विज्ञान

ग्रीनलैंड में एक बड़ा सा गड्ढा मिला, 31 KM चौड़ा क्रेटर,इसकी उम्र और नुकसान का रहस्य अब खुला

Nilmani Pal
10 March 2022 11:59 AM GMT
ग्रीनलैंड में एक बड़ा सा गड्ढा मिला, 31 KM चौड़ा क्रेटर,इसकी उम्र और नुकसान का रहस्य अब खुला
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ग्रीनलैंड (Greenland) में एक बड़ा सा गड्ढा है. जिसकी चौड़ाई 31 किलोमीटर है. यह एक उल्कापिंड की टक्कर से बना था. लेकिन इस गड्ढे ने सालों तक वैज्ञानिकों को इस बात के लिए कन्फ्यूज कर रखा था कि इसकी उम्र कितनी है. यह गड्ढा ग्रीनलैंड की एक किलोमीटर मोटी बर्फ के नीचे दबा था. इसका नाम है द हियावाथा क्रेटर (The Hiawatha Crater).

लगातार ग्लेशियर की बर्फ पिघलने की वजह से हो रहे इरोजन के बावजूद द हियावाथा क्रेटर (The Hiawatha Crater) आज भी सुरक्षित है. शुरुआत में वैज्ञानिकों ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि इसकी उम्र 13 हजार साल है. यानी उल्कापिंड 13 हजार साल पहले इस जगह से टकराया था, और यहां पर गड्ढा बन गया. यानी धरती का सबसे कम उम्र का इम्पैक्ट क्रेटर (Impact Crater).
इम्पैक्ट क्रेटर (Impact Crater) उस गड्ढे को कहते हैं, जो किसी उल्कापिंड या एस्टेरॉयड की टक्कर यानी इम्पैक्ट से बनता है. द हियावाथा क्रेटर (The Hiawatha Crater) दुनिया के सबसे बड़े इम्पैक्ट क्रेटर्स में से एक है. लेकिन बारीकी से जांच करने के बाद पता चला कि यह गड्ढा डायनासोरों के मरने के कुछ लाख साल बाद बना था. इसकी उम्र करीब 5.8 करोड़ साल है.
डेनमार्क स्थित नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में जियोलॉजी के हेड माइकल स्टोरी ने कहा कि द हियावाथा क्रेटर (The Hiawatha Crater) की उम्र को लेकर डेनमार्क और स्वीडन, दोनों जगहों पर अलग-अलग तरीके से स्टडी हुई. खुशी की बात ये है कि दोनों ही स्थानों पर नतीजा एक जैसा आया. अब हमें लगता है कि हमनें इस क्रेटर की उम्र के रहस्य को सही तरीके से सुलझा लिया है.
माइकल ने कहा कि द हियावाथा क्रेटर (The Hiawatha Crater) की उम्र हमारी सोच से कई गुना ज्यादा है. जब यहां पर उल्कापिंड टकराया होगा, तब यह इलाका यानी आर्कटिक वर्षावनों से ढंका था. यहां का तापमान करीब 20 डिग्री सेल्सियस रहा होगा. यह पर मगरमच्छ, कछुए और प्रागैतिहासिक दरियाई घोड़ों जैसे जीव रहा करते होंगे. इसे लेकर जो स्टडीज हुई हैं, वो जर्नल साइंस एडवांसेस में प्रकाशित हुई है.
द हियावाथा क्रेटर (The Hiawatha Crater) इतना बड़ा है कि यह अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी को पूरा निगल जाए. यह धरती पर मिले 200 इम्पैक्ट क्रेटर्स में से 90 फीसदी गड्ढों से आकार में बड़ा है. अभी यह नहीं पता चल पाया है कि यहां पर जो उल्कापिंड टकराया था, उसने धरती के मौसम को बदला था या नहीं. क्योंकि डायनासोर को मारने वाले उल्कापिंड की टक्कर ने तो यह काम किया था. यह टक्कर मेक्सिको में हुई थी, जिससे चिक्सुलूब क्रेटर (Chicxulub Crater) बना था. यह क्रेटर 200 किलोमीटर चौड़ा है.
चिक्सुलूब क्रेटर (Chicxulub Crater) ग्रीनलैंड के द हियावाथा क्रेटर (The Hiawatha Crater) से करीब 80 लाख साल पहले बना था. लेकिन यह बात तो तय है कि ग्रीनलैंड में जिस उल्कापिंड की टक्कर हुई थी. उसने वहां के आसपास के जीवों और पेड़-पौधों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया होगा. वैज्ञानिकों ने यह पता करने के लिए ग्लेशियर के नीचे से बहने वाली नदी की रेत और पत्थरों के सैंपल लिए ताकि सही जानकारी मिल सके.
साइंटिस्ट इन रेत और पत्थरों में मौजूद प्राकृतिक रेडियोआइसोटोप्स की कम होने की दर की गणना करके यह पता करेंगे कि उस समय कितना नुकसान हुआ था. पत्थरों में जिरकॉन क्रिस्टल्स के कण होते हैं. उनकी उम्र का पता यूरेनियम-लीड डेटिंग तकनीक से किया जाता है. जैसे-जैसे जिरकॉन क्रिस्टल बनता है, वैसे-वैसे यूरेनियम खत्म होता है. इसी से पता चला कि द हियावाथा क्रेटर (The Hiawatha Crater) करीब 5.80 करोड़ साल पुराना है.
दूसरी तकनीक है रेत के कणों को लेजर से गर्म करने की. गर्म कणों से निकलने वाली आर्गन गैस निकलती है. यह गैस दुर्लभ तरीके से मौजूद प्राकृतिक पोटैसियम रेडियोएक्टिव आइसोटोप K-40 के खत्म होने की वजह से बनती है. इस आइसोटोप की हाफ-लाइफ 125 करोड़ साल है. यानी आप किसी भी तत्व की सही उम्र का अंदाजा इस आइसोटोप के खत्म होने और आर्गन गैस के निकलने की दर से पता कर सकते हैं.
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