विज्ञान

सदी भर बाद खिला 'लिपस्टिक वाला फूल', पहली बार साल 1912 में वैज्ञानिकों ने की थी खोज

Subhi
9 Jun 2022 2:49 AM GMT
सदी भर बाद खिला लिपस्टिक वाला फूल, पहली बार साल 1912 में वैज्ञानिकों ने की थी खोज
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कुदरत भी एक से बढ़कर एक चमत्कार करती है. अगर जीव-जन्तुओं की तमाम प्रजातियां धरती पर मिलती हैं तो पेड़-पौधों की भी ऐसी-ऐसी प्रजातियां हैं, जो हम इंसानों को हैरान कर देती हैं.

कुदरत भी एक से बढ़कर एक चमत्कार करती है. अगर जीव-जन्तुओं की तमाम प्रजातियां धरती पर मिलती हैं तो पेड़-पौधों की भी ऐसी-ऐसी प्रजातियां हैं, जो हम इंसानों को हैरान कर देती हैं. अगर धरती पर ऐसे पौधे हैं जिनके फूल छोड़कर पत्तियां महकती हैं तो कुछ ऐसे भी पौधे हैं जिनके फूलों से सुगंध नहीं, दुर्गंध आती है. कुछ फूल ऐसे भी होते हैं, जो अपने शेप और साइज़ से हमें चौंका देते हैं. ऐसे ही फूलों में शुमार है 'लिपस्टिक वाला फूल' (Red Lipstick Flower), जो इस वक्त सुर्खियों में है.

Botanical Survey of India की ओर से एक बार फिर ये पौधा अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के अंजॉ ज़िले में पाया गया है. यूं तो इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Aeschynanthus monetaria Dunn है, लेकिन इसे आम भाषा में भारतीय लिपस्टिक (Indian Lipstick Plant) का पौधा भी कहा जाता है. इसकी वजह इस पौधे में लगने वाले फूल का बिल्कुल लिपस्टिक की तरह होना है. बताया जाता है ये पौधा एक सदी के बार दोबारा दिखाई दिया है.

1912 में पहली बार हुई थी खोज

लिपस्टिक के पौधे (एस्किनैन्थस मोनेटेरिया डन) की पहचान पहली बार ब्रिटिश बाटनिस्ट स्टीफन ट्रॉयट डन (Stephen Troyte Dunn) ने 1912 में की थी. ये खोज अरुणाचल प्रदेश से एक अन्य अंग्रेज वनस्पतिशास्त्री इसहाक हेनरी बर्किल द्वारा इकट्ठा किए गए सैंपल्स के आधार पर की गई थी. BSI वैज्ञानिक कृष्णा चौलू ने खोज के बारे में 'करंट साइंस जर्नल' में पब्लिश आर्टिकल में लिखा, 'ट्यूबलर रेड कोरोला की उपस्थिति के कारण, जीनस एस्किनैन्थस के तहत कुछ प्रजातियों को लिपस्टिक प्लांट कहा जाता है।'

अक्टूबर से जनवरी के बीच खिलते हैं फूल

कृष्णा चौलू ने अरुणाचल प्रदेश में फूलों के अध्ययन के दौरान, दिसंबर 2021 में अंजॉ जिले के ह्युलियांग और चिपरू से 'एस्किनैन्थस' के कुछ नमूने एकत्र किए. पौधा देखने में हूबहू लिपस्टिक के जैसा लगता है. ये नमी वाले सदाबहार जंगलों में 543 से 1134 मीटर की ऊंचाई पर उगता है. इसके फूल और फलने का समय अक्टूबर और जनवरी के बीच होता है. इस पौधे का वैज्ञानिकनाम Aeschynanthus ग्रीक भाषा के शब्द एस्चिन और एंथोस से लिया गया है, एस्चिन का मतलब शर्माना होता है, जबकि एंथोस का मतलब फूल होता है.


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