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- सूर्य से 530 गुना बड़े...
अंतरिक्ष में होने वाली कई घटनाएं ऐसी हैं, जिन्हें देख पाना बहुत ही मुश्किल होता है। किसी सितारे को मरते हुए देखना उन घटनाओं में से है। अब शोधकर्ताओं ने एक मरते हुए सितारे को देखा है। शोधकर्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने तीन अलग-अलग मौकों पर दूर के एक सुपरनोवा द्वारा छोड़ी जाने वाली चमक को पकड़ा है। इससे जुड़ा एक शोध सामने आया है। हबल टेलीस्कोप के डेटा के जरिए उन सिद्धांतों का परीक्षण किया जाएगा, जिससे सितारे की रोशनी के जरिए उसके आकार का पता चल सके। ये सितारा इतना दूर है कि इसके आकार के बारे में कोई भी डेटा टेलीस्कोप नहीं दे सकता है।
सितारा धरती से 11.5 अरब प्रकाश वर्ष दूर है। इसका मतलब जिस सितारे को शोधकर्ताओं ने आज मरते हुए देखा है वह डायनासौर से भी पहले मर चुका है। जिस आकाशगंगा का ये सितारा है उसमें ही अरबों चमकदार सितारे हैं। उनकी चमक के बीच अब ये रोशनी धरती पर पहुंची है। शोधकर्ताओं ने तारे की चमक में बदलाव को देखा है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि तारे की चमक से उन्हें इसमें होने वाले बदलाव और मरने के कारणों का पता चलेगा। जिस गैलेक्सी का ये सितारा है वह भी पृथ्वी से 4 अरब प्रकाश वर्ष दूर हजारों गैलेक्सी के क्लस्टर का हिस्सा है। इस क्लस्टर का नाम अबेल-370 (Abell 370) है।
सुपरनोवा की रोशनी मुड़ी हुई है
शोधकर्ता मानते हैं कि क्लस्टर में सैकड़ों गैलेक्सी होने के कारण सितारे से आने वाली रोशनी थोड़ी मुड़ी हुई है। ये ठीक उसी तरह है, जैसे हम टेलीस्कोप से किसी चीज को देख रहे हैं और लेंस के आगे एक छोटा सा स्क्रैच हो। विश्लेषण से पता चला है कि सितारा विस्फोट के बाद आठ दिनों तक फैलता रहा। प्रकाश की तीन धुंधली तस्वीरों के जरिए पता चला है कि सुपरनोवा धीरे-धीरे ठंडा हो रहा है। इसका तापमान लगभग 1 लाख डिग्री सेल्सियस था जो गिर कर 10 हजार सेल्सियस पर पहुंच गया।
क्रेडिट : navbharattimes