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विज्ञान
ओमिक्रॉन से ठीक हुए लोगों में भी है इसके सब-वैरिएंट का खतरा? पढ़ें अध्ययन
Gulabi Jagat
26 March 2022 3:14 PM GMT
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भारत में भले ही कोरोना संक्रमण के दैनिक मामले फिलहाल कम हों
भारत में भले ही कोरोना संक्रमण के दैनिक मामले फिलहाल कम हों, पर दुनिया के कई देशों में ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट के कारण हालात फिर से बिगड़ते हुए देखे जा रहे हैं। चीन, दक्षिण कोरिया, हांगकांग और यूरोप के कुछ हिस्से मौजूदा समय में ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट BA.2 ('स्टील्थ' ओमिक्रॉन) की चपेट में हैं। यहां रोजाना सामने आ रहे कोरोना के मामले विशेषज्ञों की चिंता बढ़ाने वाले हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि स्टील्थ' ओमिक्रॉन मूल ओमिक्रॉन वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकता है, ऐसे में सभी लोगों को इससे बचाव के उपायों को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। वैसे तो इस वैरिएंट से संक्रमितों में लक्षण हल्के ही देखे जा रहे हैं, हालांकि जिस तरह से इसकी संक्रामकता दर है वह काफी चिंता बढ़ाने वाली है।
स्टील्थ ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के साथ एक सवाल अब भी लोगों के मन में है। क्या जो लोग तीसरी लहर के दौरान ओमिक्रॉन से संक्रमित रह चुके हैं, उनमें भी इस वैरिएंट से संक्रमण का खतरा हो सकता है? इसी संबंध में हाल ही में अध्ययनकर्ताओं ने बड़ा दावा किया है। आइए आगे की स्लाइडों में इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं। क्या जो लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित रह चुके हैं उन्हें इसके सब-वेरिएंट BA.2 से भी खतरा हो सकता है?
अध्ययन में क्या पता चला?
डेनमार्क के स्टेटन्स सीरम इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने हालिया अध्ययन में लोगों में ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट के खतरे को जानने की कोशिश की। इस शोध के लिए नवंबर 2021 से फरवरी 2022 के बीच संक्रमण का शिकार रह चुके 1.8 मिलियन (18 लाख) से अधिक लोगों के डेटा का अध्ययन किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि ओमिक्रॉन के मूल वैरिएंट से संक्रमण के 20 दिन से लेकर दो माह के भीतर सिर्फ 1,739 लोगों को दोबारा संक्रमण हुआ।
दोबारा संक्रमण का खतरा, पर कम
डेटा से पता चलता है कि जिन 1,739 लोगों में दोबारा संक्रमण का पता चला उनमें से सिर्फ 47 को ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट का शिकार पाया गया। इस आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि आपको पहले ओमिक्रॉन का संक्रमण हुआ है, तो आपमें स्टील्थ ओमिक्रॉन के संक्रमण की आशंका काफी कम होती है। हार्टफोर्ड हेल्थकेयर की रिपोर्ट के अनुसार दोबारा संक्रमण का खतरा युवा लोगों या जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, उनमें ही अधिक पाया गया है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि ओमिक्रॉन के मूल वैरिएंट से संक्रमण के बाद स्टील्थ वैरिएंट से संक्रमण की आशंका बेहद कम है, पर इसे पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है। शिकागो डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक हेल्थ कमिश्नर डॉ एलिसन अरवाडी का कहना है कि जिन लोगों को ओमिक्रॉन का संक्रमण हुआ है, उनमें कम से कम तीन महीने के भीतर दोबारा संक्रमण का खतरा कम होता है।
वहीं रटगर्स स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के महामारी विज्ञानी स्टेनली वीस कहते हैं, यदि आपको हल्के स्तर का संक्रमण था, तो संभव है कि आपमें बहुत अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया नहीं रही होगी, जिससे रि-इंफेक्शन का खतरा हो सकता है।
क्या है अध्ययन के निष्कर्ष?
अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि आप तीसरी लहर के दौरान संक्रमित रह चुके हैं तो आपमें स्टील्थ ओमिक्रॉन का खतरा कम जरूर है, पर इसे पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है। चूंकि इस सब-वैरिएंट को अत्यधिक संक्रामक माना जा रहा है ऐसे में सभी लोगों को कोरोना से बचाव के लिए कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का लगातार पालन करते रहना चाहिए। वैक्सीन की दोनों डोज आपको संक्रमण की गंभीरता से बचाने में मदद कर सकती है।
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: जनता से रिश्ता लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
Gulabi Jagat
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