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आकाशगंगा में एक नया सोलर सिस्टम, 6 ग्रह लगते हैं एक साथ तारे का चक्कर
नासा : हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे में बहुत कुछ ऐसा है जिसे वैज्ञानिक अब तक नहीं खोज पाए हैं। खगोलविदों ने पास के एक तारामंडल में एक अनोखी घटना का पता लगाया है। उन्होंने 6 ऐसे ग्रहों के बारे में जाना है, जो एक लय में अपने तारे की परिक्रमा करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, सभी ग्रह इतने सटीक पैटर्न में घूमते हैं कि उन्हें संगीत से बांधा जा सकता है। तारे का नाम है – HD110067, जो पृथ्वी से 100 प्रकाश वर्ष दूर कोमा बेरेनिस तारामंडल में है।TESS के अलावा, खोज करने वाले शोधकर्ताओं की टीम ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के CHEOPS (कैरेक्टराइज़िंग एक्सोप्लैनेट सैटेलाइट) के डेटा का अध्ययन किया। इसके बाद उन्हें 6 ग्रहों की इस खूबी के बारे में पता चला. रिपोर्ट के मुताबिक हमारी आकाशगंगा में मल्टीप्लेनेट सिस्टम आम हो सकते हैं, लेकिन ऐसे सिस्टम कम ही देखने को मिलते हैं, जिनमें सभी ग्रह एक सटीक पैटर्न में घूमते हों।
रिपोर्ट के मुताबिक, खोजे गए छह ग्रहों में से जो तारे के सबसे नजदीक है, वह बाकी ग्रहों की तुलना में उसके चारों ओर ज्यादा चक्कर लगाता है। बाकी ग्रह भी तारे के चारों ओर इस तरह घूमते हैं कि पैटर्न बरकरार रहता है। दो सबसे बाहरी ग्रहों को अपनी परिक्रमा पूरी करने में जितना समय लगता है, तारे का निकटतम ग्रह छह परिक्रमा पूरी करता है।आकाशगंगा से जुड़ी अन्य खबरों की बात करें तो इस साल एक अध्ययन से पता चला है कि आकाशगंगा में तारे बनने की दर पहले के अनुमान से अधिक है। इसका मतलब यह है कि वैज्ञानिकों ने जितना सोचा था उससे कहीं अधिक तारे हर साल पैदा हो रहे हैं।
तारे का जन्म कैसे होता है?
तारे धूल के बादलों के भीतर मौजूद गैसों के संलयन से पैदा होते हैं। ये बादल अधिकांश आकाशगंगाओं में बिखरे हुए हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध उदाहरण ओरियन नेबुला है। नासा के मुताबिक, बादलों के अंदर अशांति के कारण गांठें बन जाती हैं और गैस और धूल मिलकर तारे बनाने लगते हैं। इसकी शुरुआत एक प्रोटोस्टार से होती है। यह टूटते हुए बादल का गर्म केंद्र है, जो एक दिन तारा बन जाता है।
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