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जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सर्रे निवासी डेविड लैटिमर ने 1960 में करीब 10 गैलन क्षमता के बोतलनुमा जार में तार की मदद से स्पाइडरवॉर्ट फूल का एक बीज लगाया था। अब 80 साल के हो चुके डेविड ने इसके मुंह को सीलबंद कर खिड़की से 6 फीट दूर, धूप में रख दिया। यहां से सूर्य की किरणें कांच की मोटी दीवार से फिल्टर होकर इस बोतल जार के अंदर पहुंचती हैं। बोतल में पौधा पूरी तरह स्वस्थ है।
विकसित हुआ इको-सिस्टम
डेविड का दावा है कि इस बोतल गार्डन के अंदर ही एक पारिस्थितिकी तंत्र (इको-सिस्टम) विकसित हो गया है जो सूरज की फिल्टर किरणों की मदद से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया करने में सक्षम है और खाद के रूप में पौधे के पोषक तत्वों को रिसायकल कर उपयोग करता है। डेविड का यह भी दावा है कि उन्होंने 1972 के बाद इसमें पानी की एक बूंद नहीं डाली है, बावजूद इसके यह अब भी पूरी तरह हरा-भरा है।
सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा में करता है परिवर्तित
वनस्पति विशेषज्ञों का कहना है कि बोतल के अंदर, पौधा सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा में परिवर्तित करता है, इस प्रकार वह पोषण पाता है और जीवित रहता है। यह प्रकाश संश्लेषण के जरिए ऑक्सीजन भी बनाता है और अपने आस-पास की हवा में नमी भी बनाए रखता है। इसके सड़े-गले पत्ते पोषक तत्वों के लिए कार्बन डाइऑक्साइड बनाते हैं, जिसे इसकी जड़ों से पौधे तक पहुंचते हैं। डेविड ने बताया कि यह पौधा बोतल के अंदर सूरजमुखी की तरह सूर्य की ओर ही देखते हैं इसलिए रोज धूप के साथ इसकी दिशा भी बदल जाती है।
61 साल पुराना 'बोतल गार्डन', 40 साल से नहीं डाला पानी
डेविड कहते हें कि उन्होंने बीते करीब 40 साल से इस बोतल को उस खिड़की के पास से न तो हटाया है न ही इसके ढक्कन (कॉर्क) को खोला है। डेविड इस बोतल गार्डन को अपने बच्चों को निशानी स्वरूपदेकर जाना चाहते हैं। वहीं इंग्लैंड की रॉयल हॉॅट्रीकल्चर सोसायटी भी इसे अपने पास संजोए रखना चाहती है क्योंकि वे इसके अंदरूनी इको-सिस्टम पर परीक्षण करना चाहते हैं।
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