विज्ञान

अमेरिकी अधिकारी हैरान हैं कि आखिर चीन को कैसे ये टेक्‍नोलॉजी हासिल हो गई

Shiddhant Shriwas
18 Oct 2021 10:12 AM GMT
अमेरिकी अधिकारी हैरान हैं कि आखिर चीन को कैसे ये टेक्‍नोलॉजी हासिल हो गई
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इस पूरे प्रोजेक्‍ट को चाइना एकेडमी ऑफ एयरोस्‍पेस एयरोडायनामिक्‍स की तरफ से चलाया जा रहा है.

चीन (China) ने एक ऐसी मिसाइल टेस्‍ट की है जिसने पूरी दुनिया को डराकर रख दिया है. फाइनेंशियल टाइम्‍स की तरफ से बताया गया है कि चीन ने एक ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइल टेस्‍ट की है जिसने अपने टारगेट को भेदने से पहले पूरी दुनिया का चक्‍कर लगाया है.

चीन के इस मिसाइल टेस्‍ट ने अमेरिकी इंटेलीजेंस सर्विस को भी चौंका दिया है. जिस टेक्‍नोलॉजी का प्रदर्शन चीन ने किया है, वो एक एडवांस्‍ड स्‍पेस टेक्‍नोलॉजी है जो बताती है कि यह देश कितनी तेजी से हाइपरसोनिक हथियारों के मामले में आगे बढ़ रहा है. ये हथियार अमेरिका की तरफ से डेवलप हो रहे हथियारों की तुलना में कहीं ज्‍यादा आगे है.
पहले ऐसा करने में नाकाम रहा था चीन
17 अक्‍टूबर को फाइनेंशियल टाइम्‍स की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने स्‍पेस रॉकेट को हाइपरसोनिक ग्‍लाइड व्‍हीकल (HGV) की मदद से टेस्‍ट किया गया है. ये रॉकेट परमाणु डिवाइस से लैस था. रिपोर्ट की मानें तो टारगेट से पहले इसने पूरी दुनिया का चक्‍कर लगाया है. HGV को एक लॉन्‍ग मार्च 2सी रॉकेट के टॉप से लॉन्‍च किया गया.
इस रॉकेट ने अंतरिक्ष का भी चक्‍कर लगाया और इसकी निचली कक्षा तक पहुंचा. इसके बाद इसने 24 मील की दूरी पर स्थित अपने टारगेट को नष्‍ट किया. 19 जुलाई और 24 अगस्‍त को चीन ने लॉन्‍ग मार्च 2सी रॉकेट का लॉन्‍च तय किया था. मगर चीन ऐसा करने में उस समय नाकाम रहा था.
इस पूरे प्रोजेक्‍ट को चाइना एकेडमी ऑफ एयरोस्‍पेस एयरोडायनामिक्‍स की तरफ से चलाया जा रहा है. ये संगठन, चीन की एयरोस्‍पेस साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी कॉरपोरेशन (CASC) का ही एक हिस्‍सा है. इस हाइपरसोनिक मिसाइल का टेस्‍ट ये बताने के लिए भी काफी है कि किस तरह से चीन की स्‍पेस प्रोग्राम पीपुल्‍स लिब्रेशन आर्मी (PLA) के तहत आता है.
अमेरिकी अधिकारी टेस्‍ट से हैरान
CASC की उपलब्धि निश्चित तौर पर सबको चौंकाने वाली है. पहला मौका है जब चीन ने इस स्‍तर का टेस्‍ट किया है और जिस टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग चीन ने किया है वो अमेरिकी अधिकारियों को चौंकाने वाली है. यह वो क्षमता है जो Fractional orbital Bombardment System (FOBS) से लैस है. इस क्षमता को हासिल करने वाला रूस पहला देश था. रूस ने सन् 1960 के मध्‍य में ये क्षमता हासिल कर ली थी. फिर एक के बाद एक उसने इस सिस्‍टम को तेजी से डेवलप करना शुरू कर दिया था.
FOBS वो सिस्‍टम है जो इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) के साथ मिलकर तैयार होता है जिसके तहत Low Earth Orbit यानी LEO में हथियारों को लॉन्‍च किया जा सकता है. जैसे ही हथियार अपने टारगेट की तरफ बढ़ता है, रॉकेट पेलोड से अलग हो जाता है और फिर ये धरती पर वापस आ जाता है. अमेरिकी इंटेलीजेंस अधिकारियों को भी समझ नहीं आ रहा है कि आखिर चीन ने किस तरह से इस टेक्नोलॉजी को टेस्‍ट कर डाला है.
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