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आखिर कहां जाता है खराब हो चुके सैटेलाइट का मलबा...वैज्ञानिक ने बताई ये बात

Gulabi
18 Oct 2020 12:13 PM GMT
आखिर कहां जाता है खराब हो चुके सैटेलाइट का मलबा...वैज्ञानिक ने बताई ये बात
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हर मशीन की तरह सैटेलाइट भी खत्म होते हैं लेकिन क्या कभी सोचा है कि खराब होने के बाद वे कहां जाते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर मशीन की तरह सैटेलाइट भी खत्म होते हैं लेकिन क्या कभी सोचा है कि खराब होने के बाद वे कहां जाते हैं. वे हमेशा के लिए अंतरिक्ष में नहीं रह सकते. उनके अचानक गिरने पर बड़ी तबाही मच सकती है. तो फिर एक्सपायर होने जा रहे सैटेलाइट को आखिर कहां और कैसे ठिकाने लगाया जाता है? जानिए.

क्या होता है सैटेलाइट खराब होने पर

बहुत से देशों ने अंतरिक्ष में अपने-अपने सैटेलाइट भेज रखे हैं. हर सैटेलाइट के साथ ये पक्का होता है कि एक समय के बाद वो खराब हो जाएगा. उनके एक्सपायर होने के बाद उनकी जगह दूसरा सैटेलाइट ले लेता है. लेकिन ये जानना जरूरी है कि आखिर एक्सपायर हो चुके सैटेलाइट के साथ क्या होता है. इसके लिए दो विकल्प हैं, जिनमें से चुनाव इस बात तय होता है कि सैटेलाइट धरती से कितनी दूरी पर हैं. अगर सैटेलाइट काफी हाई ऑर्बिट पर हो, तो उसमें तकनीकी गड़बड़ी आने के बाद उसे धरती पर लौटाने में काफी ईंधन खर्च हो सकता है. ऐसे में वैज्ञानिक उसे अंतरिक्ष में ही और आगे भेज देते हैं ताकि वो धरती की धुरी तक कभी आ ही न सके.

एक और विकल्प भी है, जो ज्यादातर सैटेलाइटों के मामले में काम में आता रहा है. वो है उन्हें धरती पर लौटा लाना और एक जगह जमा करते जाना. अब चूंकि सैटेलाइट अंतरिक्ष से लौटकर आते हैं, लिहाजा सैटेलाइट के मलबे को किसी सुरक्षित जगह जमा करना होता है, जो आबादी से दूर हो. इसके लिए, जिस जगह का इस्तेमाल होता आया है, उसे पॉइंट निमो कहते हैं.


धरती से सबसे दूर है ये जगह

इस जगह को समुद्र का केंद्र भी कहा जाता है, जहां से सबसे पास की धरती तक पहुंचना आसान नहीं है. निमो शब्द लैटिन भाषा से है, जिसके मायने हैं- कोई नहीं. जब किसी जगह को निमो पॉइंट कहा जाता है तो इसका अर्थ है कि वहां कोई नहीं रहता. ये जगह सूखी जमीन से सबसे दूर की जगह होती है, यानी समुद्र के बीचोंबीच. इसे समुद्र का केंद्र भी माना जाता है. ये जगह दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच स्थित है.

आज तक कोई नहीं जा सका यहां

निमो पॉइंट किसी खास देश की सीमा में नहीं आता, बल्कि इसके सबसे करीब के द्वीप को भी देखना चाहें तो वो लगभग 2,688 किलोमीटर की दूरी पर है. इस जगह की आबादी से दूरी और दुर्गमता का अनुमान इससे लगता है कि इस जगह की खोज करने वाला तक यहां नहीं गया. एक कनाडियन मूल के सर्वे इंजीनियर Hrvoje Lukatela ने खास फ्रीक्वेंसी के जरिए इसका पता लगाया था. ये आज से लगभग 27 साल पहले की घटना है. इसके बाद इस जगह का इस्तेमाल होने लगा.


जमा हो चुका है कबाड़

यहां पर स्पेस जाने के दौरान या वहां खराब हुई सैटेलाइट या फिर उसका ईंधन गिराया जाता है. ये ढेर इतना ज्यादा है कि इसे धरती पर सैटेलाइटों का कब्रिस्तान कहा जाने लगा है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक यहां 100 से भी ज्यादा सैटेलाइट का कबाड़ इकट्ठा किया जा चुका है.

मलबा गिराने से पहले दी जाती है चेतावनी

सबसे पहली बार रूस का सैटेलाइट यहां गिराया गया. यह लगभग 140 टन का था. दशकभर से ज्यादा स्पेस में रहने के बाद जब ये गिराया गया तो उसका मलबा हजारों किलोमीटर दूर तक फैला. पॉइंट नेमो में इसके बाद से कई मलबे डिस्कार्ड किए जा चुके हैं. हर मलबे को गिराने के पहले आधिकारिक चेतावनी भी दी जाती है ताकि एयर ट्रैफिक न रहे. इसके अलावा इस हाइपोथीसिस पर भी चेतावनी दी जाती है कि अगर आसपास कोई हो, जिसकी संभावना शून्य है, तो उसे पता चल जाए.

रहस्यों से भरी है ये जगह

रोशनी से काफी गहराई में स्थित इस जगह समुद्री जीव-जंतु भी नहीं के बराबर हैं इसलिए इससे किसी जंतु या वनस्पति के नुकसान को कोई डर नहीं होता है. हालांकि रहस्यमयी होने और लोगों की पहुंच से दूर होने के कारण इस जगह कई रहस्यों से भरे जानवरों की कल्पना भी की जाती रही है.

लिखी जा चुकी किताब

साल 1926 में अमेरिकी फंतासी लेखक एचपी लवक्राफ्ट ने समुद्र के इस डरावने हिस्से पर एक किताब लिखी थी. The Call of Cthulhu नाम से इस किताब में समुद्री राक्षस की बात की गई थी. कहना न होगा कि किताब काफी पढ़ी गई लेकिन अब तक वैज्ञानिकों को इस जगह ऐसा कोई जंतु नहीं दिखा है.

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