विज्ञान

क्या आप भी कोरोना वायरस के हैं शिकार, तो ऐसे बदल जाएंगे आपके नाखून

Triveni
15 Jun 2021 8:25 AM GMT
क्या आप भी कोरोना वायरस के हैं शिकार, तो ऐसे बदल जाएंगे आपके नाखून
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साल 2019 के आखिर से शुरू हुई कोरोना महामारी के बारे में अब भी कई बातें अनसुलझी हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | साल 2019 के आखिर से शुरू हुई कोरोना महामारी के बारे में अब भी कई बातें अनसुलझी हैं. इसका वायरस बार-बार म्यूटेशन से गुजरकर अपने लक्षण बदल रहा है. बुखार और सर्दी-खांसी के अलावा कई दूसरे लक्षणों में हाल में एक नई चीज जुड़ गई. इसमें नाखून प्रभावित होते हैं. नाखूनों से जुड़े लक्षण आमतौर पर उन मरीजों में दिख रहे हैं, जिनमें कोरोना संक्रमण तो खत्म हो गया, लेकिन जो पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सके हैं.

हमेशा से लगता रहा सेहत का अनुमान
नाखून पहले भी सेहत का अंदाजा देने में काम आते रहे. इनमें पीलापन पीलिया की आशंका को बताया है, तो सफेद पड़ना एनिमिया यानी खून की कमी का लक्षण माना जाता है. इसे देखने के बाद एक्सपर्ट अनुमान लगाकर फिर उसके मुताबिक जांच सुझाते रहे. अब ये नाखून पोस्ट-कोविड सेहत के बारे में भी बता रहे हैं.
ये बदलाव दिखता है
कोरोना नेगेटिव होने के बाद भी बहुत से लोग इससे जुड़ी कई परेशानियों से जूझते हैं. कई बार समस्या कई महीनों तक चलती है. इस दौर में लोग कमजोरी, नींद का पैटर्न बदलने से लेकर नाखूनों का रंग बदलने या उसमें धब्बे दिखने जैसे बदलाव भी देख रहे हैं. नाखूनों में आधा चांद जैसा स्ट्रक्टर बन जाता है, जो उसकी अंदरूनी परत में होता है. इसके अलावा छूने पर वे खुरदुरे लगते हैं.
कारण पता नहीं लग पा रहा
शोधकर्ताओं ने इसे रेड हाफ मून पैटर्न (red half-moon pattern) का नाम दिया है. ऐसे मरीजों में नाखूनों के नीचे से हल्के लाल या गुलाबी रंग की एक संरचना उभरती है जो आधे चंद्रमा की तरह होती है. ये अब तक पता नहीं लग सका कि आखिर कुछ ही मरीजों में ये लक्षण क्यों होता है और ये किस बात का इशारा है. ये भी माना जा रहा है कि नाखून का टेक्शचर बदलना या रंगत में फर्क मरीज को कोरोना से आई कमजोरी के कारण हो रहा है.
ब्लड वेसल में नुकसान का संकेत
नाखूनों में रेड हाफ मून का बनना इसका संकेत भी हो सकता है कि मरीज में कोरोना के कारण कोई रक्त वाहिका डैमेज हो गई हो. बता दें कि कोरोना वायरस वैसे तो सांस के जरिए होने वाली बीमारी है लेकिन ये केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि शरीर के लगभग सभी अंगों को नुकसान पहुंचा रही है. इसमें वायरल लोड बढ़ने से कई बार ब्लड वेसल पर भी खतरा आ जाता है.
ये भी हो सकता है कि वायरस से लड़ाई के दौरान हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम ज्यादा एक्टिव हो गया हो. इस वजह से बारीक रक्त वाहनियों को नुकसान हुआ हो, जो नाखूनों के रंग बदलने या उसके खुरदुरेपन में दिखता है.
कुछ समय में ठीक हो जाता है
नाखूनों में हो रहे इस बदलाव के बारे में फिलहाल ज्यादा जानकारी नहीं जुट सकी है लेकिन वैज्ञानिक आश्वस्त करते हैं कि ये डरने की बात नहीं. ये लक्षण कुछ दिनों या हफ्तों में अपने-आप जा सकते हैं. लेकिन ऐसा होने पर एक बार चिकित्सक से बातचीत जरूरी है ताकि वो तय कर सके कि मरीज को किसी और जांच की जरूरत तो नहीं.
कुछ मरीजों के नाखूनों पर आड़ी रेखाएं
ये नाखूनों के निचले हिस्से पर होती हैं. इसे Beau's lines कहा जा रहा है. ये लक्षण आमतौर पर कोरोना नेगेटिव होने के चार हफ्ते या उसके बाद दिखता है. ये लक्षण वायरस के कारण शरीर में आई कमजोरी और खानपान में लापरवाही के कारण दिखता है. कई बार दूसरी बीमारियों के इलाज के दौरान भी ऐसा होता है, जैसे कैंसर के मरीज में कीमो के बाद नाखूनों में ये बदलाव होता है.
कुछ मरीजों में एकदम अजीबोगरीब लक्षण भी दिख रहे
द प्रिंट की एक रिपोर्ट में ऐसे ही एक मामले का जिक्र है. विली ऑनलाइन लाइब्रेरी के हवाले से दी गई इस घटना में एक महिला मरीज कोरोना से तो ठीक हो गई, लेकिन उसके नाखून जड़ से कमजोर होने लगे और यहां तक कि अलग हो गए. ये कोरोना नेगेटिव होने के तीन महीने बाद हुआ लेकिन इसमें अच्छा ये रहा कि मरीज के नए नाखून खुद-ब-खुद तुरंत आ गए.
कई मरीजों ने नाखूनों के ऊपर हिस्से पर नारंगी रंग की परत आने की शिकायत की. ऐसा कोरोना नेगेटिव होने के लगभग 100 दिन बाद हुआ. इसके लिए उन्हें कोई ट्रीटमेंट नहीं दिया जा सका क्योंकि अब तक इसके कारण का पता नहीं चल सका है.


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