विज्ञान

पीरियड बंद होने के बाद 60% महिलाओं में होता है 'ब्रेन फॉग', पढ़े पूरा डिटेल

Rani Sahu
14 Dec 2021 5:50 PM GMT
पीरियड बंद होने के बाद 60% महिलाओं में होता है ब्रेन फॉग, पढ़े पूरा डिटेल
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अपने जीवन काल में लगभग दो-तिहाई महिलाएं मेनोपॉज के दौरान 'ब्रेन फॉग' का शिकार होती हैं

अपने जीवन काल में लगभग दो-तिहाई महिलाएं मेनोपॉज के दौरान 'ब्रेन फॉग' का शिकार होती हैं। इनमें से कई महिलाओं में डिमेन्शिया का खतरा होता है। हाल ही में यह दावा ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने किया है। उनके मुताबिक मेनोपॉज के समय महिलाओं में सोचने-समझने, तर्क देने और भूलने की समस्या आम हो जाती हैं।

क्या है मेनोपॉज
मेनोपॉज का मतलब पीरियड का रुकना होता है। यह आमतौर पर 45 से 50 की उम्र के बीच की महिलाओं में होता है। मेनोपॉज के बाद प्रजनन की प्रक्रिया रुक जाती है। इस समय मादा हॉरमोन धीरे-धीरे घटते जाते हैं, जिसके चलते महिलाओं में मानसिक परिवर्तन भी आते हैं।
रिसर्च की मानें तो 60% महिलाएं मेनोपॉज के समय मेमोरी से जुड़ी समस्याओं का सामना करती हैं। इनमें से जहां कुछ में सिर्फ भूलने की समस्या आती है, तो वहीं बाकी गंभीर बीमारियों जैसे अल्जाइमर की चपेट में आ जाती हैं। इससे ना केवल उनका जीवन कठिन होता है, बल्कि उनके काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है।
क्या है ब्रेन फॉग
'ब्रेन फॉग' शब्द महिलाओं में होने वाले मानसिक परिवर्तनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह कोई चिकित्सक शब्द नहीं है। शोधकर्ताओं का कहना है कि मेनोपॉज सीधे-सीधे दिमाग पर असर नहीं करता है। इसके लक्षण, जैसे कि नींद ना आना और चिंता होना, दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इससे महिलाओं में डिप्रेशन और चिंता होना शुरू हो जाती है।
मेनोपॉज के बाद अल्जाइमर का खतरा
एक्स्पर्ट्स के अनुसार अल्जाइमर डिमेन्शिया का सबसे कॉमन रूप है। जो महिलाएं मेनोपॉज के लिए सर्जरी का रास्ता चुनती हैं, उन्हें यह बीमारी सबसे जल्दी घेरती है। इसके अलावा कुछ लोगों में यह बीमारी आनुवांशिक भी होती है।
मेनोपॉज के समय कैसे रखें अपना ख्याल
मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का मानना है कि महिलाओं को दवाइयों का ज्यादा प्रयोग नहीं करना चाहिए। ना ही उन्हें ड्रग्स और एल्कोहॉल का सेवन करना चाहिए। अपनी डाइट में ज्यादा फल-सब्जियाँ शामिल करने से उन्हें मेनोपॉज के वक्त कठिनाइयाँ कम होंगी। साथ ही, अच्छे रिश्ते बनाकर और ज्यादा पढ़कर भी वे भविष्य में मानसिक बीमारियों से बच सकती हैं।
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