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जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों की एक प्रजाति हो रही है विलुप्त, दक्षिण अफ्रीका के पीली चोंच वाले हॉर्नबिल 2027 के बाद नजर हीं आएंगे

Tulsi Rao
23 May 2022 4:58 AM GMT
जलवायु परिवर्तन के कारण पक्षियों की एक प्रजाति हो रही है विलुप्त,   दक्षिण अफ्रीका के पीली चोंच वाले हॉर्नबिल 2027 के बाद नजर हीं आएंगे
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का असर न केवल प्रकृति झेल रही है, बल्कि जानवर भी इस परिवर्तन का शिकार बन रहे हैं. जलवायु संकट की वजह से, पीली चोंच वाले हॉर्नबिल (Yellow-Billed Hornbill) स्थानीय रूप से विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं.

फ्रंटियर्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन (Frontiers in Ecology and Evolution) जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन के मुताबिक, 2008 और 2019 के बीच दक्षिण अफ्रीका के कालाहारी रेगिस्तान (Kalahari Desert) में पाए जाने वाले येलो-बिल्ड हॉर्नबिल (Tockus leucomelas) की जनसंख्या में कमी देखी गई है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इन पक्षियों की संख्या में आई कमी निश्चित रूप से बढ़ते तापमान से जुड़ी है.
दक्षिणीअफ्रीका की स्थानीय संस्कृति का अहम हिस्सा रहे हैं ये पक्षी
येलो-बिल्ड हॉर्नबिल, रेड-बिल्ड हॉर्नबिल की रिश्तेदार है, जिसे 1994 की डिज्नी फिल्म द लायन किंग (The Lion King) में भी देखा गया था. कहा जाता है कि यह पक्षी दक्षिणी अफ्रीका की स्थानीय संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं का अहम हिस्सा रहे हैं.
एक ही साथी के साथ जीवन बिताते हैं ये पक्षी
यह प्रजाति अपने काफी असामान्य प्रजनन व्यवहार के लिए जानी जाती है. दक्षिणी येलो-बिल्ड हॉर्नबिल सामाजिक रूप से एकांगी प्रजाति (Monogamous Species) है, जो एक ही साथी के साथ लंबे समय तक निभाए गए संबंधों में रहना पसंद करता है. पहली बार जब नर हॉर्नबिल कोई रिश्ता जोड़ता है और प्रजनन करता है, तब से वह अपने साथी के साथ ही रहता है और घोंसले की रक्षा करने में मदद करता है. लेकिन जैसे-जैसे तापमान बढ़ता जा रहा है, इनकी प्रजनन रणनीति में भी बदलाव हो रहा है.
हर प्रजनन से पैदा होने वाले चूजों का औसत 1.1 से घटकर 0.4 हुआ
शोधकर्ताओं ने 2008 और 2011 के तीन सीजन की तुलना 2016 और 2019 के सीज़न के साथ की. शोधकर्ताओं ने पाया कि इनके घोंसलों का औसत प्रतिशत 52 से घटकर 12 प्रतिशत हो गया. सफल प्रजनन के प्रयासों की संख्या 58 प्रतिशत से घटकर 17 हो गई. साथ ही, हर प्रजनन से पैदा होने वाले चूजों का औसत भी 1.1 से घटकर 0.4 हो गया.
2027 तक हो सकते हैं विलुप्त
शोधकर्ताओं का तर्क है कि ऐसा जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहा है. जब उच्च तापमान 35.7 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंचा, तो कोई सफल प्रजनन प्रयास नहीं देखा गया. यह साफ था कि असफल प्रजनन प्रयास सीधे तौर पर, उन दिनों से संबंधित थे जब तापमान बहुत अधिक था.
शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर यह जारी रहता है, तो इस दशक के अंत तक दक्षिण अफ्रीका के महत्वपूर्ण हिस्सों में, येलो-बिल्ड हॉर्नबिल नहीं दिखेंगे. शोध में अनुमान लगाया गया है कि 2027 तक दक्षिणी येलो-बिल्ड हॉर्नबिल अपनी इलाके के सबसे गर्म हिस्सों से गायब हो जाएंगे.


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