विज्ञान

Alien News: एलियंस को लेकर हैरान करने वाली खबर

jantaserishta.com
19 April 2022 12:53 PM GMT
Alien News: एलियंस को लेकर हैरान करने वाली खबर
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नई दिल्ली: एलियन की दुनिया अभी भी धरती के वैज्ञानिकों के लिए रहस्यमयी बनी हुई है। हालांकि कई बार एलियंस के बारे में कुछ ऐसे दावे सामने आ जाते हैं जिसे सुनकर इनके बारे में दिलचस्पी बढ़ जाती है। कई बार तो फिल्मों के जरिए एलियन के बारे में देखने और सुनने को मिल जाता है। इसी बीच हाल ही में कुछ वैज्ञानिकों ने प्लान बनाया है कि वे एलियंस को उनकी भाषा में संदेश भेजेंगे। इस प्लान पर नासा के वैज्ञानिक जुट गए हैं।

दरअसल, कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में डॉ जोनाथन जियांग की अध्यक्षता में वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं। 'द गार्जियन' ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि इस बाइनरी संदेश को प्रसारित करने का प्लान बनाया जा रहा है। यह एक प्रकार का रेडियो सिग्नल होगा जिसके माध्यम से यह कोशिश की जाएगी। इसे एलियंस की भाषा में ही डिकोड किया जाएगा। इस प्लान के सामने आते ही एलियन के बारे में दिलचस्पी रखने वालों के लिए हलचल मच गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक नासा के वैज्ञानिक एलियंस को धरती की लोकेशन और कुछ डीएनए सैंपल भेजना चाहते हैं। ये संदेश रेडियो सिग्नल्स के जरिए भेजे जाएंगे। हालांकि रिपोर्ट में कुछ विशेषज्ञों के हवाले से बताया गया है कि यह प्लान उस प्रक्रिया का हिस्सा है जिसमें यह दावा किया गया था कि एलियंस की दुनिया से धरती पर कुछ संदेश भेजे गए थे। यह तब हुआ था जब दो साल पहले धरती पर मौजूद रेडियो टेलिस्कोप ने रेडियो किरणों की तीव्र लहर को दर्ज किया।
हालांकि यह लहर कुछ मिलिसेकेंड्स के लिए थी, फिर अचानक गायब हो गई थी। लेकिन इन रेडियो किरणों की खोज एक महत्वपूर्ण खोज थी। पहली बार धरती के इतने नजदीक फास्ट रेडियो बर्स्ट का पता चला था। इसके बारे में यही बताया गया था कि यह संदेश एलियन की तरफ से ही मिले हैं। इन सिग्नलों में आ रहे संदेशों को बाद में समझने का प्रयास किया था। अब इसी कड़ी में वापस संदेश भेजे जाएंगे।
एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया कि पहले भी वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में शक्तिशाली रेडियो संकेतों के प्रमाण मिले हैं। ये संकेत ठीक उसी जगह पर मिले हैं जहां पहले भी एलियन की मौजूदगी के अस्पष्ट संकेत मिले थे। इसके बाद वैज्ञानिक एलियन को रेडियो ट्रांसमीटर से संदेश भेजने की तैयारी में जुट गए थे। फिलहाल अब देखना यह है कि वैज्ञानिक इसमें कहां तक सफल हो पाते हैं।
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