विज्ञान

अंतरिक्ष में सिगार के आकार का एलियन मेहमान लगा रहा चक्कर, कैसे होगी जांच?

jantaserishta.com
28 Jan 2022 4:53 AM GMT
अंतरिक्ष में सिगार के आकार का एलियन मेहमान लगा रहा चक्कर, कैसे होगी जांच?
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नई दिल्ली: हमारे अंतरिक्ष में सिगार के आकार का एलियन मेहमान चक्कर लगा रहा है. इसका नाम ओउमुआमुआ (Oumuamua) है. जो अलग-अलग वजहों से वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. हर कोई इसकी जांच करना चाहता है. लेकिन इसके पास तक किसी स्पेसक्राफ्ट को भेजने में काफी ज्यादा समय लगेगा. पांच साल पहले खोजे गए इस Alien मेहमान के पास जाकर इसकी जांच क्या आसान होगी?

इंग्लैंड में स्थित एक नॉन-प्रॉफिट कंपनी इंस्टीट्यूट फॉर इंटरस्टेलर स्टडीस (i4is) ने कहा है कि वह ओउमुआमुआ (Oumuamua) के पास स्पेसक्राफ्ट भेजना चाहता है. स्पेसक्राफ्ट भेजने की प्लानिंग उसी दिन हो गई थी, जिस दिन यह पत्थर खोजा गया था. कंपनी के स्पेसक्राफ्ट भेजने के मिशन का नाम प्रोजेक्ट लाइरा (Project Lyra) है. प्रोजेक्ट से जुड़ी टीम ने कुछ नायाब तरीके खोजे भी हैं. इनकी स्टडी हाल ही में arXiv प्री-प्रिंट सर्वर में प्रकाशित हुई है.
टीम की स्टडी के मुताबिक अगर कोई स्पेसक्राफ्ट साल 2028 में ओउमुआमुआ (Oumuamua) के पास भेजा जाता है तो वह उसके 26 साल बाद इस एलियन पत्थर तक पहुंच पाएगा. यानी 2054 में वह इस पत्थर को नजदीक से जाकर देखेगा या उसपर लैंड करेगा. या उसके चारों तरफ चक्कर लगाते हुए इसकी तस्वीरें लेगा और वीडियो बनाएगा. स्पेसक्राफ्ट यहां तक पहुंचने के लिए सूर्य और बृहस्पति की ग्रैविटी का उपयोग कर सकता है.
इस प्रक्रिया से अंतरिक्ष में यात्रा करने को ओबर्थ मैनुवर (Oberth maneuver) कहते हैं. सामान्य भाषा में इसे ग्रैविटी एसिस्ट्स (Gravity Assists) भी कहते हैं. इस तकनीक के दौरान स्पेसक्राफ्ट बड़े अंतरिक्षीय ग्रहों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की मदद से अपना रास्ता बनाता है. इसमें उसे गति और दिशा दोनों मिलती है. लेकिन मुश्किल ये है कि अभी तक इंसानों ने ऐसा कोई स्पेसक्राफ्ट नहीं भेजा जो इस तकनीक का उपयोग करता हो.
अभी तक इस तरह से किसी स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में भेजने का मात्र आइडिया ही है. इसका प्रैक्टिकल नहीं हुआ है. न ही इस तकनीक के साथ कोई स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में गया है. लेकिन भविष्य में यह तकनीक अगर विकसित होती है तो इससे अंतरिक्ष यात्रा में ईंधन की खपत काफी कम होगी. अंतरिक्ष की ताकत का उपयोग करके ही यान को सौर मंडल से बाहर या अंदर घुमाया जा सकेगा. लेकिन रहस्यमयी ओउमुआमुआ (Oumuamua) के पास जाने की वजह तो मिल जाएगी.
हमारे सौर मंडल में घूम रहे ओउमुआमुआ (Oumuamua) को लेकर पिछले साल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवी लोएब ने कहा था कि यह एलियन टेक्नोलॉजी है जो हमारे आसपास घूम रही है. यह पत्थर एलियन प्लूटो (Alien Pluto) से आया है. साइंटिस्ट्स का दावा है कि यह हमारे सौर मंडल घूमने वाला पहला एलियन पत्थर है जो किसी दूसरे अंतरिक्ष से आया है.
यह कोई उल्कापिंड भी नहीं है. पहले तो वैज्ञानिकों को लगा कि यह एक एस्टेरॉयड है. लेकिन अब नए संकेत यह मिल रहे हैं कि यह एलियन टेक्नोलॉजी है. अब कह रहे हैं कि यह एलियन प्लूटो से आया है. क्योंकि इसके पीछे किसी तरह की पूंछ नहीं बनती. यह कैसे चल रहा है इसके पीछे कौन सा दबाव है.
सिगार के आकार का यह पत्थर धीरे-धीरे खिसक रहा है. जैसे इसे कोई धक्का दे रहा हो. वैज्ञानिकों को ये समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है. एवी लोएब कहते हैं कि इस वस्तु को एक एलियन मशीन खींच रही है. जो एक मिलीमीटर से भी पतली है. या फिर इसे सौर विकिरण यानी सोलर रेडिएशन अपनी ओर खींच रहा है. एलियन प्लूटो वाली थ्योरी इसलिए मानी जा रही है क्योंकि उसके पीछे दलील दी जा रही है प्लूटो ग्रह से अंतरिक्ष में उड़ने वाला नाइट्रोजन आइस (Nitrogen Ice).
ओउमुआमुआ (Oumuamua) का आकार 1300 से 2600 फीट लंबा माना जा रहा है. यह बेहद धीमे रॉकेट इंजन की तरह हमारे सौर मंडल में घूम रहा है. जबकि, इतनी धीमी गति बहुत कम वस्तुएं घूमती हैं. एक थ्योरी यह भी कहती है कि ओउमुआमुआ सिर्फ 40 लाख साल पुराना है. ऐसा उसके आकार, चाल आदि को देखकर अंदाजा लगाया गया है. पूरी दुनिया में इस अंतरिक्षीय वस्तु को लेकर वैज्ञानिकों के बीच बहस चल रही है कि क्या ये एलियन टेक्नोलॉजी है. या फिर सामान्य अंतरिक्षीय वस्तु.
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