विज्ञान

दुनिया की 99% लोग ले रहे है जहरीली हवा, दिल और दिमाग के लिए बेहद खतरनाक

Rani Sahu
5 April 2022 6:30 PM GMT
दुनिया की 99% लोग ले रहे है जहरीली हवा, दिल और दिमाग के लिए बेहद खतरनाक
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7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक चौंकाने वाली रिसर्च की है

7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक चौंकाने वाली रिसर्च की है। इसमें कहा गया है कि दुनिया की 99% आबादी गंदी हवा में सांस ले रही है। इसका मतलब धरती पर मौजूद 797 करोड़ लोग वायु प्रदूषण में जी रहे हैं।

117 देशों पर हुई रिसर्च
WHO की टीम ने 117 देशों के 6,000 से ज्यादा शहरों की एयर क्वॉलिटी को मॉनिटर किया। रिसर्च के नतीजे कहते हैं- आज पहले से ज्यादा देश एयर क्वॉलिटी पर नजर रख रहे हैं। हालांकि, यहां रह रहे लोगों के शरीर में सांस लेने पर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और बहुत ही छोटे पार्टिकल्स की एंट्री हो रही है। ये परेशानी सबसे ज्यादा लो और मिडिल इनकम देशों में हो रही है।
आखिर क्यों खतरनाक है नाइट्रोजन डाइऑक्साइड?
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) एक जहरीली गैस है। यह फॉसिल फ्यूल (जीवाश्म ईंधन) जलने से निकलती है। यानी, ये आमतौर पर गाड़ी चलाते वक्त, पावर प्लांट्स या खेती-बाड़ी से निकलती है। NO2 से अस्थमा जैसी रेस्पिरेटरी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण लोग हर वक्त खांसते और छींकते रहते हैं।
हवा के कौन से कण नुकसानदायक?
हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) इंसान के फेफड़ों के लिए जहर से कम नहीं हैं। WHO ने इस रिसर्च में PM10 और PM2.5 की जांच की। ये हवा में मौजूद ऐसे कण होते हैं जिनका आकार 10 माइक्रोमीटर या उससे कम और 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। इनकी वजह से समय से पहले ही मौत भी हो सकती है।
दोनों ही ग्रुप्स के पार्टिकल्स फॉसिल फ्यूल जलने से ईजाद होते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। पार्टिकुलेट मैटर ट्रैफिक, इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग, पावर प्लांट्स, एग्रीकल्चर या कचरे को जलाने से पैदा हो सकता है।
PM2.5 दुनिया में बढ़ती मौतों का कारण
WHO के मुताबिक- PM2.5 के कण फेफड़ों के अंदर घुसकर आपके खून में बह सकते हैं। इससे दिल और दिमाग दोनों को ही खतरा होता है। ये ब्रेन स्ट्रोक और हार्टअटैक की वजह बन सकते हैं।
बच्चे हो रहे अस्थमा के शिकार
लैंसेट जर्नल की रिसर्च कहती है- हवा में बढ़ती नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) की मात्रा बच्चों में अस्थमा की बीमारी को बढ़ा रही है। इसकी वजह से करीब 20 लाख मामले NO2 की देन हैं। साथ ही, हर साल इनमें 8.5% नए केस जुड़ जाते हैं।
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