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नासा की एक और बड़ी सफलता, एस्टेरॉयड को टक्कर मारने निकला डार्ट मिशन हुआ कामयाब
![नासा की एक और बड़ी सफलता, एस्टेरॉयड को टक्कर मारने निकला डार्ट मिशन हुआ कामयाब नासा की एक और बड़ी सफलता, एस्टेरॉयड को टक्कर मारने निकला डार्ट मिशन हुआ कामयाब](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/10/12/2104185-untitled-1-copy.webp)
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है. उसकी तरफ से कुछ दिन पहले डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (Double Asteroid Redirection Test - DART) मिशन के स्पेसक्राफ्ट को डिडिमोस (Didymos) एस्टेरॉयड के चारों तरफ घूम रहे छोटे एस्टेरॉयड डाइमॉरफोस (Dimorphos) से टकरा दिया गया था. अब नासा ने जारी बयान में बताया है कि उस टक्कर की वजह से एस्टेरॉयड को दूसरी ऑर्बिट में धकेल दिया गया है.
NASA's #DART mission successfully changed an asteroid's natural orbit – the first time humanity has altered the motion of a celestial body. It also marked the world's first test of a planetary defense system https://t.co/jIIYl1ecpV 🚀☄️ pic.twitter.com/RkKPxtGqA2
— Reuters (@Reuters) October 12, 2022
जारी बयान में नासा ने कहा है कि डार्ट की तरफ से सफलतापूर्वक एस्टेरॉयड की ट्रैजेक्ट्री को बदल दिया है. अब वो दूसरी ऑर्बिट की ओर बढ़ चुका है. नासा का ये एक महत्वकांक्षी मिशन रहा जिसे वो अब वो मानवता के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बता रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि डार्ट मिशन (DART Mission) स्पेसक्राफ्ट की लंबाई 19 मीटर थी. यानी एक सामान्य बस से पांच मीटर ज्यादा. जबकि स्पेसक्राफ्ट जिस छोटे एस्टेरॉयड डाइमॉरफोस (Dimorphos) से टकराया है, वह स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुना बड़ा है. स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की लंबाई 93 मीटर है. जबकि डाइमॉरफोस 163 मीटर है. यानी डेढ़ फुटबॉल मैदान की लंबाई के बराबर.
यहां ये समझना भी जरूरी है कि जिन एस्टेरॉयड के खिलाफ ये एक्शन लिया गया, असल में धरती को उनसे कोई खतरा नहीं था. नासा को ये बात पहले से पता थी, ऐसे में इन एस्टेरॉयड के खिलाफ ही डार्ट मिशन को अंजाम दिया गया. डार्ट मिशन पर काम कर रहे वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी करोड़ों किलोमीटर दूर स्थित छोटे से एस्टेरॉयड डाइमॉरफोस पर स्पेसक्राफ्ट को सटीकता से टकराना. इस समस्या के समाधान के लिए नासा ने स्पेसक्राफ्ट में सामने की तरफ DRACO Camera लगाया गया था. इसमें ऑटोमैटिक नैविगेशन सिस्टम SMART Nav लगा था. जो धरती पर बैठे इंजीनियर्स को इसकी दिशा और गति बदलने में मदद कर रहा था. तत्काल नेविगेशन सिस्टम से मिली सूचना के आधार पर इसे उसी तरफ घुमा दिया गया. अब उस समय ये स्पष्ट नहीं था कि एस्टेरॉयड अपने स्थान से कितना हिला है. लेकिन अब जो नतीजे आए हैं, वो नासा का हौसला बढ़ाने वाले हैं. सिर्फ टक्कर नहीं मारी गई है, बल्कि एस्टेरॉयड की दिशा को ही बदल दिया गया.