विज्ञान

'महाविनाशक परमाणु मिसाइल' खरीद रहा अमेरिका, पल भर में तबाह हो सकता है चीन का पेइचिंग

Kunti Dhruw
14 Feb 2021 2:29 PM GMT
महाविनाशक परमाणु मिसाइल खरीद रहा अमेरिका, पल भर में तबाह हो सकता है चीन का पेइचिंग
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चीन और रूस से बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका 100 बिलियन डॉलर (7259105000000 रुपये) का नया

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: चीन और रूस से बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका 100 बिलियन डॉलर (7259105000000 रुपये) का नया महाविनाशक हथियार खरीद रहा है। इस मिसाइल की ताकत जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से लगभग 20 गुना ज्यादा है। यह मिसाइल अमेरिका से लॉन्च होने के बाद चीन की राजधानी पेइचिंग को पल भर में बर्बाद करने की क्षमता रखता है। अत्याधुनिक तकनीकी से बनी गाइडेड सिस्टम के कारण 10000 किलोमीटर की यात्रा करने के बावजूद यह मिसाइल पिन पॉइंट एक्यूरेसी के साथ अपने टॉरगेट को हिट करने में सक्षम है। अमेरिकी वायुसेना ने इस मिसाइल की 600 यूनिट के लिए ऑर्डर देने का प्लान किया है। पिछले साल 8 सितंबर को अमेरिकी वायुसेना ने हथियार निर्माता कंपनी कंपनी नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन को 13.3 बिलियन डॉलर का एक करार किया था। जिसमें इस मिसाइल की इंजिनियरिंग और मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट बैठाने की प्रारंभिक लागत शामिल थी।

2029 तक अमेरिकी सेना में शामिल होगा यह हथियार
ब्लूमबर्ग और आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अमेरिका इस घातक हथियार को बनाने के लिए लगभग 100 बिलियन डॉलर का खर्च करने वाली है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया है कि इस हथियार का निर्माण साल 2029 तक होने की संभावना है। अगर डील की इस पूरी राशि की बात की जाए तो अमेरिका 100 बिलियन डॉलर से अगले एक साल तक 12 लाख से ज्यादा प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को वेतन का भुगतान कर सकता है। इतनी राशि से तो समुद्र में समा रहे न्यूयॉर्क शहर को बचाने के लिए एक विशाल मैकेनिकल दीवार बनाई जा सकती है। लेकिन, देश की सुरक्षा और अमेरिका के दुश्मनों की बढ़ती ताकत को देखते हुए पेंटागन ने इस डील को मंजूरी दी है।
मिनटमैन III परमाणु मिसाइल की जगह होगी तैनात
यह परमाणु मिसाइल पुरानी पड़ चुकी मिनटमैन III मिसाइलों के बेड़े से बदली जाएगी। अमेरिका के ग्राउंड-बेस्ड स्ट्रैटेजिक डिटरेंट के लिए इस मिसाइल का उपयोग किया जाएगा। अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) श्रेणी की मिसाइल होने के कारण इसे जमीन के अंदर बने सुरक्षित मिसाइल ठिकानों में तैनात किया जाएगा। जहां से लॉन्चिंग के बाद यह दुनिया के किसी भी कोने में हमला करने में सक्षम होगी। इस मिसाइल का नामांकरण अभी तक नहीं हुआ है, हालांकि संभावना जताई जा रही है कि एटलस, टाइटन और पीसकीपर जैसे अमेरिका के पुराने परमाणु मिसाइलों की तरह ही इसके नाम में भी शक्ति और शांति दोनों का समावेश होगा।
यह है अमेरिका के परमाणु हथियारों की नीति
अमेरिकी परमाणु मिसाइलों का उद्देश्य केवल हमले का जवाब देना नहीं होता है। अमेरिका की परमाणु नीति में यह भी लिखा हुआ है कि अगर दुश्मन उनके ऊपर परमाणु हमला करने की तैयारी कर रहा है तो वह पहले भी इस विध्वंसक मिसाइल को दाग सकते हैं। यानी, अमेरिका परमाणु हमले को रोकने के लिए अपनी परमाणु मिसाइल को दागने के लिए स्वतंत्र है। बचाव के सिद्धांत के तहत अमेरिका के पास इस समय 3,800 से ज्यादा परमाणु बम और मिसाइलें हैं। दरअसल परमाणु मिसाइलों की ताकत को बताना भी हर देश की एक सोची समझी रणनीति होती है। अमेरिका का साफ सिद्धांत है कि अगर हमारे ऊपर परमाणु हमला होता है तो हम इतनी जबरदस्त जवाबी कार्रवाई करेंगे कि वैसा पहले कभी नहीं हुआ होगा। कई लोग अमेरिका के इस सिद्धांत को सफल मानते हैं। उनका दावा है कि यही कारण है कि अमेरिका के ऊपर आज से पहले किसी भी दुश्मन ने परमाणु मिसाइल नहीं दागी है।

दुनिया को कई बार बर्बाद कर सकते हैं अमेरिका के परमाणु बम
दरअसल, दुनिया की सर्वोच्‍च महाशक्ति अमेरिका के पास 3800 परमाणु हथियार हैं। ये परमाणु बम पूरी दुनिया को कई बार नष्‍ट कर सकते हैं। इन परमाणु हथियारों को ले जाने के लिए अमेरिका के पास 800 मिसाइले हैं। ये मिसाइलें दुनिया के किसी भी शहर को पलक झपकते ही तबाह कर सकती हैं। दुनियाभर के देशों के पास मौजूद परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली संस्था सिपरी के मुताबिक अमेरिका ने 1750 परमाणु बमों को मिसाइलों और बमवर्षक विमानों में तैनात कर रखा है। इसमें से 150 परमाणु बम अमेरिका ने यूरोप में तैनात कर रखे हैं ताकि रूस पर नजर रखी जा सके।

एशिया में भी परमाणु हथियारों की रेस तेज
सिपरी का दावा है कि रूस और अमेरिका, दोनों ही अपने परमाणु हथियारों, मिसाइलों और डिलीवरी सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए व्यापक प्रोग्राम चला रहे हैं। इस काम पर दोनों देश खूब पैसे भी खर्च कर रहे हैं। दक्षिण एशिया में चीन, भारत और पाकिस्तान अपनी रक्षा जरूरतों का ख्याल रखते हुए परमाणु परीक्षण कर चुके हैं। एशिया के रणनीतिक हालात के कारण केवल भारत ही नहीं, पाकिस्तान और चीन भी अपनी परमाणु क्षमता को लगातार बढ़ा रहे हैं। पाकिस्तान तो गरीबी से जूझने के बावजूद हथियारों में बड़ा निवेश कर रहा है।अनुमान है कि भारत के पास 130 से 140 और पाकिस्तान के पास 150 से 160 परमाणु हथियार हैं। हालांकि भारत के बम ज्यादा असरकारक हैं। हालांकि चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद के बावजूद भारत कह चुका है कि वो पहले परमाणु हमला नहीं करेगा।


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