर्पित रहा है। वह कहते हैं कि लघु ग्रह का पृथ्वी से टकराना भयानक आपदा है।
इनके प्रति जागरूकता को लेकर वर्ष 2015 से 30 जून को अंतरराष्ट्रीय क्षुद्र ग्रह दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इसका मुख्य उद्देश्य मानवता की रक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना है। साथ ही ऐसी किसी आपदा से निपटने की तैयारी करना व सभी देशों को सम्मिलित कर विचार करना है।
रूस के चेल्याबिंस्क में 15 फरवरी 2013 को घटी घटना ने विश्व के वैज्ञानिकों समेत स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया था। इस घटना से आसमान में एक बड़ा बम फटा था। यह वास्तव में एक छोटा लघु ग्रह था, जो अंतरिक्ष में विचरते हुए पृथ्वी के गुरुत्व बल के आकर्षण से हमारी ओर खिंचा चला आया।
यह 19 मीटर आकार वाला 10 हजार टन का चट्टानी पिंड था। 65 हजार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी के वातावरण से 20 किमी की ऊंचाई पर टकराया था। इतनी ऊंचाई पर फटने के बावजूद सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो गए और 1200 लोग बुरी तरह घायल हो गए। अध्ययन के अनुसार 500 किलो टन ऊर्जा विसरित हुई, जो 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से तीस गुना अधिक थी।
पृथ्वी के निकट से रोजाना गुजरते है लघु ग्रह
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय के अनुसार पृथ्वी के निकट से रोजाना हज़ारों-लाखों उल्काएं और अनेक लघु ग्रह गुजरते हैं। उनमें अधिकांश उल्काएं पृथ्वी के वातावरण में 80-90 किलोमीटर की ऊंचाई पर जलकर नष्ट हो जाते हैं। इन्हें हम टूटते तारे के रूप में देखते हैं। इनमें बड़े आकार के पिंडों पर नजर रखने की जरूरत होती है।
निपटा जा सकता है लघु ग्रहों से
डा. शशिभूषण पांडेय के अनुसार पृथ्वी से टकराने वाले ग्रहों से निपटा जा सकता है। इन्हें आसमान में ही ध्वस्त किया जा सकता है। मगर यह तरीका थोड़ा खतरनाक हो सकता है। इनके अपने पथ से थोड़ा विचलित कर दूसरी कक्षा में स्थापित किया जा सकता है। पिछले वर्ष नासा के डार्ट मिशन ने दो लघु ग्रहों की कक्षा में बदलाव किया था। यह सुरक्षित तरीका है।
बहुमूल्य धातुओं से संपन्न भविष्य में होगा खनन
प्रो. आरसी कपूर के अनुसार लघु ग्रह बहुमूल्य धातुओं से संपन्न होते हैं, जो हमारे लिए लाभदायक हो सकते हैं। भविष्य में इनमें खनन कर धातुओं को उपयोग लाने की योजना विज्ञानी बना रहे हैं। लोहे, निकिल, सोना, प्लेटिनम, इरीडियम, रहेनियम, पैलेडियम आदि दुर्लभ तत्व मौजूद होते हैं। इन पर खनन को लेकर 25 वर्षों से योजना बनाई जा रही है।
एपोफिस लघु ग्रह से है खतरा
एपोफिस नामक लघु ग्रह का आकार 340 मीटर है। यह 323.74 दिन में सूर्य का चक्कर लगता है, इसकी कक्षा दीर्घवृत्ताकार है, जो पृथ्वी की कक्षा को पार करती है। इस पिंड से भविष्य में पृथ्वी का सामना हो सकता है। पूर्व में इस लघु ग्रह के पृथ्वी से टकराने की संभावना जताई गई थी। वर्तमान गणनाओं के अनुसार 2029 में 37400 किमी की दूरी से होकर निकल जाएगा।