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विज्ञान
पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर दूर पहुंचा ‘आदित्य’ स्पेसक्राफ्ट, जाने कितना और सफ़र करना बाकी
SANTOSI TANDI
3 Oct 2023 8:18 AM GMT
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‘आदित्य’ स्पेसक्राफ्ट, जाने कितना और सफ़र करना बाकी
भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य एल-1 लगातार अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा है। यह अंतरिक्ष यान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव क्षेत्र से बाहर आया है और पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की है। यह इसकी कुल यात्रा के आधे से भी ज्यादा है. आदित्य अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से L1 बिंदु तक पहुँचने के लिए 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है जहाँ से वह लगातार सूर्य की निगरानी कर सकता है।
जिस L1 बिंदु पर 'आदित्य L1' पहुंचेगा उसे लैग्रेंजियन बिंदु कहा जाता है। वहां पहुंचने के बाद आदित्य अंतरिक्ष यान सूर्य में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखेगा. गौरतलब है कि हमारा सूर्य अपने सौर चक्र से गुजर रहा है और बहुत सक्रिय है। इस वजह से इसमें सनस्पॉट उभर रहे हैं। उन सनस्पॉट से सोलर फ्लेयर (क्या है सोलर फ्लेयर) और कोरोनल मास इजेक्शन (क्या है कोरोनल मास इजेक्शन) जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं।भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV)-C57 के माध्यम से देश के पहले सूर्य मिशन के तहत 'आदित्य L1' अंतरिक्ष यान लॉन्च किया।
'आदित्य एल1' अपने साथ सात पेलोड ले गया है। इनमें से 4 पेलोड सूरज की रोशनी का निरीक्षण करेंगे और बाकी 3 पेलोड उसके प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र को समझेंगे। हर दिन हजारों तस्वीरें इसरो के कमांड सेंटर को भेजी जाएंगी, जहां वैज्ञानिकों की एक टीम उनका विश्लेषण करेगी और किसी भी आपात स्थिति में अलर्ट जारी किया जा सकेगा।सूर्य में चल रही गतिविधि का दौर साल 2025 तक जारी रहने की उम्मीद है. इस दौरान सोलर फ्लेयर, कोरोनल मास इजेक्शन जैसी घटनाएं होती रहेंगी. इनका प्रभाव पृथ्वी पर भी पड़ता है। एक शक्तिशाली सौर ज्वाला पृथ्वी पर अस्थायी रेडियो ब्लैकआउट का कारण बन सकती है। हमारे उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकता है.
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